हाइलाइट्स
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क्षेत्र का अपर्याप्त विकास और जल संकट बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती
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कुलस्ते पर परिवारजनों को आगे बढ़ाने के आरोप, पार्टी नेता ही नाराज
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कांग्रेस के लिए मोदी- मंदिर से वोटर्स का ध्यान हटाना बड़ा चैलेंज
Mandla Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 में मंडला सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते को कांग्रेस उम्मीदवार ओमकार सिंह मरकाम जबरदस्त टक्कर देते दिखाई दे रही हैं।
इस सीट (Mandla Lok sabah Seat) पर वोटर्स को मिजाज बदलता नजर आ रहा है।
यहां केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, जो छह बार के लोकसभा सदस्य भी हैं।
के साथ कोई अपसेट हो जाए, तो आश्चर्यजनक नहीं होगा। कुलस्ते पिछले विधानसभा चुनाव में निवास से चुनाव हार चुके हैं।
आंकड़े बीजेपी के पक्ष में, हवा उल्टी बह रही
आंकड़ों के हिसाब से मंडला लोकसभा सीट (Mandla Lok Sabha Seat) बीजेपी का गढ़ मानी जाती हैं, लेकिन इस बार हवा कुछ उल्टी चल रही है।
इसकी वजह क्षेत्र का पर्याप्त विकास ना होना और जल संकट बरकरार रहना।
संयोग से लोकसभा चुनाव गर्मियों में हो रहे हैं। ऐसे में जल संकट जैसी समस्या आदिवासी वोटर्स को बीजेपी के खिलाफ मन बनाने के लिए बाध्य कर सकती है।
इन हालातों में आदिवासी नेता की स्थिति अच्छी तो नहीं कही जा सकती है।
बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते बनाम कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम
बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। 30 साल सांसद रह चुके हैं। क्षेत्र के लिए जाने माने चेहरे हैं। इनके सामने कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम हैं।
मरकाम आदिवासियों के काठी नेता हैं और लम्बे समय से कांग्रेस के सीनियर लीडर्स में गिने जाते हैं। उनका आदिवासियों में अच्छा असर है।
फग्गन सिंह कुलस्ते की ताकत
फग्गन सिंह कुलस्ते वर्तमान में केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री हैं।
मंडला लोकसभा सीट (Mandla Lok Sabha Seat) पर फग्गन सिंह कुलस्ते सातवीं बार संसद में पहुंचने के लिए मैदान में हैं। उनके साथ बीजेपी का परंपरागत वोटर्स है।
तीन दशक से ज्यादा से बीजेपी की राजनीति कर रहे हैं। पीएम मोदी का 10 साल का कार्यकाल उनके लिए सबसे बड़ी ताकत है।
- मोदी, मंदिर और राष्ट्रवाद
बीजेपी के अन्य प्रत्याशियों की तरह फग्गन सिंह कुलस्ते को भी पीएम नरेंद्र मोदी की पॉपुलर्टी, अयोध्या राम मंदिर की स्थापना और पार्टी की राष्ट्रवाद की नीति से प्रभावित लोगों के वोट मिलने की संभावना है।
- मंडला लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़
मंडला लोकसभा सीट (Mandla Lok Sabha Seat) पर लगातार दस साल से बजेपी काबिज है।
2009 लोकसभा चुनाव में को छोड़ दें तो मंडला में बीजेपी 28 साल से राज कर रही है। 2009 में जरूर कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम यहां से सांसद चुने गए थे।
इसके पहले 1996, 1998, 1999 और 2004 में बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव जीत चुके हैं।
कांग्रेस सरकार में भी मंडला ने बीजेपी और कुलस्ते को अपना सांसद चुना है।
- कुलस्ते को संगठन और सरकार का पूरा सपोर्ट
बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते का पार्टी संगठन और दोनों सरकारों ( केंद्र और राज्य सरकार ) का पूरा सपोर्ट है। इसके अलावा संघ (आरएसएस) कार्यकर्ताओं का बीजेपी के प्रति समर्पण मोदी और कमल दल की बड़ी मैदानी ताकत है।
बीजेपी कैंडिडेट फग्गन सिंह कुलस्ते की चुनौती
- मंडला में अपर्याप्त विकास और जल संकट
बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते के लिए मंडला और आसपास के क्षेत्र में पर्याप्त डवलपमेंट नहीं होने से मोदी की गारंटी पर सवाल उठ रहे हैं।
इसके अलावा जल संकट का मोदी के कार्यकाल में कोई समाधान नहीं निकलना बीजेपी प्रत्याशी के लिए बड़ी चुनौती है।
जबरदस्त गर्मी में जल के लिए परेशान होते लोगों को बीजेपी कैसे संतुष्ट करेगी,यह पार्टी और कुलस्ते के लिए बड़ी चुनौती है।
उनके विधानसभा निवास में केवल 60 प्रतिशत घरों में ही पीने का पानी आता है।
- पार्टी में टिकट के दावेदारों का विरोध
कुलस्ते को विधानसभा चुनाव में पराजय मिली थी, इसके बाद लोकसभा के लिए अन्य बीजेपी के दावेदारों को प्रथामिकता नहीं दी गई
और फिर से कुलस्ते को लोकसभा के लिए टिकट देने से विरोध हो रहा है।
अब ये पार्टी के नेताओं का विरोध बीजेपी और कुलस्ते कैसे दूर करेंगे और उनका वोट हासिल करेंगे, यह बड़ी चुनौती है।
कैश फॉर वोट मामला भी कर रहा पीछा
कुलस्ते उन तीन बीजेपी सांसदों में से एक थे, जिन्होंने जुलाई 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर मनमोहन सिंह सरकार से वाम दलों के समर्थन वापस लेने के कारण अविश्वास प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में नोटों की गड्डियां पेश की थीं।
उन्होंने और दो अन्य ने आरोप लगाया था कि उन्हें सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए पैसे की पेशकश की गई थी, जिसे कैश-फॉर-वोट घोटाले के रूप में जाना जाता है।
परिणाम स्वरूप कुलस्ते साल 2009 में लोकसभा चुनाव हार थे।
- विधानसभा चुनाव हार गए थे कुलस्ते
गोंड जनजाति से आने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री कुलस्ते सातवीं बार पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
बीजेपी ने उन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव में निवास विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था, जहां उनका गांव स्थित है,
लेकिन 30 साल तक मंत्री और सांसद रहने के बावजूद वे कांग्रेस उम्मीदवार चैनसिंह वरकड़े से 9,723 वोटों से हार गए। कुलस्ते पर भाई- भतीजावाद के आरोप भी लगते रहे।
- जल संकट बड़ा स्थानीय मुद्दा
केंद्र की नल जल योजना का भी मंडला लोकसभा (Mandla Lok Sabha Seat) के वोटर्स को अब तक पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाया है।
कुलस्ते के विधानसभा क्षेत्र निवास में ही केवल 60 फीसदी घरों में पीने का पानी आ पा रहा है।
आज भी लोग दूर दूर से पीने का पानी लाने के लिए मजबूर हैं। सिंचाई के लिए पानी बिलकुल उपलब्ध नहीं है और यहां की खेती बारिश पर निर्भर है।
ये हालात तब हैं,जबकि नर्मदा नदी मंडला से केवल 15 किलोमीटर दूर है। सिंचाई की नर्मदा से सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं है।
- विधानसभा की आठ सीटें में पांच पर कांग्रेस
मंडला (Mandla Lok Sabha Seat) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है, जिसमें आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं –
निवास, डिंडोरी, शाहपुरा, बिछिया, मंडला, लखनादौन (सभी एसटी), गोटेगांव (एससी) और केवलारी (सामान्य)।
इनमें से शाहपुरा, मंडला और गोटेगांव में बीजेपी के विधायक हैं, जबकि बाकी पांच पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।
- मंडला क्षेत्र में गरीबी बहुत ज्यादा
मंडला लोकसभा (Mandla Lok Sabha Seat) में विशाल वन क्षेत्र में फैले इस निर्वाचन क्षेत्र में गांवों तक जाने के लिए अच्छी सड़कें हैं, लेकिन इस क्षेत्र में गरीबी बहुत ज्यादा है।
ज्यादातर आदिवासी मजदूरी और दूसरे छोटे-मोटे काम करके अपना जीवन यापन करते हैं।
ग्रामीण को यहां ज्यादा काम नहीं मिलता और उन्हें काम के लिए जबलपुर या नागपुर या दूसरे शहरों में जाना पड़ता है।
- नहीं मिली पीएम आवास की पूरी राशि
कई स्थानीय लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है, लेकिन उनकी शिकायत है कि उन्हें पूरी राशि नहीं मिली।
एक ग्रामीण ने बताया कि घर के लिए 1,50,000 रुपए में से हमें केवल 1,30,000 रुपए मिलते हैं। बाकी पैसे शौचालय (स्वच्छ भारत मिशन के तहत) और मजदूरी के लिए काट लिए जाते हैं।
- ग्रामीणों की यह भी शिकायत
हालांकि मंडला में मुफ्त खाद्यान्न योजना सफल रही है और गुणवत्ता और आपूर्ति पर कोई शिकायत नहीं है,
लेकिन कुछ ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें ज्यादा अनाज खरीदना पड़ता है क्योंकि उनका कोटा पर्याप्त नहीं है।
कांग्रेस से ओमकार सिंह मरकाम उम्मीदवार
कांग्रेस ने डिंडोरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम को अपना उम्मीदवार बनाया है।
मरकाम तीसरी बार विधायक बने हैं, उन्होंने 2008, 2013 और 2023 में जीत दर्ज की है।
कुलस्ते की तरह गोंड आदिवासी होने के कारण उनकी लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर की ओर बढ़ता दिख रहा है।
जानकारों का कहना है कि वोटर्स का मन जीतने में मरकाम बहुत आगे हैं।
कुलस्ते के विरोध का मरकाम को मिलेगा लाभ
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुलस्ते ने आमजनता के बजाय अपने परिवार के लोगों का प्राथमिकता दी है।
कुलस्ते के भाई राम प्यारे निवास से तीन बार (2003, 2008, 2013) विधायक रहे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनावों में वे हार गए, जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार बनाई।
बीजेपी ने 2023 में निवास से उनकी जगह फग्गन सिंह को टिकट दिया। साथ ही कुलस्ते अपनी बहन को पंचायत चुनाव में उतारा।
इससे पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं में नाराजी है।
स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोप भी कांग्रेस के लिए फायदा का सौदा बन सकते हैं।
मंडला में बदलाव की चर्चा
मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि जनता मंडला (Mandla Lok Sabha Seat) में बदलाव की बात कह रही है।
हालांकि पिछले तीन लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मंडला लोकसभा चुनाव से 48.59 फीसदी वोट मिले थे।
जबकि कांग्रेस को 42.15 प्रतिशत।
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मंडला में पहले चरण में मतदान
मंडला में पहले ही चरण में वोटिंग है। दोनों उम्मीदवारों की किस्मत 19 अप्रैल को ईवीएम में कैद हो जाएगी।
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