Maharashtra Politics News: महाराष्ट्र के पिंपरी-चिंचवाड़ में अजित गुट की एसीपी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। विधानसभा चुनाव 2024 से पहले उनकी पार्टी एनसीपी (अजित गुट) की पिंपरी-चिंचवाड़ यूनिट के चार दिग्गज नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है।
इस चार वरिष्ठ नेताओं के पार्टी को छोड़ने के बाद कयास लगाई जा रही है कि वह जल्द ही शरद पवार की गुट वाली एनसीपी में शामिल हो सकते हैं। एनसीपी (अजित गुट) की पिंपरी-चिंचवाड़ यूनिट के चीफ अजित गवाहाने, पिंपरी-चिंचवाड़ छात्र विंग के प्रमुख यश साने, पूर्व पार्षद राहुल भोसले और पंकज भालेकर ने पार्टी से त्याग पत्र सौंप दिया है।
गुप्त सूत्रों ने बताया कि महायुति में एनसीपी के लिए भोसरी (Bhosari) विधानसभा सीट जीतने में उनकी सभी कोशिशें नाकाम रही थी, जिसके बाद पिंपरी-चिंचवाड़ यूनिट के चीफ अजित गवाहाने ने पार्टी को इस्तीफा दे दिया था।
शरद पवार का MVA में दमदार प्रदर्शन
लोकसभा चुनावों में महा विकास अघाड़ी (MVA) ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को चौंकाते हुए 40 में से 30 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को इन चुनावों में महज एक सीट (रायगढ़) पर जीत मिली थी, जबकि उनके चाचा शरद पवार वाली एनसीपी गुट ने 48 में से 8 सीटों पर जीत हासिल की थी।
इस्तीफा देने का एक कारण यह भी है कि अजित पवार के खेमे में शामिल कुछ बड़े नेता शरद पवार के खेमे में वापस लौटने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। बीते दिनों में खुद शरद पवार ने यह दावा भी किया था कि अलग हुए एनसीपी गुट के कुछ विधायकों ने उनकी पार्टी के सीनियर नेता जयंत पाटिल से मुलाकात की थी।
भुजबल भी शरद पवार से मिला सकते हैं हाथ
इसी बीच यह भी अटकलें लग रही हैं कि महाराष्ट्र के मंत्री और सीनियर एनसीपी नेता छगन भुजबल अजित पवार गुट का साथ छोड़ सकते हैं। पिछले महीने महाविकास अघाड़ी की सहयोगी पार्टी शिवसेना (UBT) के एक वरिष्ठ नेता ने भुजबल से मुलाकात की थी।
गुप्त सूत्रों के हवाले से पता चला है कि भुजबल अजित पवार की पार्टी से नाराज चल रहे हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में अजित पवार ने लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी पत्नी सुनेत्रा को बारामती लोकसभा सीट से हराने के बाद राज्यसभा सांसद के लिए मनोनीत किया था।
सुनेत्रा को सुप्रिया सुले ने शिकस्त दी थी। वहीं, ओबीसी के प्रभावशाली नेता छगन भुजबल राज्यसभा सीट और उसके बाद केंद्रीय मंत्री पद के लिए कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनकी यह कोशिश नाकाम रही थी। यही कारण है कि चार बड़े नेताओं के जाने के बाद छगन भुजबल भी पार्टी से इस्तीफा देकर शरद पवार के गुट में लौट सकते हैं।
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