Maharashtra Political Crisis: नहीं थम रहा सियासी भूचाल, क्या आज शिंदे थाम लेगें भाजपा का दामन…

महाराष्ट्र। Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में सियासी समीकरण जहां पर बिगड़ता जा रहा है वहीं पर उद्धव सरकार पर मंत्री शिंदे का हमला लगातार जारी है शिंदे की महाशक्ति के बाद अब आज बड़ा ऐलान सामने आ सकता है जहां पर शिंदे अपने विधायकों के साथ भाजपा का हाथ थाम सकते है।
डिप्टी स्पीकर नरहरि को शिंदे की चिट्ठी
आपको बताते चलें कि, महाराष्ट्र के महासंग्राम में शिंदे के बगावती तेवर ने बीते दिन गुरूवार को डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को एक चिट्ठी भेजी है, जिसमें उनके समर्थन में 37 विधायकों के हस्ताक्षर रहे जिसमें इस चिट्ठी की एक-एक कॉपी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और विधान परिषद के सचिव राजेंद्र भागवत को भी भेजी है। शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बताया कि, हमने डिप्टी स्पीकर (महाराष्ट्र विधानसभा) के समक्ष याचिका दायर की है और मांग की है कि 12 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए क्योंकि वे कल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बताते चलें कि, बीते दिन विधायकों की बढ़ती संख्या के बाद शिंदे के महाशक्ति आ गई है। शिंदे कैंप को अब तक 14 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल चुका है।
एकनाथ शिंदे ने किया था ट्वीट
आपको बताते चलें कि, बागी विधायकों के अयोग्यता प्रमाणित नाम सामने आने पर एकनाथ शिंदे ने ट्वीट किया था जिसमें कहा था कि, आप अयोग्यता के लिए 12 विधायकों के नाम बताकर हमें डरा नहीं सकते क्योंकि हम शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के अनुयायी हैं। हम कानून जानते हैं, इसलिए हम धमकियों पर ध्यान नहीं देते हैं।” इनमें 1. एकनाथ शिंदे 2. प्रकाश सुर्वे 3. तानाजी सावंतो 4. महेश शिंदे 5. अब्दुल सत्तारी 6. संदीप भुमरे 7. भरत गोगावाले 8. संजय शिरसातो 9. यामिनी यादव 10. अनिल बाबरी 11. बालाजी देवदास 12. लता चौधरी के नाम थे।
बागी विधायक संजय शिरसाट का बयान
इस मामले में बागी विधायक शिरसाट का बयान चर्चा में आया है जहां उन्होंने कहा कि, पहले कई बार विधायकों ने उद्धव जी से कहा था कि कांग्रेस हो या NCP, दोनों ही शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। कई बार विधायकों ने उद्धव जी से मिलने के लिए समय मांगा लेकिन वे उनसे कभी नहीं मिले: गुवाहाटी में शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट, गुवाहाटी (23.06)यदि आप शिवसेना के किसी विधायक के निर्वाचन क्षेत्र को देखें तो तहसीलदार से लेकर राजस्व अधिकारी तक कोई भी अधिकारी विधायक के परामर्श से नियुक्त नहीं किया जाता है। यह बात हमने उद्धव जी को कई बार बताई लेकिन उन्होंने कभी इसका जवाब नहीं दिया।
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