Maharashtra-Karnataka Dipute: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद को लेकर बुधवार को एक अहम बैठक हुई। जिसमें गृहमंत्री अमित शाह ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। बैठक के दौरान सीमा विवाद सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से छह सदस्यीय संयुक्त मंत्रिस्तरीय समिति गठित करने को कहा।
कोई दावा नहीं करें
शाह ने दोनों राज्यों से अपील भी की कि जब तक उच्चतम न्यायालय इस विवाद पर अपना फैसला नहीं सुना देता, तब तक कोई दावा नहीं करें। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के उनके समकक्ष बसवराज बोम्मई के साथ एक बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि सीमा विवाद का हल सड़कों पर नहीं, बल्कि सिर्फ संवैधानिक तरीकों से किया जा सकता है। बता दें कि पिछले सप्ताह सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को तलब किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री ने यहां बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैंने संवैधानिक तरीकों से दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को फोन किया था। ’’ महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र भी बैठक में उपस्थित थे। उन्होंने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘ इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करने के लिए दोनों पक्षों के तीन-तीन मंत्रियों की एक टीम बनाई जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जो निर्णय लिए गए हैं, वे जमीनी स्तर पर लागू हों। ’’
जानें पूरा विवाद
दरअसल, मामले के शुरूआत की कहानी 1956 से शुरू होती है, जब भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का काम चल रहा था। उस वक्त महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने बेलगावी (पहले बेलगाम), निप्पणी, कारावार, खानापुर और नंदगाड सहित 814 को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी। लेकिन उनकी मांग के उलट पूर्व जज मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में एक आयोग ने निप्पणी, खानापुर और नांदगाड सहित 262 गांव महाराष्ट्र में शामिल करने की पेशकश की। यह महाराष्ट्र की पसंद नहीं आया। क्योंकि महाराष्ट्र बेलगावी सहित 814 गांवों की मांग कर रहा था।
यही वजह है कि जो बेलगावी जिला फिलहाल कर्नाटक में है उसे महाराष्ट्र चाहता है कि वह जिला उसके राज्य में हो। इसके साथ ही महाराष्ट्र 814 अन्य गांवों पर भी अपना हक मानता है। लेकिन कर्नाटक सरकार को यह मंजूर नहीं और फिर यहां से शुरू हो जाती है सीमा विवाद की कहानी। कभी कर्नाटक में जाने वाली महाराष्ट्र की बसों में तोड़फोड़ की जाती है तो कभी महाराष्ट्र में खड़ी कर्नाटक की बसों में। अंत में बताते चलें कि साल 2006 में इस मामले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया था कि इस मसले को आपसी बातचीत से हल किया जाना चाहिए।