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Mahant Narendra Giri Suicide: जानिए मौत के पीछे की पूरी कहानी, कहां से उठा था विवाद और कैसे हुआ इसका अंत?

Mahant Narendra Giri Suicide: जानिए मौत के पीछे की पूरी कहानी, कहां से उठा था विवाद और कैसे हुआ इसका अंत? Mahant Narendra Giri Suicide: Know the full story behind the death of Mahant Narendra Giri, where did the controversy arise and how did it end? NKP

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Bansal Digital Desk
Mahant Narendra Giri Suicide: जानिए मौत के पीछे की पूरी कहानी, कहां से उठा था विवाद और कैसे हुआ इसका अंत?

नई दिल्ली। सोमवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनका शव प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ के एक कमरे में फांसी के फंदे से लटकता मिला था। शव के पास एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें शिष्य आनंद गिरि समेत कई लोगों के नाम शामिल हैं। इस मामले में आनंद गिरि समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बतादें कि नरेंद्र गिरि का पहले भी कई बार विवादों में रह चुके हैं। आइए पहले यह जानते हैं कौन थे महंत नरेंद्र गिरि

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कौन हैं नरेंद्र गिरि?

नरेंद्र गिरि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे और राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़े हुए थे। बतादें कि साल 2019 में 13 अखाड़ों की बैठक में उन्हें दोबारा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था। इसके अलावा नरेंद्र गिरि प्रयागराज, संगम तट पर लेटे हनुमान मंदिर के भी मुख्य पुजारी थे। नरेंद्र गिरि के रसूख का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि राज्य में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो सभी सरकारों ने उनका सम्मान किया है। चाहे वो सपा, बसपा या फिर भाजपा ही क्यों न हो। मुलायम सिंह यादव और नरेंद्र गिरि के रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। साल 2017 के बाद महंत नरेंद्र गिरी भाजपा के करीब आ गए। क्योंकि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और नरेंद्र गिरि संत समाज से आते हैं और दोनों के रिश्ते काफी अच्छे थे।

हरिद्वार में सिखा संतई

नरेंद्र गिरि मुख्यरूप से प्रयागराज के रहने वाले थे। लेकिन उनका बचपन हरिद्वार स्थित पंचायती अखाड़े में बीता। हरिद्वार में ही उन्होंने गंगातट पर संतई और नेतृत्व करने का गुण सीखा था। कई साल हरिद्वार पंचायती अखाड़े में बीताने के बाद वे प्रयागराज लौटे। जहां उन्हें बाघंबरी गद्दी का श्रीमहंत बनाया गया था। पंचायती अखाड़े में हनुमान जी की सेवा करने के बाद ही उन्हें बाघंबर गद्दी में बैठने का अवसर मिला था।

विवादों से था गहरा नाता

संत समाज में नरेंद्र गिरि का जितना बड़ा कद था, उनका विवादों से भी उतना ही गहरा नाता था। उनका अपने शिष्य आनंद गिरि से विवाद किसी से छिपा नहीं है। दोनों के बीच मठ और संपत्ति को लेकर काफी लंबे समय से विवाद चलता आ रहा है। हाल ही में आखाड़े से निष्कासित उनके शिष्य आनंद गिरि ने एक वीडियो जारी करके नरेंद्र गिरि पर निशाना साधा था। ये वीडियो एक शादी समारोह का था, जसमें बार-बालाओं के डांस और पैसे उड़ाए जा रहे थे। आनंद गिरि ने अपने गुरू नरेंद्र गिरि पर आरोप लगाया था कि शादी में जितना भी पैसा खर्च हुआ है वह सब लेटे हुए हनुमान जी मंदिर का है। शादी की सारी खरीदारी भी मठ के पैसों से ही हुई है।

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सफाई में महंत ने क्या कहा था?

इस आरोप के बाद महंत नरेंद्र गिरि ने सफाई में कहा था कि मेरा शादी में हुए खर्चों से कोई लेना देना नहीं है। मैं बस वहां वर-वधू को आशीर्वाद देने गया था। वहां नोटों की बारिश भी नहीं हो रही थी। दूल्हे के माता-पिता बस न्यौछावर डाल रहे थे। बतादें कि नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामले में गिरफ्तार शिष्य आनंद गिरि ने मठ को लेकर मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था।

आशीष गिरी की संदिग्ध मौत पर भी सवाल खड़े किए थे

इस विवाद से पहले भी आनंद गिरि ने साल 2019 में निरंजनी अखाड़े के पूर्व सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध मौत को हत्या करार देते हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि पर आरोप लगाया था कि उन्होंने जमीन घोटाला करके ऐसा माहौल बनाया कि महंत आशीष गिरि की लाश कमरे में मिली। तब आनंद गिरि ने CM योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की थी।

सभी आरोपों को खारिज किया था

आनंद गिरि का कहना था कि निरंजनी अखाड़े के पूर्व सचिव आशीष गिरि ने कोरोड़ों की जमीनों को बेचने का विरोध किया था। इसलिए उनकी हत्या की गई है। साथ ही उन्होंने अपनी हत्या कराए जाने का भी शक जाहिर किया था। हालांकि, इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए नरेंद्र गिरि ने कहा था कि बाघंबरी गद्दी मठ की एक इंच जमीन न तो बिकी है और न ही बिकने दी जाएगी। इस तरह की बातें निराधार और मनगढ़ंत रूप से कही जा रही हैं।

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आनंद गिरि का भी है विवादों से पुराना नाता

बतादें कि, गिरफ्तार शिष्य आनंद गिरि पर भी कई बार गंभीर आरोप लगते रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में उनके उपर दो महिलाओं के साथ मारपीट का आरोप लगा था। आरोप के मुताबिक उन्हें दो अवसरों पर हिंदू प्रार्थना के लिए अपने घरों में आमंत्रित किया गया था। जहां 2016 में उन्होंने अपने घर के बेडरूम में एक 29 वर्षीय महिला के साथ कथित तौर पर मारपीट की। इसके बाद 2018 में, गिरि ने लाउंज रूम में 34 वर्षीय एक महिला के साथ कथित तौर पर मारपीट की। हालांकि बाद में दोनों महिलाओं ने इन आरोपों को वापस ले लिया था और आनंद गिरी कोर्ट से बरी हो गए थे। मडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आनंद गिरि को इस मामले से निकालने में उनके गुरू नरेंद्र गिरि ने मदद की थी।

उनकी एक तस्वीर काफी वायरल हुई थी

इसके अलावा साल 2020 में स्वामी आनंद गिरि की एक तस्वीर काफी वायरल हुई थी। जिसमें वे एक फ्लाइट के बिज़नेस क्लास में बैठे हैं और उनकी सीट के होल्डिंग पर शराब से भरा एक ग्लास रखा हुआ है। इस तस्वीर के वायरल होने के बाद उनकी काफी किरकिरी हुई थी। हालांकि, बाद में सफाई देते हुए आनद गिरि ने कहा था कि वह शराब नहीं एप्पल जूस था। उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।

देश-विदेश में घूमकर योग की ट्रेनिंग देते हैं

बता दें कि आनंद गिरि ने महज 10 साल की उम्र में नरेंद्र गिरि के संरक्षण में दीक्षा ली थी। इसके बाद संन्यासी के रूप में ही उन्होंने संस्कृत ग्रामर, आयुर्वेद और वेदिक फिलॉसफी की शिक्षा ली। बीएचयू से ग्रैजुएट आनंद गिरि योग तंत्र में पीएचडी भी की है। वे देश-विदेश में घूमकर मंत्रयोग, हठयोग, राजयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और कर्मयोग की ट्रेनिंग देते हैं। हालांकि, अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें उनके गुरु नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।

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वहीं पुलिस के सामने ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है

1- पुलिस के मुताबिक मामला खुदकुशी का लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर महंत ने जान देने जैसा कदम क्यों उठाया?

2- पुलिस की थ्योरी सच मानी जाए तो आत्महत्या जैसा कदम उठाने से पहले क्या उनकी मनोदशा ऐसी थी कि इतना लंबा चौड़ा सुसाइड नोट लिख सकें।

3- मौके से मिले सुसाइड नोट में आनंद गिरि का भी नाम लिखा है तो क्या आनंद गिरि उन्हें किसी बात को लेकर परेशान कर रहे थे?

4- महंत की मौत के बाद शिष्यों ने आखिर पुलिस के आने से पहले ही दरवाजा क्यों तोड़ा? इतना ही नहीं उनका शव भी फंदे से नीचे उतार लिया?

5- सूचना पर आला पुलिस अफसरों ने आखिर इस बात के लिए निर्देशित क्यों नहीं किया कि फोरेंसिक टीम के मौके पर पहुंचने से पहले शव को न छुआ जाए?

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