Mahakumbh 2025: UP के प्रयागराज महाकुंभ में आचार्य विद्यासागर के “एक राष्ट्र-एक नाम” आव्हान को आगे बढ़ाते हुए संतों ने एक अभियान शुरू किया है। जिसे लेकर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, जनता की आवाज फाउंडेशन और वैश्विक हिंदी सम्मेलन की संयुक्त तत्वाधान में महाकुंभ में एक राष्ट्र, एक नाम भारत विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें आव्हान किया गया है कि “इंडिया नहीं भारत कहें”।
महाकुंभ के मेला क्षेत्र में अनेक बैनर लगे हैं। इनमें लिखा है- भारत नाम अपनाएं, इडिया नाम हटाएं, भारत के नक्शे के साथ लिखा है ‘मुझको इंडिया मत कहना, मैं भारत हूं।’ बैनरों में भारत और इंडिया नाम के अर्थ के साथ-साथ भारत नाम की प्राचीनता और गौरव के संबंध में जानकारी दी गई है। इस कारण यह मामला महाकुंभ में चर्चा का विषय बना हुआ है।
आचार्य विद्यासागर संदेश पर अभियान जारी
जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने संदेश दिया था कि हमारे देश का नाम इंडिया नहीं भारत होना चाहिए। आचार्य श्री के इस संदेश को लेकर अब महाकुंभ में बहुत बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। महाकुंभ में ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ के आयोजित ज्ञान महाकुंभ के अंतर्गत ‘एक राष्ट्र, एक नाम: भारत’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
‘जब राष्ट्र एक है तो नाम भी एक ही होना चाहिए’
राष्ट्रीय संगोष्ठी में शिक्षा संस्कृति उत्पन्न न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने कहा कि जब राष्ट्र एक है तो नाम भी एक ही होना चाहिए। नाम का कभी अनुवाद नहीं होता तो भारत का अंग्रेजी में इंडिया क्यों होना चाहिए? शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, जनता की आवाज फाउंडेशन और वैश्विक हिंदी सम्मेलन की संयुक्त तत्वाधान में महाकुंभ में एक राष्ट्र, एक नाम भारत विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि पद पर विराजित दक्षिण के सुप्रसिद्ध संत श्री एम गुरु ने कहा कि हमारे देश का नाम केवल भारत होना चाहिए इसमें प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए और उसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए।
प्रौद्योगिकी संस्थानों में इंडिया के बजाय भारत
विशिष्ट अतिथियों में स्वामी आनंद स्वरूप सरस्वती ने भी भारत नाम की पैरवी करते हुए इस आंदोलन को सशक्त करने की बात कही। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान प्रयागराज के निदेशक प्रो. मुकुल सुतावणे ने कहा कि उनका संस्थान भी इस संबंध में एक प्रयास करेगा, कि सभी प्रौद्योगिकी संस्थानों में इंडिया के बजाय भारत का ही प्रयोग किया जाए।
‘मेड इन इंडिया के बजाए मेड इन भारत’
डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’, निदेशक वैश्विक हिंदी सम्मेलन ने बीज वक्तव्य के अंतर्गत भारत नाम के इतिहास और इसके लिए समय-समय पर संसद और विधानसभा आदि में की जाने वाली मांग आदि का विवरण दिया। जनता की आवाज फाउंडेशन के अध्यक्ष सुंदरलाल बोथरा ने कहा- उनका प्रयास रहेगा कि सभी औद्योगिक और व्यावसायिक संगठन ‘मेड इन इंडिया के बजाय मेड इन भारत का प्रयोग करें।
देश से बाहर एक्सपोर्ट होने वाले सामान पर ‘भारत’
द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि तथा उद्योगपति और जैन इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन (जिओ) के अध्यक्ष घेवरचंद बोहरा ने कहा- उनका प्रयास होगा कि जिओ के सदस्य राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निर्यात किए जाने वाले सामान पर अंग्रेजी में भी भारत नाम का ही प्रयोग करें। कार्यक्रम में भारत नाम प्रतिष्ठित करने के संबंध में संकल्प – पत्र प्रस्तुत किया गया। आयोजन में देश के विभिन्न भागों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
MP के विश्वविद्यालयों में इंडिया की जगह अब भारत
मध्य प्रदेश में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर और विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा सभी परियोजनाओं के लिए इंडिया के स्थान पर भारत का प्रयोग करने की घोषणा के चलते उनके लिए अभिनंदन पत्र प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम मेंं साध्वी समदर्शी गिरी सहित विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार रखे।
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