महाकाल मंदिर में खुदाई के दौरान मिली करीब 1000 साल पुरानी दीवार, रूका काम

उज्जैन: महाकाल मंदिर परिसर में खुदाई का काम चल रहा है। इस दौरान वहां प्राचीन दीवार मिली है, इस दीवार पर नक्काशियां की हुई है। खुदाई का काम फिलहाल दीवार के मिलने के बाद रोक दिया गया है। मंदिर प्रशासन को जब दीवार मिलने की सूचना मिली तो मंदिर प्रशासन समिति के सदस्यों ने मौके पर पहुंच कर पुरातत्व विभाग को सूचना दी। दीवार को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि यह करीब 1000 साल पुरानी है।
दरअसल, उज्जैन स्मार्ट सिटी के अंतर्गत उज्जैन के अन्य शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ महाकाल मंदिर का भी विस्तारीकरण किया जा रहा है। वही गत दिनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी आदेशित किया गया है कि महाकाल मंदिर से 500 मीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया जाए। साथ ही मंदिर परिसर अपने मूल स्वरूप में रहे। इसी के दौरान शुक्रवार को जब मंदिर परिसर में खुदाई की जा रही थी तो करीब 20 फीट नीचे खुदाई के दौरान पत्थरों की एक प्राचीन दीवार काम कर रहे लोगों को नजर आई, जिसके बाद तुरंत मंदिर प्रशासन को इसके बारे में बताया और पुरातत्व विभाग को इसकी सूचना दी जिसके बाद खुदाई का काम हाल फिलहाल रोक दिया गया है।
पुरातत्व विभाग का कहना दीवार की लिपि परमार वंश के समान
मौके पर पुहुंचे पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिलालेखों की पड़ताल की। पड़ताल में यह सामने आया है कि यह कोई शिलालेख नहीं है बल्कि यह 11 वीं शताब्दी का पुराना मंदिर है जिसे यदि सावधानीपूर्वक खुद आ जाए तो महाकाल मंदिर का पुराना स्वरूप सामने आ सकता है जो 11वीं शताब्दी में हुआ करता था। वही दूसरी तरफ पुरातत्व की टीम का यह भी कहना है कि दिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार वंश द्वारा कराया गया था, क्योंकि इसकी जो लिपि है वह परमार वंश के समकालीन है।
ज्योतिषाचार्यों का यह कहना
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि मुगलकाल में मंदिर को नष्ट किया गया था और बाद में मराठा शासकों के समय मंदिर का फिर से निर्माण कराया गया था। अंदेशा है कि जब मंदिर को ध्वस्त किया गया था तब मंदिर का प्राचीन हिस्सा जमीन में दबा रह गया होगा और बाद में उसी ऊपर नया निर्माण हो गया होगा। अवशेष किस काल का है और दीवार पर किस तरह की शिल्प है इसके बारे में पुरातत्व विभाग ही कुछ बता सकता है। पुरातत्व विभाग को मंदिर के आसपास खुदाई करानी चाहिए।