Mahakal Lok : मध्यप्रदेश के इतिहास में 11 अक्टूबर 2022 की तारीख स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी, क्योंकि 11 अक्टूबर 2022 को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मध्यप्रदेश में बाबा महाकाली की नगरी उज्जैन में बने महाकाल लोक (Mahakal Lok) का लोकार्पण करने वाले है। बाबा महाकाल मंदिर में पहले भी कई निर्माण कार्य हुए, लेकिन इस बार जो निर्माण कार्य किया गया है वो काफी भव्य और अलौकिक है। महाकाल लोक (Mahakal Lok) को बनाने में कई परेशानियां आई लेकिन शिवराज सरकार ने डटकर मुकाबला कर अपनी पूरी ताकत झौंक दी।
महाकाल लोक (Mahakal Lok) के प्रोजेक्ट को पूरा करने में करीब 5 साल का समय लगा। स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य सराकार और केन्द्र सरकार ने प्रोजेक्ट को पूरा करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। सरकार के मन में महाकाल लोक बनाने का विचार तब आया जब उज्जैन को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया था। एक वजह यह भी रही की बाबा महाकाल का मंदिर देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है, जिसके चलते मंदिर में भीड़ काफी हो जाती है। ऐसे में भक्तों को बाबा के सही से दर्शन मिले इसके लिए महाकाल लोक (Mahakal Lok) के निर्माण को बल मिला। सबसे पहले राज्य सरकार ने पांच साल पहले इसकी सहमति दी थी, उस समय मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार थी। उस समय कमलनाथ सरकार ने इस योजना के लिए 300 करोड़ रूपए स्वीकृत किए थे। इसके बाद तय किया गया कि महाकाल मंदिर के पीछे रूद्रसागर को भी शामिल किया जाए। उस समय साल 2017 में इसके लिए 870 करोड़ रूपये मंजूर किए गए थे। इसके बाद महाकाल लोक (Mahakal Lok) का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया, हालांकि कोरोना काल में प्रोजेक्ट की गति कम हुई लेकिन काम नहीं रूका।
सरकार ने किया कई चुनौतियों का सामना
एक कहावत है जब भी कोई काम शुरू होता है तो कई चुनौतियां का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही महाकाल लोक (Mahakal Lok) के निर्माण में भी हुआ। जिस जगह पर महाकाल लोक (Mahakal Lok) का निर्माण किया गया है। वहां पर कई बस्तियां थी। उस जगह पर करीब 800 से अधिक परिवार रहते थे। राज्य सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती थी उनको दूसरी जगह शिफ्ट करना और उन्हें इसके लिए राजी करना। ऐसे में सरकार ने यह भी विचार किया कि घर शिफ्ट करने में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान नहीं हो। राज्य सरकार ने लोगों को मनाया और उन्हें मुआवजा देकर मकान खाली कराए गए।
रुद्रसागर बना दूसरी चुनौती
सरकार के सामने दूसरी चुनौती रूद्रसागर भी बना। दरअसल, महाकाल मंदिर के ठीक पीछे एक कुंड है, जिसे रुद्रसागर कहते हैं। इस कुंड में नालों का गंदा पानी आकर गिरता था और जलकुंभी इतनी कि पानी तक नजर नहीं आता था। इसे साफ करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती था। सबसे पहले जलकुंभी हटाई गई, जिसमें 40 लोगों के लगभग 45 दिन तक काम किया। इसके बाद तालाब की खुदाई कर 5 सीवेज पॉइंट को बंद किया गया, ताकि गंदा पानी रुद्रसागर में आकर न मिले। रुद्रासागर को साफ पानी से भरने के लिए क्षिप्रा नदी को इससे जोड़ा गया। इस पूरे प्रोजेक्ट में लगभग 20 करोड़ का खर्च आया।
भक्तों को मिलेगी ये सुविधाएं
महाकाल लोक (Mahakal Lok) में भक्तों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया है। महाकाल लोक (Mahakal Lok) में पूजन सामग्री से लेकर रेस्टोरेंट भी होंगे। महाकाल लोक का वातारण भक्तिमय रहेगा। इसके अलावा महाकाल लोक में भक्तो को आराम और बैठने के लिए कई पांइट बनाए गए है। वही सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। महाकाल लोक (Mahakal Lok) में एक पार्किंग भी बनाई गई है, जिसमें एक बार में करीब 600 से अधिका वाहन खड़े हो सकते है। महाकाल लोक (Mahakal Lok) में प्रवेश करने के लिए 4 द्वार बनाए गए हैं। महाकाल लोक का मुख्य द्वार नंदी है। नंदी द्वार से प्रवेश करते ही भगवान श्रीगणेश के दर्शन होंगे। महाकाल लोक (Mahakal Lok) में कुल 81 म्यूरल बने हैं। यहां अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान की गई है। जिनमें 18 फीट की 8 प्रतिमाएं, 15 फीट की 23 प्रतिमाएं, 11 फीट की 17 प्रतिमाएं, 10 फीट की 8 प्रतिमाएं और 9 फीट की 19 प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। महाकाल लोक (Mahakal Lok) में कुल 75 प्रतिमाएं स्थापित की गई है।