MP Para Cyclist Tanya: एक पैर से साइकल चलाकर कश्मीर से कन्याकुमारी पहुंचीं तान्या, CM बोले- हौसलों के आगे बाधाएं नतमस्तक

MP Para Cyclist: एक पैर से साइकल चला कश्मीर से कन्याकुमारी पहुंचीं तान्या, CM बोले- हौसलों के आगे बाधाएं नतमस्तक

Para Cyclist Tanya Daga: ऐसा कहा जाता है कि, जब हौसले बुलंद हों और अपने सपनों को पूरा करने का जुनून हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता। कुछ इसी तरह की मिसाल पेश की है मध्य प्रदेश की बेटी तान्या डागा ने। तान्या ने करीब दो साल पहले एक हादसे में अपना एक पैर गंवा दिया था। इसके बाद महीनों तक बिस्तर पर पड़े रहने के बाद भी तान्या का हौसला नहीं डगमगाया और वह एक पैर से साइकल चलाकर कश्मीर से कन्याकुमारी के सफर पर निकल पड़ीं।

इसी बीच पिता का निधन होने पर भी तान्या ने हिम्मत नहीं हारी और 42 दिन में 2800 किलोमीटर की यात्रा तय कर नया इतिहास रच दिया। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तान्या के इस जज्बे की सराहना करते हुए शुभकामनाएं दी हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने ट्वीट कर तान्या की तारीफ करते हुए लिखा, ‘साहस और हौसला हो तो बाधाएं नतमस्तक हो जाती हैं। हमारी पैरा साइक्लिस्ट बेटी तान्या ने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी तय कर मध्यप्रदेश का शीश गौरव से ऊंचा कर दिया है। बेटी जीवन की हर चुनौती को परास्त कर ऐसे ही आगे बढ़ती रहो, मेरी शुभकामनाएं सदैव तुम्हारे साथ हैं।’

मध्य प्रदेश की बेटी और भारत की इकलौती महिला पैरा साइकलिस्ट तान्या डागा ने हाल ही में एक पैर से साइकल चलाकर 42 दिन में जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी (Jammu Kashmir To Kanyakumari) तक 2800 किमी की दूरी तय की है।

अभियान के दौरान ही हुई थी पिता की मौत
तान्या डागा इन्फिनिटी राइड K2K 2020 अभियान का हिस्सा थीं। आदित्य मेहता फाउंडेशन और बीएसएफ ने इसका आयोजन किया था। 30 सदस्यीय टीम में तान्या अकेली पैरा साइकलिस्ट थीं। यह पूरे देश में पैरा स्पोर्ट्स के बारे में पैसा जुटाने और जागरूकता फैलाने के लिए एक चैरिटी मिशन था। इसी अभियान के दौरान तान्या के पिता का निधन हो गया था। जिसकी वजह से वह एक सप्ताह के लिए वापस आ गई थीं और अपनी यात्रा फिर से शुरू की।

तान्या ने बताया, 19 नवंबर 2020 को अभियान शुरू किया था जोकि 31 दिसंबर 2020 को पूरा हुआ, लेकिन इसी बीच 18 दिसंबर को पिता आलोक डागा को खो दिया। जब पिता का निधन हुआ उस वक्त तान्या हैदराबाद में थी, अभियान के दौरान ही वह वापस आ गई और अपने परिवार के साथ रहीं, कुछ दिन बाद फिर से अभियान में चली गईं।

पूरा करना था पिता का सपना-तान्या
तान्या ने कहा, यह मेरे पिता का सपना था कि मैं अपने इस मिशन पूरा करूं। इसलिए मैं किसी भी हालत में उनके इस सपने को पूरा करना चाहती थी।  मैं पिता की मौत से बिखर गई थी, लेकिन उनके सपने को जीने के लिए मैं दोबारा अभियान में शामिल हुई।

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