भोपाल। विजया राजे सिंधिया और माधवराव सिंधिया के किस्से मध्य प्रदेश की राजनीति में काफी पॉपुलर है। एक मां अपने बेटे से इस कदर खफा हो जाती है कि वो अपने वसीयत नामें में ये लिख देती है कि मेरे जाने के बाद मेरा बेटा अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं होगा। राजमाता, माधवराव से इतना नाराज हो जाती हैं कि एक बार तो उनसे घर में रहने के लिए किराया तक मांग लेती हैं।
क्यों थी दोनों में नाराजगी
दरअसल, राजमाता विजयाराजे सिंधिया (Rajmata vijaya raje scindia) भारतीय जनता पार्टी के संस्थापको में से एक थी, तो जाहिर सी बात है कि वो भाजपा में थी। लेकिन कांग्रेस ने उनके इकलौते बेटे माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) को अपने पाले में कर लिया था। दोनों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। मां और बेटे के बीच जो पारिवारिक रिश्ता था वो धिरे-धिरे कर के खत्म होने लगा। राजमाता ने एक दिन गुस्से में माधव राव से ग्वालियर के जयविलास पैलेस (Jai Vilas Palace) में रहने के लिए किराया मांग लिया। हालांकि ये किराया कुछ खास नहीं था। बस एक रूपया मांगा गया था, लेकिन ये बस इसलिए किया गया था ताकि माधवराव सिंधिया को नीचा दिखाया जाए।
पहले कांग्रेस में ही थीं राजमाता सिंधिया
मालूम हो कि राजमाता सिंधिया जनसंघ के स्थापना से पहले कांग्रेस (Congress) में ही थी। लेकिन जब इंदिरा गांधी ने भारत में राजघरानों को खत्म कर सभी को सरकारी संपत्ती घोषित कर दी तो उनकी इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) से ठन गईं और वो जनसंघ में शामिल हो गई। बेटे माधव राव सिंधिया भी मां के साथ जनसंघ में आ गए थे। लेकिन वो ज्यादा दिन तक जनसंघ (Jana Sangh) में नहीं रहे। कांग्रेस ने माधव को फिर से पार्टी ज्वाइन करवा दिया। इसी बात से राजमाता नाराज हो गईं।
राजमाता ने बेटे पर लगाए कई आरोप
राजमाता ने अपने बेटे पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी (Emergency) के दौरान बेटे के कहने पर ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। उनके सामने ही पुलिस ने राजमाता को लाठियों से पीटा था। यही कारण है कि राजमाता ने मरने से पहले अपने लिखे वसियत में माधव राव सिंधिया को ज्यादा धन नहीं दिए थे। उन्होंने अपने बेटियों को काफी जेवरात और अन्य बेशकीमती वस्तुएं दे दी थीं। यहां तक कि उन्होंने अपने विजयाराजे ट्रस्ट का अध्यक्ष भी माधवराव को नहीं बनाया था। उनके जगह पर उन्होंने अपने राजनीतिक सलाहकार संभाजीराव आंग्रे (Sambhaji Angre) को ट्रस्ट का अध्यक्ष बना दिया था।
जयविलास पैलेस, जिसके लिए मांगा गया था किराया
जिस महल में रहने के लिए माधव राव सिंधिया से उनकी मां ने किराया मांगा था। उसका निर्माण 1874 में कराया गया था। इस पैलेस का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा दरबार हॉल (Darbar Hall)है। इस हॉल में 3500 किलो का झूमर टांगा गया है। कहा जाता है कि झूमरों को छत से टांगने से पहले उसकी मजबूती देखी गई थी। इसके लिए छत पर एक साथ 10 हाथियों को चढ़ा कर देखा गया था। इस झूमर को बेल्जियम के कारीगरों ने बनाया था। वहीं अगर पूरी महल की बता करें तो यह 12 लाख वर्ग फीट में फैला हुआ है। इसमे कुल 400 कमरे हैं। जिसके 40 कमरों को अब म्यूजियम (Museum) बना दिया गया है।