हाइलाइट्स
- लखनऊ में 3.59 लाख वर्गफीट ज़मीन घोटाला उजागर
- हाईकोर्ट ने दबाई गई रिपोर्ट का ब्यौरा मांगा
- 90 से अधिक फर्जी प्लॉट निरस्त होने की तैयारी
Lucknow Land Scam: राजधानी लखनऊ में गोमती नगर विस्तार योजना के तहत करोड़ों की जमीन घोटाले का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। 3.59 लाख वर्गफीट भूमि पर अवैध कब्जे, फर्जी सदस्यता और रसूखदारों को लाभ पहुंचाने के आरोपों से जुड़ी रिपोर्ट अब फाइलों से बाहर निकल आई है। मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए), सहकारिता समितियों और उनके पदाधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा हुआ है। हाईकोर्ट ने अब इस घोटाले की जांच रिपोर्ट और कार्रवाई का पूरा ब्यौरा तलब किया है।
4 साल चली जांच में खुलासा

2020 से 2024 तक चली जांच में हिमालयन सहकारी आवास समिति और बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी समिति ने एलडीए अधिकारियों की मिलीभगत से गोमती नगर और आसपास की बेशकीमती जमीन पर फर्जी तरीके से कब्जा किया। जांच में पता चला कि समितियों ने फर्जी सदस्य बनाकर अवैध तरीके से जमीन आवंटित कर दी।
हिमालयन समिति के पूर्व उपाध्यक्ष तारा सिंह विष्ट ने आरोप लगाया कि एलडीए के पूर्व वीसी बीबी सिंह की पत्नी को भी इस घोटाले में प्लॉट दिया गया। वहीं, प्लॉट पाने वालों में पूर्व चीफ इंजीनियर, जोनल अफसर और न्यायिक अधिकारियों के नाम भी सामने आए हैं।
90 से ज्यादा फर्जी प्लॉट होंगे निरस्त

सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त एएन सिंह के अनुसार, बहुजन निर्बल वर्ग समिति के 90 से ज्यादा फर्जी प्लॉट रद्द किए जाएंगे। जांच में पाया गया कि समिति पदाधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों और अपात्र लोगों को लाभ पहुंचाया, जिनके दस्तावेज या तो अधूरे थे या पूरी तरह फर्जी।
हाईकोर्ट की सख्ती, कार्रवाई की मांग
लखनऊ हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल 2025 को इस मामले में सरकारी वकील को निर्देश दिया था कि एक साल से दबाई गई रिपोर्ट और हुई कार्रवाई की जानकारी दी जाए। इसके बाद प्रमुख सचिव आवास पी. गुरुप्रसाद ने मामले से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए हैं।
विजिलेंस के निर्देश की भी अनदेखी
विजिलेंस डायरेक्टर ने दोषी अफसरों पर कार्रवाई के आदेश दिए, लेकिन एलडीए ने उन निर्देशों को नजरअंदाज कर दिया। सहकारिता विभाग के अपर निबंधक विनय मिश्रा ने 4 मई को हजरतगंज थाने में तहरीर दी, लेकिन अब तक FIR दर्ज नहीं हुई है। बहुजन समिति के सचिव ने गाजीपुर थाने में भी शिकायत दी है।
20 से ज्यादा अफसरों पर आरोप
आवास आयुक्त की रिपोर्ट में एलडीए के पूर्व वीसी समेत 20 से अधिक अधिकारियों को आरोपी बताया गया है, जिन्होंने अपने संबंधियों को गलत तरीके से समिति का सदस्य बनवाकर जमीन आवंटित करवाई। अगर हाईकोर्ट को सरकार की ओर से दिया गया जवाब संतोषजनक नहीं लगा, तो CBI या विजिलेंस जांच के आदेश हो सकते हैं।
2008 से दबा पड़ा था मामला
इस घोटाले की पहली शिकायत 2008 में हुई थी। 2010 में तत्कालीन वीसी ने जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंपी थी, लेकिन उसे दबा दिया गया। 2018 में दोबारा शिकायत की गई और फिर 2020 में मुख्यमंत्री के आदेश पर उच्च स्तरीय समिति बनाई गई, जिसकी रिपोर्ट मई 2024 में आई।
अब तक 500 से ज्यादा शिकायतें
गोमती नगर, इंदिरानगर और गाजीपुर सहित विभिन्न थानों में इस घोटाले से संबंधित 500 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। समितियों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया भी अब तक शुरू नहीं हुई है।
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