Lucknow Bhatkhande Sangeet Vishwavidyalaya Corruption Update: भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। CID ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए नृत्य विभाग के प्रमुख ज्ञानेंद्र दत्त वाजपेई और तालवाद्य विभाग के प्रमुख मनोज मिश्रा समेत 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
अब तक गिरफ्तार ये लोग
गिरफ्तार किए गए सात लोगों में विश्वविद्यालय (Lucknow Bhatkhande Sangeet Vishwavidyalaya Corruption Update) के दो विभागाध्यक्षों के अलावा, कुछ निजी फर्मों के संचालक भी शामिल हैं:
-
ज्ञानेंद्र दत्त वाजपेई (नृत्य विभागाध्यक्ष)
-
मनोज मिश्रा (तालवाद्य विभागाध्यक्ष)
-
मोहम्मद शोएब (निजी फर्म संचालक)
-
कुंदन सिंह
-
सुरेश सिंह
-
विनोद कुमार मिश्रा
-
जुगल किशोर वर्मा
चार्जशीट में कौन-कौन शामिल?
पिछले महीने CID ने इस मामले में पूर्व कुलपति प्रो. श्रुति सडोलिकर काटकर समेत 12 से अधिक लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। जांच में यह भी पाया गया कि कुलपति और अन्य कर्मचारी निजी कंपनियों के मालिकों के साथ मिलकर फर्जी बिलिंग, घटिया काम और पैसे की बंदरबांट में शामिल थे।
किन कंपनियों पर भी गिरी गाज?
CID ने जिन कंपनियों और उनके मालिकों पर आरोप पत्र दाखिल किया है, उनमें शामिल हैं:
-
अंजली ट्रेडर्स
-
पुण्य एंटरप्राइजेज
-
ऊषा असोसिएट
-
भागीदार इंडियन फायर सर्विस एंटरप्राइजेज
-
साईं कृपा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन
-
एक्यूरेट इंजीनियरिंग
-
अपेक्स कूलिंग सर्विस
-
शर्मा रेफ्रिजरेशन
-
विशाल बिल्डर
-
एचए ट्रेडर्स
-
वर्मा इलेक्ट्रिकल्स
-
बीआर इंटरप्राइजेज
आगे क्या?
CID की जांच अब भी जारी है। सूत्रों की मानें तो कुछ और लोगों की गिरफ्तारी संभव है। माना जा रहा है कि ये घोटाला सिर्फ ₹3.31 करोड़ तक सीमित नहीं, बल्कि इससे ज्यादा की रकम का घपला हुआ है।
क्या है मामला?
ये घोटाला विश्वविद्यालय में कला मंडपम (Kala Mandapam Construction) के निर्माण और अन्य विकास कार्यों के दौरान सामने आया। वर्ष 2021 में इस मामले की शुरुआत हुई थी, जब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर 5 मार्च को कैसरबाग कोतवाली में केस दर्ज किया गया था।
पहले जांच की जिम्मेदारी BOW को दी गई थी, लेकिन बाद में यह केस 18 जनवरी 2024 को CB-CID (अब CID) को सौंप दिया गया। जांच में पाया गया कि कई अधिकारियों और निजी फर्मों की मिलीभगत से सरकारी पैसे का गलत इस्तेमाल हुआ।