Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए दो फेज के लिए वोटिंग हो चुकी है। इसके साथ ही केरल की वायनाड सीट पर भी चुनाव खत्म हो गया है।
खबर आ रही थी कांग्रेस केरल के वायनाड में वोटिंग खत्म होने का इंतजार कर रही थी और वोटिंग खत्म होने के बाद अमेठी और रायबरेली सीट के उम्मीदवारों का ऐलान करेगी।
दोनों सीटों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। अमेठी और रायबरेली से प्रत्याशी कौन होगा? कांग्रेस के लिए ये एक बड़ा सवाल बन गया है।
स्मृति ईरानी आज अमेठी से करेंगी नामांकन
आज हाई प्रोफाइल नामांकन का दिन है। मोदी सरकार के दो मंत्री नामांकन करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से और स्मृति अमेठी से नामांकन पर्चा भरेंगी। लेकिन इस बार अब तक साफ नहीं है कि स्मृृति इरानी के खिलाफ कौन मैदान में उतरेगा।
स्मृति ईरानी बना चुकी है अमेठी में पैठ
2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने वादा किया था कि अगर वो अमेठी से जीतती हैं तो जनता को उनसे मिलने के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। अपने वादे पर खरा उतरते हुए स्मृति ने फरवरी 2024 में अमेठी में अपना घर बनाया।
अपने पति के साथ गृह प्रवेश किया, इसके लिए 22 हजार लोगों को निमंत्रण पत्र भेजा गया था। स्मृति ईरानी की इस कोशिश को Lok Sabha Elections के पहले अमेठी में बड़े संदेश की बात कही गई।
अगर आंकड़ों पर निगाह डालें तो साल 2020 से 2023 तक स्मृति ईरानी ने एक दर्जन से ज्यादा दौरे किए हैं। दूसरी तरफ, राहुल गांधी ने 2019 की हार के बाद अमेठी से दूरी बना ली।
परिवार की विरासत, प्रतिष्ठा लगी है दांव पर
दोनों constituency सामान्य सीटें नहीं हैं, बल्कि परिवार की विरासत, प्रतिष्ठा और इतिहास के साथ-साथ पार्टी के लोकाचार को भी दर्शाते हैं। गांधी फैमिला का अपने पारिवारिक विरासत वाले क्षेत्र में लड़ने से राज्य में ही नहीं पूरे उत्तर भारत में पार्टी कैडर के बचे हुए लोगों को प्रेरित करेगा।
इन दोनों सीटों से गांधी परिवार के चेहरे कांग्रेस के मतदाताओं में आत्मविश्वास, लचीलापन और वफादारी का संदेश देंगे।यूपी में बीजेपी भले ही पिछले चुनावों में 65 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी पर करीब एक दर्जन सीटों पर उनकी स्थिति पिछली बार बेहतर नहीं थी।
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी पॉजिटिव बात यह है कि समाजवादी पार्टी का बेस उत्तर प्रदेश में बहुत मजबूत है। अगर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ठीक से चुनाव लड़ते तो हो सकता है कि उम्मीद से बेहतर रिजल्ट आते।
अमेठी से दूर रहकर भी चर्चा में हैं राहुल गांधी
तीन माई नामांकन की अंतिम तिथि है और 20 मई को मतदान। इस सब के बीच अमेठी से दूर रहते हुए भी बीते 15 दिनों से राहुल गांधी फिर चर्चा में हैं। यह कांग्रेस की पहल नहीं, बल्कि भाजपा प्रत्याशी स्मृति इरानी की रणनीति का ही प्रतिफल है।
असल में 2019 में राहुल गांधी अमेठी के साथ ही केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़े। अमेठी से भाजपा प्रत्याशी स्मृति इरानी से करारी हार मिली, वहीं वायनाड से जीतकर वह संसद पहुंचे। इस बार भी अभी तक राहुल वायनाड से ही मैदान में हैं। उनके अमेठी से चुनाव लड़ने पर संशय बरकरार है।
जानें अमेठी-रायबरेली सीट का इतिहास
उत्तर प्रदेश का अमेठी को कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक कार्मभूमि (political arena) के तौर पर देखा जाता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी भी इस सीट से निर्विचित हो चुकी हैं।
साल 2014 में राहुल गांधी इसी सीट से सांसद चुने गए थे। लेकिन पिछले आम चुनाव में BJP से मैदान में उतरीं स्मृति ईरानी ने उन्हें हरा दिया था। अगर बात रायबरेली सीट की करें तो ये भी कांग्रेस का गढ़ रही है। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी भी इसी निर्वाचन क्षेत्र से रही हैं। पांच बार सोनिया गांधी इसी सीट से सांसद चुनी जा चुकी हैं।
खरगे करेंगे बैठक
सूत्रों का दावा है कि अंतिम तौर पर इस समस्या का समाधान तलाशने के लिए मल्लिकार्जुन खरगे प्रियंका और राहुल गांधी के साथ बैठक करेंगे।
यह बैठक एक-दो दिन के भीतर होने का दावा किया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ेंगे यह तय है, जबकि प्रियंका को लेकर अंतिम बार और टटोला जाएगा।