हाइलाइट्स
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एमपी में कांग्रेस के 3 कैंडिडेट्स घोषित नहीं हुए
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ग्वालियर, मुरैना और खंडवा में फंसा पेंच
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इस बार कांग्रेस 28 सीटों पर लड़ेंगी चुनाव
Lok Sabha Election 2024: मध्यप्रदेश में तीन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होना बाकी है। ये सीटें हैं ग्वालियर, मुरैना और खंडवा।
अभी तक तीन बार में कांग्रेस ने प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस ने खजुराहो सीट समझौते के तहत समाजवादी पार्टी को दी है।
इस हिसाब से कांग्रेस इस बार मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर चुनाव लड़ रही है।
ग्वालियर, मुरैना और खंडवा लोकसभा सीट पर होना है प्रत्याशी घोषित
यहां हम कांग्रेस की जिन तीन सीटों पर उम्मीदवार घोषित ना करने की बात कर रहे हैं। उनमें ग्वालियर, मुरैना और खंडवा लोकसभा सीटें हैं। सबसे पहले ग्वालियर और मुरैना लोकसभा सीट पर फंस रहे पेंच की चर्चा करते हैं।
इस वजह से देर हो रही कांग्रेस कैंडिडेट्स के ऐलान में
सूत्र और मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि ग्वालियर और मुरैना लोकसभा सीट पर ठाकुर और ब्राह्मण कैंडिडेट को लेकर पेंच फंस रहा है। जिसमें कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेता अपने समर्थक नेता को टिकट दिलवाना चाह रहे हैं।
इस वजह से ग्वालियर और चंबल की लोकसभा सीट पर कैंडिडेट घोषित नहीं हो पा रहा है या देरी हो रही है।
दिग्विजय की पसंद हैं नीटू सिकरवार
सूत्र बताते हैं कि मुरैना में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को टिकट देने की वकालत कर रहे हैं,
लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी जौरा से कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय के समर्थन में खड़े हैं। उनका तर्क है कि मुरैना में ब्राह्मण समाज के वोटर्स की संख्या को देखते हुए पंकज वहां से बेहतर कैंडिडेट हैं।
हालांकि, यहां से पूर्व विधायक बलवीर डंडोतिया के नाम की भी चर्चा है। वे भी कांग्रेस के दावेदारों में लिस्ट में हैं।
पूर्व विधायक डंडोतिया भी दौड़ में
बलवीर डंडोतिया पिछले विधानसभा चुनाव में दिमनी से बसपा के प्रत्याशी थे और उन्होंने बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर को कड़ी टक्कर दी थी।
वे चुनावी मौसम के हिसाब ने पार्टी बदलते रहे हैं। इसीलिए उन्हें कांग्रेस से दावेदार समझा जा रहा है।
मुरैना से बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर मैदान में
बीजेपी ने मुरैना से शिवमंगल सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाया गया है। वे विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के रिश्तेदार बताए जाते हैं।
शिवमंगल सिंह तोमर पूर्व विधायक हैं। हालांकि, अब तक पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और एक बार ही उन्हें विजय हासिल हुई।
मुरैना में मुख्य रूप से तोमर बनाम सिकरवार का बोलबाला है। मुरैना जिले की चार विधानसभा सीटों में दिमनी और अम्बाह तोमर बाहुल्य हैं तो सुमावली और जौरा में सिकरवारों का दबदबा है।
कांग्रेस का नफा- नुकसान
इसके अलावा मुरैना में गुर्जर समाज और सिकरवारों की भी आपसी अदावत बनी रहती है। इसलिए माना जा रहा है कि नीटू सिकरवार के उम्मीदवार होने पर दो-ढाई लाख के करीब गुर्जर वोटों का सीधा घाटा कांग्रेस को हो सकता है।
हालांकि, जाटव समाज का भी इतना ही वोट बैंक है। जो सीधे कांग्रेस के खाते में जा सकता है।
नीटू सिकरवार मजबूत कैंडिडेट!
जानकार बताते हैं कि नीटू सिकरवार मजबूत कैंडिडेट साबित हो सकते हैं। मुरैना में उनका अच्छा प्रभाव है। इसके अलावा उनके बड़े भाई सतीश सिंह सिकरवार ग्वालियर विधानसभा सीट से विधायक हैं और उनकी भाभी शोभा सिकरवार ग्वालियर की मेयर हैं।
यानी नीटू सिकरवार की दावेदारी काफी मजबूत समझी जा रही है। हालांकि, पीसीसी चीफ की सहमति का इसमें पेंच है।
यह फैक्टर भी चलेगा
मुरैना लोकसभा सीट पर जाटव समाज का समर्थन कांग्रेस कैंडिडेट के पक्ष में माना जाता है। ऐसे में यदि नीटू का टिकट पक्का होता है तो इस समाज का वोट ब्राह्मण वोटों की कमी को पूरा कर सकता है।
यानी जाटव और इस समाज से जुड़े अन्य एक बड़े वर्ग का वोट कांग्रेस कैंडिडेट का लाभ पहुंचा सकता है।
मुरैना में सिकरवार को टिकट मिलने पर ग्वालियर में क्या बनेंगे समीकरण?
मुरैना में नीटू सिकरवार का टिकट फाइनल होता है तो ग्वालियर में कांग्रेस उम्मीदवार को कांग्रेस विधायक सतीश सिंह सिकरवार और मेयर शोभा सिकरवार ( पत्नी सतीश सिंह सिकरवार ) का साथ मिल सकता है।
सूत्र बताते हैं कांग्रेस विधायक सतीश सिंह सिकरवार भी यही चाहते हैं कि मुरैना से उनके भाई नीटू सिकरवार को लोकसभा का टिकट दिया जाए।
सतीश सिंह सिकरवार ने नहीं जताई दावेदारी
हालांकि, ग्वालियर लोकसभा सीट से सतीश सिंह सिकरवार कांग्रेस के लिए बेहद मजबूत कैंडिडेट हो सकते थे, लेकिन उन्होंने दावेदारी ही नहीं जताई।
रिपोर्ट यह भी बता रही हैं कि उन्होंने खुद टिकट लेने से मना कर दिया है।
ग्वालियर में ये नेता दौड़ में
मीडिया रिपोर्ट बता रहीं हैं कि कांग्रेस मुरैना और ग्वालियर लोकसभा सीट पर एकसाथ प्रत्याशी घोषित करेगी।
मुरैना सीट पर प्रत्याशी चयन के बाद कांग्रेस ग्वालियर से भी उम्मीदवार का ऐलान करेगी।
ग्वालियर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद रामसेवक सिंह बाबूजी, पूर्व विधायक प्रवीण पाठक और पूर्व मंत्री लाखन सिंह मुख्य दावेदार हैं।
कौन किस की पसंद
रामसेवक सिंह को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का समर्थन है, तो प्रवीण पाठक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की पसंद हैं।
हालांकि, रामसेवक बाबूजी का ग्रामीण क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। कांग्रेस के लिए जिताऊ कैंडिडेट साबित हो सकते हैं। वहीं प्रवीण पाठक एक बार ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं।
पिछले चुनाव में वे बीजेपी के नारायण सिंह कुशवाह से हार गए। वे पूरी लोकसभा सीट को कैसे कवर करेंगे, इस पर जानकार खुलकर कुछ कहने को तैयार नहीं हैं।
ग्वालियर-चंबल में हमेशा अलग चली है बयार
मोदी लहर हो या लाड़ली बहना योजना, ग्वालियर-चंबल में इन फैक्टर्स का असर वोटर्स पर कम ही दिखा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भी ग्वालियर-चंबल की 34 सीटों में से 16 पर कांग्रेस और 18 पर बीजेपी काबिज है। यानी कोई बड़ा अंतर नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में भी ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस और बीजेपी में बराबरी की टक्टर रहेगी।
मोदी लहर नहीं चली तो होगा कांटे का मुकाबला
देवश्री का मानना है कि मोदी जैसी कोई लहर नहीं चली तो मुकाबला कांटे का होगा। उनका कहना है कि ग्वालियर से रामसेवक बाबूजी भी कांग्रेस के लिए बेहतर कैंडिडेट हो सकते हैं।
हालांकि, प्रवीण पाठक को यदि प्रत्याशी बनाया जाता है तो उन्हें शहरी वोट बड़ी तादात में मिल सकते हैं।
खंडवा में भी कांग्रेस को कैंडिडेट की तलाश
कांग्रेस से खंडवा लोकसभा के लिए के लिए भी कैंडिडेट्स की दौड़ जारी है। संभावना यह जताई जा रही है कि खंडवा से कांग्रेस एक बार फिर अरुण यादव को मैदान में उतार सकती है।
हालांकि, इसका खुलासा कांग्रेस की अगली सूची में हो सकता है। शुरुआत में खंडवा से सनावद के गुर्जर नेता नरेंद्र पटेल का नाम लगभग तय माना जा रहा था।
इनके नाम पर अरुण यादव, राजनारायणसिंह पुरनी, सुरेंद्रसिंह शेरा भी सहमति जता चुके थे।