हाइलाइट्स
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सतना लोकसभा सीट पर सवर्ण वोटरों का वर्चस्व
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कांग्रेस और बीजेपी ने ओबीसी को दिया टिकट
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दोनों पार्टियों को टक्कर देगा तीसरा मोर्चा का प्रत्याशी
Lok Sabha Chunav 2024: पहले चरण के चुनाव के बाद अब नेता दूसरे चरण में होने वाले मतदान वाली सीटों पर फोकस कर रहे हैं. इसी बीच सतना में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का दौरा हो चुका है. सतना लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को चुनाव (Voting) होने हैं. ऐसे में यहां सभी पार्टियों के नेताओं की लगातार रैलियां हो रही हैं. हालांकि यहां मुकाबला सीर्फ बीजेपी और कांग्रेस का नहीं बल्कि तीसरा मोर्चा भी मैदान में बराबर की टक्कर देने वाला है.
धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण सीट
सतना सीट धार्मिक रूप से विशेष महत्व रखती है. बुंदेलखंडवासियों का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ मां शारदा का स्थान मैहर और भगवान राम से जुड़ा तीर्थ स्थल चित्रकूट इसी सीट के अंतर्गत आता है. बीजेपी इस बार राम मंदिर का जिक्र अपनी चुनावी शभाओं में कर रही है. ऐसे में सतना सीट पर भी इसका असर देखा जा सकता है.
तीन प्रमुख दलों के बीच मुकाबला
यहां पर कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं तीसरी पार्टी भी बराबरी से मैदान में है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस को बीएसपी के प्रत्याशी कड़ी टक्कर दे सकते हैं. बीएसपी (BSP) ने नारायण त्रिपाठी (Narayan Tripathi) को टिकट दिया है. जिसके बाद सतना लोकसभा सीट का चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है. सतना में हमेशा जातीय समीकरण भारी पड़ते हैं. इसी कारण नारायण त्रिपाठी का अहम रोल इसबार चुनाव में दिखेगा. सतना में 7 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें चित्रकूट, रैगांव, सतना, नागौद, मैहर, अमरपाटन और रामपुर बघेलान शामिल हैं.
बीजेपी ने गणेश सिंह को दिया टिकट
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने Lok Sabha Chunav 2024 में सतना से चार बार के सांसद गणेश सिंह को मैदान में उतारा है. उन्हें बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में भी टिकट दिया था. हालांकि तब वे 4400 वोट से चुनाव हार गए थे. 1994 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में उन्होंने अपनी राजनीति शुरू की थी. इसके पहले वे छात्र राजनीति में भी सक्रिय थे. 1999 में सतना जिला पंचायत के अध्यक्ष बने. साल 2004 में बीजेपी के टिकट से वे पहली बार सांसद चुने गए. तब से अब तक वे सतना लोकसभा सीट से संसद सदस्य हैं.
कांग्रेस ने MLA सिद्धार्थ कुशवाह को दिया टिकट
कांग्रेस ने Lok Sabha Chunav 2024 में सतना से विधायक (Satna MLA) सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू (Siddharth Kushwaha) को टिकट दिया है. सिद्धार्थ कुशवाहा साल 2018 में विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे. 2023 में वे फिर से विधायक चुने गए. उन्होंने सतना से 4 बार सांसद रहे बीजेपी के गणेश सिंह को 2023 विधानसभा में 4400 वोटों से हराया था. अब लोकसभा चुनाव में एक बार फिर दोनों के बीच मुकाबला है. सिद्धार्थ का परिवार भी राजनीति में सक्रिय रहा है. उनके पिता स्वर्गीय सुखलाल कुशवाहा प्रदेश के पूर्व सीएम स्व. अर्जुन सिंह को सतना सीट से चुनाव हरा चुके हैं.
बीएसपी के नारायण त्रिपाठी देंगे कड़ी टक्कर
बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस टक्कर को अब बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कड़ी टक्कर देने वाले हैं. बीजेपी ने सतना के जातीय समीकरणों के हिसाब से बड़ी सेंध मारी है. BSP की एंट्री से मुकाबला और भी रोमांचक होने वाला है.यहां से बीएसपी ने प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी को टिकट दिया है. सतना में ब्राम्हण वोटरों की संख्या अच्छी खासी है ऐसे में बीएसपी का ये बड़ा दाव है.
नारायण त्रिपाठी का राजनीतिक सफर
नारायण त्रिपाठी 2003 में समाजवादी पार्टी के टिकट से पहली बार विधायक चुनाव लड़े थे. इसके 10 साल बाद 2013 में वे कांग्रेस के टिकट से विधायक चुने गए. 2016 के उपचुनाव में वे बीजेपी में शामिल हो गए और फिर चुनाव जीतकर विधायक बने. 2018 के विधानसभा चुनाव में फिर से वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते. 2023 चुनाव के पहले उन्होंने खुद की पार्टी बनाई. जिसके सभी प्रत्याशियों को विधानसभा में करारी हार मिली इसके बाद अब वे बीएसपी में शामिल हो गए.
बीजेपी और कांग्रेस के सामने ये है बड़ी चुनौती
चूंकि सतना लोकसभा अनारक्षित श्रेणी की है. इसके बाद भी प्रमुख दलों ने ओबीसी (OBC) पर ही भरोसा किया है. जिसको ध्यान में रखते हुए बीएसपी ने ब्राम्हण कार्ड चल दिया है. यदि ब्राम्हण और दलितों का गठजोड़ हुआ तो चुनाव किसी भी ओर जा सकता है.
एससी-एसटी के वोटर को लुभाना बड़ी चुनौती
सतना सीट पर वैसे तो ओबीसी और सर्वणों का वर्चस्व रहा है. लेकिन एससी और एसटी के वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. तीन प्रमुख दल बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी ने सवर्ण और ओबीसी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. ऐसे में अब एससी और एसटी वर्ग का वोट जिस दल के साथ जाएगा वही जीत हासिल करेगा. Lok Sabha Chunav 2024 में तीनों पार्टियों को अब इस वर्ग को अपने साथ लाने की चुनौती होगी.
Satna Lok Sabha seat के जातीय समीकरण
सतना सीट पर 17 लाख 7 हजार 71 मतदाता हैं. यहां सबसे ज्यादा संख्या ब्राम्हण वोटर्स की है. इसके बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटर हैं. कांग्रेस इस सीट पर अबतक क्षत्रिय प्रत्याशी को टिकट देते आई है. लेकिन इस बार 28 साल बाद कांग्रेस ने सतना में ओबीसी चेहरे को टिकट दिया है. 1996 में बीजेपी ने यहां कब्जा जमाया जो अभी तक कायम है.
सतना लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
1967 में कांग्रेस ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था. तब कांग्रेस के डी.वी. सिंह के हाथ में ये सीट थी. 1971 के चुनाव में BJS के नरेंद्र सिंह ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली. इसके बाद 1977 में BLD के सुखेंद्र सिंह यहां से चुनाव जीते. 1980 में फिर कांग्रेस ने वापसी की और गुलशेर अहमद यहां से सांसद चुने गए. 1984 में यहां कांग्रेस के अजीज कुरैशी सांसद बने. फिर 1989 में BJP की एंट्री हुई और सिखेंद्र सिंह ने चुनाव जीता.1991 में आखरी बार कांग्रेस की वापसी हुई. तब अर्जुन सिंह कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीते थे. इसके बाद 1996 में BSP के सुखलाल कुशवाहा चुनाव जीते. फिर 1998 और 1999 में BJP के रामानंद सिंह चुनाव जीते. 2004, 2009, 2014 और 2019 में BJP के गणेश सिंह ने सांसद चुने गए.