Loan Recovery: आज के इस दौर में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि लोग अपनी आय में से बचत नहीं कर पाते हैं. ऐसे में जब उन्हें पैसे की जरूरत होती है तो वे बैंक से कर्ज ले लेते हैं. लेकिन कई बार पैसे की कमी के कारण वे समय पर भुगतान नहीं कर पाते हैं. ऐसे में कर्ज के लिए सिक्योरिटी के तौर पर रखी चीज भी हाथ से चली जाती है.
इस स्थिति में बैंकों के पास ऋण के लिए गिरवी रखी गई संपत्ति पर फोरक्लोज़ (कब्ज़ा करना) करने का कानूनी अधिकार है. अगर आपने भी बैंक से कर्ज लिया है और उसे चुका नहीं पा रहे हैं तो आपको अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए. ऐसी स्थिति में आपके पास कई अधिकार है, जिसका आप अपनी आवश्यकता के अनुसार प्रयोग कर सकते हैं. आइए जानते हैं..!
लोन रिकवरी एजेंट धमकी नहीं दे सकता
अगर आप बैंक से कर्ज लेते हैं और उसे समय पर चुकाने में विफल रहते हैं तो बैंक रिकवरी एजेंट के जरिए आपसे पैसा वसूल करता है. कई बार वसूली एजेंट ग्राहकों को डरा-धमकाकर कर्ज वसूलने की कोशिश करता है. इसमें आपको यह जानने की जरूरत है कि रिकवरी एजेंट के पास ग्राहक को धमकाने या दुर्व्यवहार करने का कोई अधिकार नहीं है.
वह सिर्फ सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही ग्राहक के घर जा सकते हैं. अगर रिकवरी एजेंट ग्राहक के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार करते हैं तो आप बैंक में शिकायत कर सकते हैं, अगर बैंक इस पर कार्रवाई नहीं करता है तो इसकी शिकायत बैंकिंग लोकपाल से की जा सकती है.
बैंक बिना नोटिस दिए संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता
कोई भी ऋणदाता ऋण लेने के नोटिस के बिना आपकी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता है. जब कोई ग्राहक 90 दिनों तक ऋण की किश्तों का भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो उसके खाते को गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. लेकिन साथ ही कर्जदाता के लिए कर्ज लेने वाले डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस देना होता है. नोटिस अवधि के भीतर भी अगर वह कर्ज नहीं चुकाता है तो उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है. वहां उस संपत्ति की नीलामी से 30 दिन पहले एक सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करनी होती है.
कैसे दें संपत्ति की नीलामी कीमत को चुनौती
किसी भी ऋणदाता द्वारा अपने चूककर्ता ग्राहकों की संपत्तियों की नीलामी करने से पहले, वह संपत्ति के मूल्य को बताते हुए एक नोटिस प्रकाशित करता है. जिसमें रिजर्व प्राइस, नीलामी की तारीख और समय का जिक्र होता है. अगर ग्राहक को लगता है कि उसकी संपत्ति की कीमत कम आंकी गई है तो वह नीलामी को चुनौती दे सकता है. नीलामी के बाद भी ग्राहक को ऋण की वसूली के बाद बढ़ी हुई शेष राशि प्राप्त करने का पूरा अधिकार है.
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