Bansal Hospital: भोपाल में आज फिर ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। रेडक्रास हॉस्पिटल में भर्ती ब्रेन डेड पेशेंट का लिवर बंसल हॉस्पिटल में भर्ती मरीज के लिए ले जाया गया। आपको बता दें कि महेश नामदेव को अटैक आने के बाद ब्रेन हेमरेज हुआ था। इसके बाद परिजनों और उनके तीनों बेटों ने अंगदान करने का फैसला लिया। इसके लिए डॉक्टर्स की पहली टीम 4 मिनट में बंसल अस्पताल पहुंच गई।
साढ़े 3 किलोमीटर तक बना ग्रीन कॉरिडोर
रेडक्रॉस से बंसल हॉस्पिटल तक करीब साढ़े 3 किलामीटर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। इसके लिए दोनों तरफ ट्रैफिक डायवर्ट किया गया। ताकि, हॉस्पिटल तक पहुंचने में रुकावट न हो और समय पर पहुंचा जा सके।
4 मिनट में तय किया 3.5 किलोमीटर का सफर
महेश नामदेव का लिवर बंसल हॉस्पिटल और किडनी चिरायु हॉस्पिटल ट्रांसप्लांट के लिए ले जाई गई। एडिशनल DCP ट्रैफिक बंसत कौल ने बताया कि बंसल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की पहली टीम दोपहर करीब 2.30 बजे लिवर लेकर सिद्धांता हॉस्पिटल से निकली। 4 मिनट में 3.5 किमी का सफर तय किया गया। वहीं दूसरी टीम 2.35 बजे किडनी लेकर चिरायु मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना हुई। 17 किलोमीटर का सफर सिर्फ 13 मिनट में पूरा हो गया।
ब्रेन हेम्ब्रेज से ब्रेन डेड हुए महेश
सागर के रहने वाले महेश नामदेव उम्र 53 साल हार्ट अटैक से ठीक हो गए थे। इसके बाद वे भोपाल ब्रेन हेम्ब्रेज के ट्रीटमेंट के लिए आए थे।
महेश भोपाल में 5 दिन पहले भर्ती हुए थे। इलाज के दौरान महेश नामदेव के ब्रेन में ज्यादा ब्लीडिंग होने की वजह से वे कोमा में चले गए। इसके बाद वे मंगलवार को वह ब्रेन डेड हो गए।
महेश नामदेव के परिजनों ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद लिवर, किडनी डोनेट करने का फैसला लिया। इसके बाद तय प्रोटोकॉल के मुताबिक मेडिकल एक्सपर्ट की कमेटी ने महेश नामदेव को ब्रेन डेड घोषित किया। इसके साथ ही नेशनल टिसू एंड ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (NOTTO) को ब्रेन नामदेव की रिपोर्ट भेजी गई।
इस मरीज का होगा लिवर ट्रांसप्लांट
महेश नामदेव का लिवर बंसल हॉस्पिटल में भर्ती करोंद के रहने वाले 49 साल के मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया। बता दें कि डॉक्टर्स ने मरीज को एक साल पहले लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की सलाह दी थी। लेकिन, आर्गन डोनर नहीं मिलने की वजह से सर्जरी नहीं हो पाई थी। अब मरीज की सर्जरी लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. गुरसागर सिंह सहोता ने की।
लिवर ट्रांसप्लांट क्या है ?
लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी में रोगग्रस्त लिवर को एक स्वस्थ लिवर से बदल दिया जाता है। ऐसे कई लोग हैं जो लिवर ट्रांसप्लांट के बाद सामान्य जीवन जी रहे हैं।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) June 19, 2024
ग्रीन कॉरिडोर क्या है ?
ग्रीन कॉरिडोर मानव जीवन बचाने के लिए अंग प्रत्यारोपण में तेजी लाने का एक तरीका है। ग्रीन कॉरिडोर अस्पताल के बीच अंगों के परिवहन के लिए सहयोग करता है। ग्रीन कॉरिडोर एंबुलेंस के लिए बनाया जाता है।
इस कॉरिडोर में कोई अन्य वाहन नहीं होगा। सभी सिग्नल भी ग्रीन रहते हैं। इससे बिना ट्रैफिक में फंसे एंबुलेंस मानव अंग को लेकर कम से कम समय पर तय जगह पर पहुंच सके। ग्रीन कॉरिडोर ये सुनिश्चित करता है कि कोई मानव अंग बर्बाद न हो।
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पिछले साल भी बना था ग्रीन कॉरिडोर
पिछले साल बंसल अस्पताल से इंदौर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। इसमें मानव अंग को भोपाल से इंदौर तक पहुंचाया गया था। ग्रीन कॉरिडोर में सीहोर और देवास पुलिस ने अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस के 80 से ज्यादा कर्मचारी मौजूद रहे थे।