Litti Chokha: बिहार का सबसे प्रमुख भोजन लिट्टी चोखा को भला कौन नहीं जानता होगा। बिहार में तो इसे लोग जानते ही है, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रचलन दिल्ली और फिर कई राज्यों में बढ़ने लगा। आज आलम यह है कि आपको लगभग सभी भारतीय राज्यों में स्वादिष्ट व्यंजन लिट्टी-चोखा दुकानों पर मिल जाएगा। लेकिन क्या आप जानते है इसके फेमस बनने की शुरूआत कब हुई है और कहां से हुई।
बता दें कि जैसा की लोगों का मानना है कि ये बिहार का ही अपना भोजन है, ठीक वैसे ही इसकी सच्चाई भी है। लिट्टी-चोखा की शुरुआत बिहार में ही हुई थी। कहा जाता है कि 18वीं सदी के दौरान इसकी शुरूआत हुई थी। उस दौरान लंबी तीर्थयात्रा पर निकले लोगों का मुख्य भोजन लिट्टी-चोखा और खिचड़ी हुआ करता था।
ऐसा भी कई किताबों में उल्लेख किया गया है कि तात्या टोपे और झांसी की रानी के सैनिक बाटी या लिट्टी को पसंद करते थे, क्योंकि इसे पकाना बहुत आसान था और बहुत सामानों की जरूरत नहीं पड़ती थी। 1857 के विद्रोहियों के लिट्टी खाकर लड़ने के किस्से भी मिलते हैं। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि चंद्रगुप्त के सैनिक युद्ध के दौरान लंबे रास्तों में आसानी से लिट्टी जैसी चीज खाकर आगे बढ़ते जाते थे। हालांकि इसके कोई पुख्ते सबूत नहीं मिले है।
बिहार एक बड़ा राज्य है लेकिन लिट्टी का चलन मिथिला में कम, मगध और भोजपुर क्षेत्र में अधिक दिखता है। इसलिए कहा जाता है कि लिट्टी चोखा का गढ़ मगध (गया, पटना और जहानाबाद वाला इलाका) है। आपको अंत में बताते दें कि भले ही कई राज्यों में बाटी (लिट्टी) और दाल खाने की परंपरा रही हो। लेकिन असल में लिट्टी के साथ चोखे की कहानी बिहार से ही शुरू होती है।