Litchi Farming Tips: भारत में गर्मियों के मौसम में आम के बाद सबसे ज्यादा लीची खायी जाती है. जैसा की आप जानतें हैं लीची का प्रोडक्शन बिहार के मुजफ्फरपुर में किया जाता है. लेकिन इस साल बिहार में भीषण गर्मी की वजह से शाही लीची के प्रोडक्शन पर काफी असर पड़ रहा है.
तेज धूप और कम बारिश की वजह से लीची की फसल फटने के साथ-साथ जल रही है. जिसके कारण लीची की फसल उगाने वाले किसान के लिए परेशानी बढ़ गई है.
लेकिन आज हम आपको अपनी लीची की फसल बचाने के लिए बहुत सी टिप्स एंड ट्रिक्स बताएंगे.
लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक ने कही बात
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक ने कहा कि शाही लीची को खराब मौसम से बचाने के लिए लीची के बगीचे में नमी बनाए रखनी चाहिए और नियमित रूप से पानी देना चाहिए.
उन्होंने लीची के पेड़ों पर बोरान और पानी के मिश्रण का छिड़काव करने को कहा है. ऐसा तब किया जाना चाहिए जब अप्रैल की शुरुआत में फल लौंग की तरह दिखने लगें और फिर मई की शुरुआत में जब वे लाल होने लगें. इससे फलों को फटने से बचाने में मदद मिलेगी.
अपनाएं ये टिप्स एंड टिप्स
शाही लीची की फसल को बचाने के लिए सबसे पहले अच्छे किस्म के बीजों का चयन करें.
पौधों को पूरे धूप और अच्छे अट्मॉस्फेर में उगाएं.
पौधों को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन पानी की सफाई का भी खास ध्यान रखें.
रोग और कीटों से बचाव के लिए नियमित रूप से पेस्टिसाइड और अन्य कीटनाशकों का इस्तेमाल करें.
प्रयास करें कि पौधों को किसी भी प्रकार की नुकसानकारी प्रभावित करने वाली मौसमी बदलाव से बचाया जा सके.
फसल की विनियमित देखभाल करें और समय-समय पर प्राथमिक रोगों की पहचान और उपचार करें.
संभावित संक्रमणों की रोकथाम के लिए नियमित फसल की साफ़-सफ़ाई करें.
इन बातों का रखें ध्यान
फसल में फिटोप्थोरा रोग और काले धब्बे का संभावनाओं को कम करने के लिए, नियमित रूप से फंगिसाइड का इस्तेमाल करें। शाही लीची की फसल को अच्छे जलवायु की जगह चुनें, जैसे कि उच्च नमी और स्थिर तापमान.
फसल की सही कटाई के लिए समय पर फसल काटें, जिससे फसल को बीमारियों से बचाया जा सके। नेमाटोड, थ्रिप्स, और माइट्स के खिलाफ नियंत्रण के लिए जैविक और नेचुरल प्रोडक्ट्स का उपयोग करें.
शाही लीची की फसल के लिए उचित खाद्य सामग्री का इस्तेमाल करें, जिससे फसल की प्रतिफलन की सुविधा हो. फसल के नियंत्रण के लिए पूरी तरह से संरक्षण का ध्यान रखें, जैसे कि उचित पेरचिंग और झोड़ाबंदी.