जम्मू। Liquor Shops जम्मू-कश्मीर में शराब कारोबार पर शराब माफिया का कब्जा हो जाने के आरोपों को नकारते हुए शासन ने कहा है कि स्थानीय मूल निवासियों को ही शराब की दुकानों के लिए शत-प्रतिशत शराब लाइसेंस जारी किया गया है।
आबकारी आयुक्त पंकज कुमार शर्मा ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि यहां ई-नीलामी की शुरुआत के बाद शराब माफिया के शराब व्यवसाय पर नियंत्रण करने के आरोप निराधार हैं। शर्मा ने कहा, ”हमने इस साल जम्मू-कश्मीर आबकारी नीति और जम्मू-कश्मीर शराब लाइसेंस तथा बिक्री नियमों के तहत कुल 655 लाइसेंस जारी किए हैं। इनमें से 279 को जम्मू-कश्मीर ईएल 2 के तहत जारी किया गया है, जिन्हें शराब की दुकानों के रूप में जाना जाता है। वहीं 250 लाइसेंस रेस्तरां, होटल, बैंक्वेट हॉल और क्लब के साथ बार के लिए दिए गए हैं।” उन्होंने कहा कि पिछले साल ई-बोली और ई-नीलामी व्यवस्था की शुरुआत होने के बाद 279 शराब की दुकानों की ई-नीलामी की गई और सबसे अधिक बोली लगाने वालों को लाइसेंस आवंटित किए गए।
इससे सरकारी खजाने को पिछले वर्ष के 123 करोड़ रुपये के मुकाबले 217 करोड़ रुपये का राजस्व मिला। जम्मू के करीब 200 परंपरागत शराब दुकानदारों को कथित तौर पर ई-नीलामी में नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने जम्मू और कश्मीर के बाहर से ‘शराब माफिया’ द्वारा छद्म बोलीदाताओं के माध्यम से व्यापार पर कब्जा कर लेने का आरोप लगाया है। हालांकि, शर्मा ने कहा कि किसी भी गलत काम की कोई गुंजाइश नहीं है और ई-नीलामी पारदर्शी तरीके से की गई थी। उन्होंने कहा, ”हम आश्वस्त कर सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर के अधिवासियों को 100 प्रतिशत लाइसेंस जारी किए गए हैं। बाहर से ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसके पास शराब की दुकानों का लाइसेंस हो।” उन्होंने शहरी क्षेत्रों में विभागीय भंडार पर बीयर और तत्काल उपभोग के लिए तैयार (रेडी-टू-ड्रिंक) पेय पदार्थों की उपलब्धता का भी बचाव करते हुए कहा, ”यह कदम उच्च सामग्री से कम सामग्री वाले हानिरहित अल्कोहल में संक्रमण को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीतिगत पहल का हिस्सा है।’