Liquor Policy : देशभर के कई राज्यों में शराबबंदी को लेकर हंगामे और प्रदर्शन होते रहते है। शराब से होने वाली कमाई को लेकर राज्य की सरकारें भी चर्चा में बनी रहती है। बीते दिनों देश की राजधानी दिल्ली की सरकार ने एक्साइज पॉलिसी को लेकर विवाद इतना छिड़ गया कि सरकार को अपनी नई आबकारी नीति वापस ही लेनी पड़ गई। वित्तीय विशेषज्ञों की माने तो राज्य में चलाई जाने वाली जन कल्याणी योजनाओं के लिए जो वित्ती सहायता आती है वह आबकारी के राजस्व से ही प्राप्त होती है। आपको जानकर हैरानी होगी की देश के राज्य सालभर में शराब से करीब तीन लाख करोड़ रूपये की कमाई करते है। और तो और कई ऐसे राज्य भी है। जिनकी कुल कमाई का हिस्सा शराब से ही आता है।
आबकारी से बड़ा कोई विभाग नहीं
विशेषज्ञों का मानना है कि शराब से मिलने वाला राजस्व देश के कई राज्यों की आया का मुख्य स्त्रोत है। जिनमें मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्य शामिल है। आबकारी एक ऐसा प्रमुख स्त्रोत है इससे बड़ा कोई दूसरा स्त्रोत नहीं है। राज्य सरकारे शराब पर बैट, उत्पाद शुल्क सहित अन्य टैक्स बसूलती है। राज्य सरकारें लाइसेंस देकर शराब की दुकानें खोलती हैं। खबरों के अनुसार तमिलनाडु सरकार शराब से राजस्व के रूप में करीब 37,000 करोड़ रुपये कमाता है।
कौन सा राज्य कितना कमाता है पैसा
कर्नाटक – कुल राजस्व 14.27 प्रतिशत
दिल्ली – कुल राजस्व 11.37 प्रतिशत
हरियाणा – कुल राजस्व 10.49 प्रतिशत
उत्तर प्रदेश – कुल राजस्व 9.92 प्रतिशत
तेलंगाना – कुल राजस्व 9.65 प्रतिशत
मध्य प्रदेश – कुल राजस्व 7.35 प्रतिशत
पश्चिम बंगाल – कुल राजस्व 8.62 प्रतिशत
पंजाब – कुल राजस्व 7.35 प्रतिशत