जांजगीर-चांपा। Annadhari Devi Temple Paharia: आजकल शहरीकरण के विकास के लिए हरे भरे जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। लेकिन जांजगीर-चांपा जिले के पहरिया गांव में आज भी लोग पेड़ों को काटना तो दूर, हाथ भी नहीं लगाते हैं।
गांव में स्थापित अन्नधरी देवी मंदिर (Annadhari Devi Temple) के प्रति लोगों की इतनी आस्था है कि लोग यहां के जंगल में लगे पेड़ों की एक टहनी तक नहीं तोड़ते हैं।
दीमकों का ग्रास बन जाती हैं लकड़ी
जंगल में अगर कोई पेड़ गिर जाए तो वह वहीं सूखकर दीमकों का ग्रास बन जाता है, लेकिन कोई व्यक्ति अपने घर नहीं ले जाता है। लोगों का मानना है कि यहां से पेड़ तो बहुत दूर की बात है, अगर गिरी हुई लकडि़यों का अपने लिए इस्तेमाल किया तो बड़ी अनहोनी घट सकती है।
जंगल की रक्षक हैं देवी मां
यह मान्यता कोई आज से नहीं बल्कि सदियों से है. लोग यह भी मानते हैं कि मंदिर के चारों ओर जंगल में लगे पेड़ों को अगर किसी ने नुकसान पहुंचाया, तो उसके जीवन में कई परेशानियां आ जाती हैं। इसलिए यहां विराजमान देवी माता को जंगल की रक्षक भी कहा जाता है।
सिर्फ हवन में उपयोग होती है लकड़ी
मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा के बाद जंगल की सूखी लकड़ी का उपयोग हवन के लिए किया जाता है। साथ ही यहां दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।
बता दें कि अन्नधरी देवी मंदिर (Annadhari Devi Temple) जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर है। जहां भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर जाते हैं और देवी माता कभी अपने भक्तों की सभी मन्नतें पूरी करती हैं।
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