हाइलाइट्स
- नौकरी के बदले जमीन घोटाला
- पटना ED ऑफिस के बाहर फोर्स तैनात
- ED का बड़ा खुलासा
Land for Jobs Scam: जॉब फॉर लैंड (Land for Jobs) मामले में लालू यादव का परिवार घिरता जा रहा है। एक दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय ने लालू यादव से 8 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की, वहीं आज तेजस्वी यादव को पटना स्थित ईडी दफ्तर बुलाया गया है।
#WATCH | Patna: Visuals from outside the residence of former Bihar Deputy CM and RJD leader Tejashwi Yadav
He has been summoned by ED today over the land for jobs scam case pic.twitter.com/jUt1Q5QybL
— ANI (@ANI) January 30, 2024
लालू यादव पर आरोप है कि उनके रेल मंत्री रहते रेलवे में नौकरी देने के बदले लोगों से उनकी जमीन अपने नाम करवाई गई थी।
इडी को आज तेजस्वी का इंतजार
जमीन के बदले नौकरी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को पूछताछ के लिया बुलाया है। एजेंसी ने उन्हें 30 जनवरी को पूछताछ के लिए इडी के पटना स्थित कार्यालय में बुलाया है। इसके लिए 19 जनवरी को इडी के अधिकारी ने राबड़ी आवास पहुंचकर नोटिस दिया था।
क्या है मामला
लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते हुए 2004 से 2009 के बीच विभिन्न रेल मंडलों में जमीन लेकर कई लोगों को ग्रुप-डी में नौकरी दी गयी थी। नौकरी लेने वालों से जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एक संबंधित कंपनी एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम करवायी गयी थी।
इडी ने पहले एक बयान में दावा किया था कि कात्याल इस कंपनी के निदेशक थे। कंपनी का पंजीकृत पता डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली है, जो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों का घर है।
इडी ने कहा- राबड़ी के पूर्व कर्मी ने घूस के रूप में ली थी संपत्ति
इडी ने सोमवार को कहा है कि राबड़ी देवी की गौशाला के एक पूर्व कर्मचारी ने रेलवे में नौकरी के इच्छुक एक व्यक्ति से संपत्ति हासिल की और बाद में इसे उनकी बेटी हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया।
इडी ने एक बयान में कहा कि सीबीआइ की प्राथमिकी और आरोप पत्र के अनुसार, अभ्यर्थियों को रेलवे में नौकरी के बदले रिश्वत के रूप में भूमि हस्तांतरित करने के लिए कहा गया था। इडी ने कहा कि लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, जिन्हें अभियोजन की शिकायत में आरोपी बनाया गया था, उन्हें अभ्यर्थियों के परिवारों से नाममात्र रुपये के बदले जमीन मिली थी।