Lady Tata Meherbai : टाटा परिवार को कौन नहीं जानता, टाटा ग्रुप देश और दुनिया के अमीरों में सुमार है। टाटा परिवार वही परिवार है जिसने देश के पहली एयरलाइंस, पहली फाईव स्टार होटल, पहली किफायती दामो पर लखटकिया गाड़ी दी। इतना ही नही टाटा परिवार देश में फैली कई कुरीतियों को भी खत्म करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। इन्ही एक कुरीतियों में से एक ऐसी प्रथा भारत में प्रचलित थी जिसके खिलाफ टाटा परिवार की बहू ने कदम उठाया और उसे देश में प्रतिबंधित भी कराया।
कौन थी टाटा परिवार की बहू
टाटा परिवार की बहू का नाम मेहरबाई (Lady Tata Meherbai) था, जो जमशेदजी टाटा के सबसे बड़े बेटे दोरबजी टाटा की पत्नी थी। मेहरबाई (Lady Tata Meherbai) मूल रूप से मैसूर की रहने वाली थी। वह होमी जहांगीर भाभा की बुआ थी। लोग उन्हें लेडी टाटा (Lady Tata Meherbai) के नाम से पुकारते थे। उनकी शादी दोरबजी से 1897 में थी। उस दौर में मेहरबाई देश की प्रभावशाली महिलाओं में से एक थी। मेहरबाई ने देश में होने वाले बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। हालांकि बाल विवाह को खत्म करने के लिए देश की आजादी से पहले कानून लाया गया था लेकिन बदलाव के लिए टाटा परिवार की बहू मेहरबाई (Lady Tata Meherbai) को आगे आना पड़ा था। बाल विवाह को रोकने के लिए उन्होंने कई काम किए थे।
बाल विवाह के खिलाफ आंदोलन
लेडी टाटा यानी मेहरबाई (Lady Tata Meherbai) ने बाल विवाह को बंद करने के लिए महिला आंदोलनों की शुरूआत की थी। उन्होंने ना सिर्फ सारदा एक्ट को मूर्त रूप देने के लिए सलाह मशविरा दिया। बल्कि बड़े स्तर पर इसकी वकालत भी की। उन्होंने देश के प्रतिष्ठित महिला संगठन National Women’s Council और All India Women’s Conference की सदस्य होने के नाते साल 1927 में ही मिशिगन के एक कॉलेज में इसकी एक केस स्टडी पेश की। इसके अलावा उन्होंने एंड्रयू यूनिवर्सिटी में बाल विवाह को लेकर एक जोरदार भाषण दिया था। उन्होंने अपनी आवाज बुलंद कर अंग्रेजों के शासनकाल में भारतीयों को बाल विवाह के खिलाफ तैयार किया।
कैंसर से हुई मेहरबाई की मौत
महिलाओं के अधिकारों की आवाज उठाने वाली मेहरबाई (Lady Tata Meherbai) का साल 1931 में कैंसर के चलते निधन हो गया था। उनका निधन 52 साल की उम्र में हुआ था। उन्हें ब्लड कैंसर हो गया था। मेहरबाई (Lady Tata Meherbai) की याद में दोराबजी ने लेडी टाटा मेमोरियल ट्रस्ट का गठन किया था।