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नई दिल्ली। देश को आजाद हुए लगभग 75 साल हो गए हैं। 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हो गया था। यानी इस दिन भारत को अंग्रेजों से मुक्ति मिल गई थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजादी के इतने साल बाद भी देश में एक ऐसी भी जगह है जहां आज भी ब्रिटिश सरकार की हुकुमत चलती है। यहां आज भी कुछ करने से पहले ब्रिटिश सरकार की इजाजत लेनी पड़ती है।
कई लोग ब्रिटिश दूतावास के बारे में सोचेंगे
कई लोग तो सोच रहे होंगे कि हम ब्रिटिश दूतावास की बात कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। हां वो भी एक जगह है जहां अंतरराष्ट्रीय कानून के चलते कुछ भी करने से पहले ब्रिटिश सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है। लेकिन इसके अलावा भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में होते हुए भी एक स्थान ऐसा है जहां कुछ भी करने से पहले ब्रिटिश सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है।
इस जगह को कहते हैं 'कोहिमा वॉर सिमेट्री'
ये जगह है नागालैंड की राजधानी कोहिमा में। जहां स्थित है 'कोहिमा वॉर सिमेट्री' (Kohima War Cemetery) इसे कोहिमा युद्ध स्मारक के नाम से भी जाना जाता है। इस सिमेट्री में दूसरे विश्वयुद्ध के समय शहीद हुए 2700 ब्रिटिश सैनिकों की कब्र है। गौरतलब है कि यहीं पर चिंडविन नदी के किनारे जापान की सेना ने आजाद हिंद फौज के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार पर हमला बोल दिया था।
ब्रिटिश सरकार की लेने पड़ती है अनुमति
इस वॉर को इतिहास में कोहिमा युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में सभी स्मारकों की देख-रेख का काम कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कमीशन के पास है। यही कारण है कि यहां भारतीयों को फोटो खींचने से लेकर बाकी के कामों के लिए ब्रिटिश सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ साल पहले भारत सरकार ने इस स्मारक के पास की सड़क को चौड़ा करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे खारिज कर दिया था।
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