नई दिल्ली। जब भी आप घड़ी देखते हैं तो Knowledge on Clock क्या कभी आपके मन में ये सवाल आया है कि घड़ी हमेशा दक्षिणावर्त ही क्यों घूमती है। इसके कांटे कभी वामावर्त क्यों चलते। इसे किसने बनाया है। यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं। इसके पीछे का कारण आखिर क्या है।
सूर्य की दिशा के साथ क्यों नहीं चलता कांटा।
घड़ी की सुई वामावर्त क्यों नहीं घूमती। दक्षिण से उत्तर दिशा Knowledge on Clock की तरफ क्यों नहीं घूमती। उत्तर से दक्षिण की तरफ क्यों नहीं जाती। जबकि सूर्य पूर्व से उदित होकर पश्चिम में अस्त होता है। तो कायदे से तो घड़ी की सुई को भी उसके साथ ही चलना चाहिए और उसी के साथ रात होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता है। ऐसा क्यों होता है क्या घड़ी बनाने वाले ने कोई गलती कर दी या इसके पीछे की कोई और वजह है। आइए जानते हैं।
पहले के समय में ऐसे करते थे समय की गणना जब नहीं थी घड़ी
पहले के जमाने में समय की गणना के लिए सूरज की चाल से अंदाजा लगाया जाता था। जिसमें हमारे पूर्वज अपनी परछाई के जरिए समय का अंदाजा लगाते थे। मिस्र के विशेषज्ञों ने परछाई के माध्यम से ही समय का सटीक पता लगाने का तरीका खोजा था। तो वहीं ग्रीक लोग एक रॉड के माध्यम से समय की गणना करते थे।
क्या मतलब है दक्षिणावर्त और वामावर्त का
यहां दक्षिणावर्त से तात्पर्य उत्तर दिशा से पूर्व होते हुए दक्षिण दिशा की ओर जाना है। जबकि वामावर्त का अर्थ दक्षिण दिशा से पश्चिम होते हुए उत्तर दिशा की ओर जाना। घड़ी की सुई दक्षिणावर्त घूमती है। यानी उत्तर दिशा से शुरू होकर पूर्व होते हुए दक्षिण दिशा तक पहुंचना है। फिर पश्चिम होते हुए वापस उत्तर दिशा में आ जाती है। इस प्रकार उसका एक चक्र पूरा होता है।
इसलिए घूमती है घड़ी
उत्तरी गोलार्ध वालों ने बनाई घड़ी इसलिए घूमती है दक्षिणार्थ
इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि जिन लोगों ने इस घड़ी का आविष्कार किया था वे उत्तरी गोलार्ध में रहते हैं। इन्होंने ही Clockwise System बनाया था। इस गोलार्ध की खासियत है कि उनके सनडॉयल में खड़े होने पर सूर्य पश्चिम से पूर्व की ओर जाता दिखता था। तभी से ही Clockwise System पश्चिम से पूर्व की ओर चल रहा है। अगर यही क्लोक वाइज सिस्टम दक्षिणी गोलार्ध में रहने वाले लोगों ने बनाया होता तो शायद वो इसकी दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर चलने वाली Clockwise System बनाते। उस स्थिति में हमारी घड़ी की सुइयां वर्तमान दिशा की अपेक्षा उल्टी दिशा में घूम रही होतीं।
ऐसी रही होगी पहली तस्वीर
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार बिगबैंग के दौरान जब हमारे सौरमंडल का निर्माण हुआ। उस समय धूल और धुएं के कण, तारों समित सौर मंडल के सभी ग्रह दक्षिणावर्त घूम रहे थे। उस समय ही नहीं वर्तमान में आज भी हमारा सौरमंडल दक्षिणावर्त ही परिक्रमा करता है। इतना ही नहीं हमारी पृथ्वी भी अपनी धुरी पर दक्षिणावर्त ही घूमती है। यही कारण है कि घड़ी की सुई दक्षिणावर्त परिक्रमा के लिए निर्धारित की गई।
नोट : यह लेख सामान्य सूचनाओं पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता।