नई दिल्ली। Collar Workers Knowledge: आज के समय में नौकरी युवाओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। ऐसे में आपके कई बार सुना होगा कि कोई ब्लू कॉलर जॉब करता है तो कोई व्हाइट कॉलर जॉब करता है। पर क्या आप जानते हैं कि इस ब्लू-व्हाइट कॉलर जॉक का मतलब क्या होता है। यदि नहीं तो चलिए आज जानना जरूरी है में हम आपको बताते हैं इस कोड के बारे में।
जॉब की कैटेगरी होती हैं कॉलर्स
आपको बता दें जॉब की टर्म में ये कॉलर के नाम केवल ब्लू या व्हाइट तक सीमित नहीं हैं। इसमें ग्रीन, पिंक और ग्रे आदि भी शामिल हैं। दरअसल, विभिन्न सेक्टर्स में जॉब करने वालों को विभिन्न कॉलर कैटेगरी में बांटा गया है। तो चलिए जानते हैं कि किस जॉब को किस कलर के साथ जोड़ा जाता है।
ब्लू-कॉलर जॉब
ब्लू-कॉलर जॉब में वे वर्कर्स आते हैं, जो दिहाड़ी पर काम करते हैं। यानि जो रोजाना की मजूदरी करते हैं। ऐसे वर्कर्स शारीरिक श्रम यानि फिजिकल मेहनत अधिक करते हैं। इसमें वेल्डर, मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन, माइनिंग, किसान, मिस्त्री आदि को शामिल किया गया है। यानि ब्लू कॉलर वर्कर्स को लेबर भी कहा जा सकता है। आपने देखा होगा कि ज्यादातर ब्लू कॉलर वर्कर्स ब्लू कॉलर वाली शर्ट पहने रहते हैं। इसके पीछे यही कारण है।
व्हाइट-कॉलर जॉब
व्हाइट-कॉलर जॉब में वे लोग आते हैं, जो ऑफिस में बैठकर काम करते हैं। इस कैटेगरी में स्किल्ड प्रोफेशनल को शामिल माना जा सकता है। आपको बता दें व्हाइट कॉलर जॉब करने वालों को हर महीने सैलरी मिलती है। इस कैटेगरी के ड्रेस कोड की बात करें तो इसमें अधिकतर लोग सूट और टाई वाले होते हैं, जिनकी शर्ट की कॉलर व्हाइट होती है। इस कैटेगरी की खासियत ये होती है कि इसमें शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक मेहनत ज्यादा होती है। इसमें 9-5 वाले जॉब्स करने वाले लोग शामिल हैं।
गोल्ड-कॉलर जॉब
गोल्ड-कॉलर जॉब कैटेगरी में अधिकतर कुशल लोग आते हैं। यानि ऐसे लोग जो किसी कंपनी को चलाने के लिए मुख्य भूमिका निभाते हैं। जैसे पायलट, वकील, डॉक्टर, वैज्ञानिक आदि। इसके अलावा इन लोगों की डिमांड काफी होती है।
ओपन कॉलर जॉब
ओपन कॉलर जॉब में ऐसे वर्कर्स आते हैं, जो वर्क फ्रॉम होम करते हैं। इन लोगों को ऑफिस नहीं जाना पड़ता, बल्कि अपने घर से ही किसी के लिए काम करते हैं। आपको बात दें लॉकडाउन के बाद, इस तरह की जॉब में काफी बढ़ोत्तरी हुई है।
ग्रे-कॉलर जॉब
ग्रे-कॉलर जॉब में वे लोग आते हैं, जिन्हें व्हाइट या ब्लू कॉलर जॉब में शामिल नहीं किया जाता है। इसे आसानी से ऐसे समझा जा सकता है जिसमें रिटायरमेंट के बाद की जॉब शामिल होती है। सिक्योरिटी गार्ड की जॉब इसी कैटेगरी में आती है।
ग्रीन-कॉलर जॉब
इस कैटेगरी में ऐसे वर्कर्स आते हैं, जो सोलर पैनल, ग्रीन पीस और दूसरे एनर्जी सोर्स से जुड़ा काम करते हैं।
पिंक-कॉलर जॉब
पिंक-कॉलर जॉब में लाइब्रेरियन और रिसेप्शनिस्ट जैसी जॉब्स आती हैं। इस तरह की जॉब में ज्यादातर महिलाओं को रखा जाता है। इसके अलावा, इन जॉब के लिए सैलरी भी काफी कम होती है। जिससे अब महिलाओं का इसमें इंट्रेस्ट कम होता जा रहा है।
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