देश की राजनीति में मध्यप्रदेश के दिग्गज नेताओं की पहचान अलग ही रही है। प्रदेश की राजनीति के नोताओं के ऐसे अनेकों किस्से है जो आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर हो जाते है। ऐसा ही एक किस्सा आज हम आपको मध्यप्रदेश की सियासत से जुड़ा बातने जा रहे है जिसे शायद ही कम लोगों को पता है। इस रोचक किस्से से पहले हम आपको सुन्दर लाल पटवा, प्रकाशचंद्र सेठी, कैलाशनाथ काटजू, रविशंकर शुक्ल और दिग्विजय सिंह, शिवराज सिंह चौहान के बारे में बता चुके है। आज हम राज्य के उस नेता के बारे में बातने जा रहे है जो आपने आप में एक सख्सियत और अलग पहचान रखता था। हम बात कर रहे है दिवंगत मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) की। बाबूलाल गौर 2004 से 2005 तक मुख्यमंत्री रहे है।
उमा भारती ने बाबूलाल गौर को बनाया था मुख्यमंत्री
जब उमा भारती मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थी उस दौरान उनके इस्तीफे के बाद सीएम पद के लिए शिवराज सिंह, कैलाश जोशी, सुमित्रा महाजन और बाबूलाल गौर जैसे नेता समाने आए। लेकिन उमा भारती ने मुहर गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) के नाम पर लगाई। उमाभारती का मानना था कि गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) सबसे कमजोर मुख्यमंत्री साबित होंगे और उन्हें कभी भी पद से हटाया जा सकता है। साथ ही पिछड़ा वर्ग से आने पर भी उनका चयन किया गया था। उमा भारती ने सार्वजनिक रूप से कहा कि ‘गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) सबसे वरिष्ठ विधायक हैं और उनके नाम पर किसी को असहमति नहीं होगी, इसलिए उनको मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है।
मजाक मजाक में गौर बने सीएम
बाबू लाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) को विधायक दल का नेता चुना गया। वही गौर के लिए विशेष तौर पर शपथ दिलाने के लिए अरूण जेठली विशेष तौर पर राजधानी भोपाल आए और उन्हें राजभवन में सीएम पद की शपथ दिलाई। शपथ के दौरान गौर ने कहा कि ‘मैं उमा भारती के अधूरे कामों को पूरा करने के लिए आया हूं। दरअसल, 5 सितम्बर 2003 को राजभवन में मध्यप्रदेश के नये मुख्य न्यायाधीश कुमार राजारत्नम की शपथ होना थी। प्रोटोकाल के तहत मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष मौजूद रहते हैं। संयोग से उस रोज़ मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह किसी कारण से भोपाल के बाहर थे, किन्तु उमा भारती उस कार्यक्रम में मौजूद थीं। उन दिनों वे भोपाल लोकसभा से सांसद थीं। शपथ के बाद जब किसी ने पूछा कि मुख्यमंत्री कहां हैं, तो उमा भारती ने मजाकिया लहजे में बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) की तरफ इशारा कर दिया। गौर साहब ने सुनते ही कहा, ‘नहीं-नहीं मैं मुख्यमंत्री नहीं।’ इतना सुनते ही उमा भारती ने कहा ‘तो चलिए मैं आपको मुख्यमंत्री प्रपोज करती हूं।’ उस समय राजधानी के पत्रकार रामभुवन सिंह कुशवाह सामने खड़े थे। सभी खूब हंसे। लेकिन इसके ठीक एक साल बाद कर्नाटक से तिरंगा मामले में गिरफ्तारी वारंट आने के कारण उमा भारती को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और उन्हीं बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) को मुख्यमंत्री प्रस्तावित करना पड़ा।
गौर ने ली गंगाजल की शपथ
उमा भारती ने जब बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) को अपनी जगह पर मुख्यमंत्री बनाया तब उनसे सीएम हाउस के मंदिर में 21 देवी-देवताओं के सामने गंगाजल उठाकर शपथ करवाई। शपथ इस बात की थी कि जब उमा भारती कहेंगी, तब गौर इस्तीफा दे देंगे। गौर मुख्यमंत्री बने तब 1950 के बाद पहली बार ऐसा हुआ था कि राजधानी भोपाल का ही कोई विधायक मुख्यमंत्री बना हो। इसके पहले जब भोपाल राज्य था तब शंकरदयाल शर्मा मुख्यमंत्री हुए थे। इसके बाद कोई भी भोपाली मुख्यमंत्री नहीं बना। 23 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के चार दिन बाद जब बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो उमा भारती के चार मंत्रियों को हटा दिया और तीन नये बनाये। नये बनाये जाने वाले मंत्रियों में अंतर सिंह आर्य, उमाषंकर गुप्ता एवं रामपाल सिंह थे। उमाशंकर गुप्ता मुख्यमंत्री के प्रिय मंत्रियों में से एक थे और बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) उन पर बहुत भरोसा करते थे। रामपाल सिंह, शिवराज सिंह की सिफारिश पर आये। इस शपथ ग्रहण समारोह में उमाशंकर गुप्ता की अपने समर्थकों को अंदर ले जाने को लेकर राजभवन के प्रवेश द्वार पर लगभग हाथापाई हुई। प्रोटोकाल अधिकारी राजेश मिश्रा और भोपाल डीआईजी इस धक्का-मुक्की में उमाशंकर गुप्ता के साथ उलझते देखे गये। हुआ यह था कि गुप्ता बिना आमंत्रण अपने ढाई सौ समर्थकों को ले आये थे। जिन चार लोगों को हटाया गया उनमें अंचल सोनकर, धूलजी चौधरी, अलका जैन एवं गंगाराम पटेल शामिल थे। जब गुप्ता को कैबिनेट मंत्री बनाया गया तब वे पहली बार के विधायक थे। उमा भारती के जाने के दो महीने बाद बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) ने 20 अक्टूबर को मुख्यमंत्री निवास में प्रवेश किया, हालांकि उन्होंने अपना चौहत्तर बंगले वाला घर नहीं छोड़ा।
बाबूलाल गौर का संघर्ष
बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) जब डेढ़ वर्ष के थे, तब उनके पिताजी उन्हें उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से भोपाल ले आए थे। गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) के पिताजी मानक शाह एण्ड कम्पनी में मुलाजिम थे, जिसकी तीन शराब की कलारियां बरखेड़ी, जिन्सी और सीहोर में थी। रशीदिया जहांगीरियां स्कूल और फिर अलेग्जेन्ड्रा स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) आरएसएस से जुड़ गए। दसवीं की बोर्ड परीक्षा में उन्हें सप्लीमेंट्री आई, पर तभी 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया और इसी खुशी में सभी सप्लीमेंट्री वालों को पास कर दिया गया। कुछ महीनों बाद ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में पांच रुपए महीने पर आवक-जावक लिपिक की नौकरी कर ली पर यह ज्यादा दिन नहीं चल सकी। सन् 1958 में बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) भोपाल नगर पालिका के चुनाव में बरखेड़ी वार्ड से जनसंघ के उम्मीदवार बने, लेकिन काँग्रेस प्रत्याशी लाडलीशरण सिन्हा के मुकाबले 38 वोटों से हार गए। सन् 1974 में जब विधानसभा का उपचुनाव अस्थाना के निधन के कारण हुआ, तो गौर उस समय गैर-कांग्रेसी दलों के मिले-जुले प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए। यह जयप्रकाश नारायण के जनता पार्टी के प्रयोग का पहला कदम था। इस तरह गौर 77 में बनी जनता पार्टी के पहले प्रत्याशी थे। एक बार पार्टी ने गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) को अर्जुन सिंह के विरूद्ध चुरहट से चुनाव लड़ाने का तय किया। शुरू में तो गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) को कुछ समझ नहीं आया पर बाद में उन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे की मद्द से निर्णय बदलवा दिया। कहते है कि गौर और ठाकरे की दोस्ती का कारण भोजन था। बाबूलाल गौर (MP BJP Babu Lal Gaur) अक्सर ठाकरे को भोजन पर आमंत्रित करते थे।