Who is Dr Vikas Divyakirti : आज के समय में लाखों युवा उम्मीदवारों की पहचान बन चुके डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Dr Vikas Divyakirti) किसी पहचान की मौहताज नहीं है। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Dr Vikas Divyakirti) मास्टरों के मास्टर कहलाते है। उनका पढ़ाने का निराला अंदाज,उनकी मजाक, बाकी शिक्षकों से काफी बेहद अलग है। उनके पढ़ाने के इस अंदाज से लाखों बच्चे उनके मुरीद है। डॉ.दिव्यकीर्ति (Dr Vikas Divyakirti) प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले दृष्टि IAS कोचिंग संस्थान के MD हैं।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Dr Vikas Divyakirti) आर्य समाज और RSS से ताल्लुक रखते है। वह मूल रूप से पंजाब के रहने वाले है। उनकी पढ़ाई-लिखाई हरियाणा से हुई। उन्होंने भिवानी शहर से स्कूली शिक्षा ग्रहण की है। उनके माता-पिता भी शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Dr Vikas Divyakirti) तीन भाइयों में से सबसे छोटे है। वह स्कूल के दिनों से पॉलिटिक्स में काफी रूची रखते थे। अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचे तो वहां उन्होंने कॉलेज के दिनों में आरक्षण के विरोध आंदोलन में भी हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने पुलिस की पिटाई का भी सामना किया
पिता चाहते थे बेटा बने नेता
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति (Dr Vikas Divyakirti) के पिता उन्हें एक बड़ा नेता बनता देखना चाहते थे। लेकिन समय और किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। डॉ.विकास जब 24 साल के थे, वह तब से IAS और PCS वालों के गुरु जी बन गए क्योंकि उनकी आर्थिक परिस्थितियां कुछ ठीक नहीं थी। इतना ही नहीं उन्होंने सेल्समैन की नौकरी की, और दिल्ली में कैल्कुलेटर बेच कर अपना गुजारा किया। हालांकि इस काम में ज्यादा दिन उनका दिल न लगा और वह आगे बढ़ते हुए छोटे उद्यम की ओर बढ़े। डिबेटिंग से छिट-पुट खर्चा निकालते हुए उन्होंने भाई के साथ मिलकर प्रिंटिंग का काम चालू किया था। वह इस काम में सफल भी रहे। बाद में अध्यापन की ओर रुख कर किया।
कहा तक पढ़े है डॉ. विकास दिव्यकीर्ति? (Dr Vikas Divyakirti)
अंग्रेजी में नौवीं क्लास तक फेल होने वाले डॉ.दिव्यकीर्ती (Dr Vikas Divyakirti) ने BA के बाद, MA हिंदी, MA सोशियोलॉजी, मास कम्युनिकेशन, LLB, मैनेजमेंट आदि की पढ़ाई की। ये सारे कोर्स उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से किए। JRF क्लियर किया। हिंदी में पीएचडी भी की। साल 1996 में IAS का पहला अटेंप्ट दिया, जिसमें पास भी हुए थे। गृह मंत्रालय की नौकरी की, पर कुछ समय बाद वह छोड़ दी और DU के कॉलेज में पढ़ाया। बाद में दृष्टि की स्थापना की।