Radha Rani Controversy: हाल ही में पंडित प्रदीप मिश्रा और प्रेमानंदजी के बीच राधा रानी के बरसाने से जुड़े विवाद को लेकर खूब बयानबाज़ी हो रही है. दरअसल पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपनी एक कथा में राधा रानी की जन्मस्थली बरसना नहीं रावल गांव बता दी.
इतना ही नहीं प्रदीप मिश्रा ने कथा में मौजूद लोगों के बीच यह भी बताया कि श्रीकृष्ण की पत्नियों में राधा का नाम नहीं है. राधा जी का विवाह अनय घोष के साथ हुआ था. जिसके कारण प्रेमानंद और पंडित प्रदीप मिश्रा के बीच विवाद हो गया.
इस विवाद के बीच आज हम आपको राधा रानी के जन्म का रहस्य के बारे में बताएंगे.
आखिर कहाँ हुआ था राधा जी का जन्म
वैसे तो आपने सुना होगा कि राधा जी का जन्म बरसना में हुआ था. लेकिन ऐसा नहीं राधा जी का जन्म बरसना से 50 किलोमीटर दूर रावल नाम की जगह पर हुआ था. माना जाता है कि 5 हज़ार साल पहले रावल गांव को छूकर यमुना नदी बहती थी.
इस समय राधारानी की माँ कृति यानुना में स्नान करते हुए पुत्री होने की आराधना करती थी. जिसके बाद एक दिन यमुना जी में से एक कमल का फूल प्रकट हुआ. जिसमें चमकती हुई रोशनी की तरह एक बच्ची इसमें नेत्र बंद करे हुई थी.
इसके 11 महीने बाद 3 किलोमीटर दूर मथुरा में कंस के कारागार में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. लेकिन वे आधी रात में गोकुल नंदबाबा के घर पहुंच गए. जहाँ श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया. जब वृषभान गोद में राधा रानी के साथ बधाई देने आये तो राधा रानी घुटने के बल चलकर श्री कृष्ण के पास पहुंची तभी राधा रानी ने अपने नेत्र पहली बार खोलकर श्री कृष्ण के दर्शन किए.
कैसे बरसना पहुंची राधा रानी
पुराणों के अनुसार राधा जी के पिता वृषभान कंस के अत्याचार से परेशान होकर रावल छोड़ बरसाना चले गए थे. जिसके बाद कंस एक बार फिर से वृषभानु पर हमले की मंशा से बरसना की सीमा पर पहुंचे लेकिन राधा जी के प्रभाव से कंस की साड़ी सेना पत्थर में बदल गयी.
इतना ही नहीं कंस खुद भी स्त्री बन गया था. जिस वजह से ही बरसाना और रावल के लोग राधा जी को लाड़ली मानते हैं. बरसाना के हर घर में पूजा की जाती है.