Shrikrishna MP Connection: आज देश भर में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। वैसे तो श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी बहुत सी लीलाएं आपने पढ़ी होंगी। लेकिन क्या अप जानतें हैं श्री कृष्ण का मध्यप्रदेश से ख़ास संबंध है।
श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी बहुत सी घटनाएं मध्यप्रदेश में घटी हैं. जिनका वर्णन श्री कृष्ण से जुड़े पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में भी है। आज हम आपको श्री कृष्ण के जीवन से मध्यप्रदेश से जुड़े कुछ रोचक घटनाएं बताएंगे।
अमझेरा में हुआ था रुक्मणि का हरण
अमझेरा, जो मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित है, का ऐतिहासिक महत्व है और इसके संदर्भ में माता रुक्मिणी के हरण की कथा आती है। पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण अमझेरा से ही किया था।
रुक्मिणी, विदर्भ राज्य की राजकुमारी थीं और उन्हें अपने भाई रुक्मी द्वारा शिशुपाल के साथ विवाह के लिए मजबूर किया जा रहा था। लेकिन रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण को मन से अपना पति स्वीकार किया था। रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को पत्र भेजा और उन्हें अपनी सहायता के लिए बुलाया।
श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण उनके स्वयंवर से ठीक पहले किया, और इस पूरी घटना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा अमझेरा से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी को यहाँ से ले जाकर उनके भाई रुक्मी से युद्ध भी किया और अंततः उन्हें अपने साथ द्वारका ले गए।
सांदीपनि आश्रम में ली थी शिक्षा
सांदीपनि आश्रम, जो कि श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है, मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। यह आश्रम गुरु सांदीपनि का आश्रम माना जाता है, जहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी।
यहाँ आने पर आपको कई ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की चीज़ें देखने को मिलेंगी। आश्रम के पास एक कुंड भी है जिसे गोमती कुंड कहा जाता है। माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण स्वयं श्रीकृष्ण ने किया था ताकि उनके गुरु सांदीपनि और अन्य ऋषि-मुनियों को गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों का जल मिल सके।
जानापाव में मिला था सुदर्शन चक्र
मध्यप्रदेश के इंदौर-मुंबई राजमार्ग पर स्थित जानापाव श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ा हुआ है. पौराणिक कथाओं के अनुसार शक्तिशाली सुदर्शन चक्र को भगवान् शिव ने भगवान् विष्णु को, भगवान विष्णु ने अग्निदेव ने वरुण देव को, वरुण देव ने भगवान परशुराम और परशुराम ने भगवान् श्रीकृष्ण को दिया था।
परशुराम ने जानापाव में ही भगवान श्रीकृष्ण को सुरदर्शन चक्र सौंपा था। इसका उल्लेख भगवान कृष्णा से जुड़े शास्त्रों में भी है। इस स्थान को भगवान परशुराम की जन्मस्थली के नाम से भी चर्चित है।
नारायणा धाम में कृष्ण-सुदामा मिले
जानकारी के मुताबिक श्री कृष्ण-सुदामा की मित्रता उज्जैन में हुई थी। उज्जैन से लगभग 31 किलोमीटर दूर महिदपुर तहसील में नारायणा धाम स्थित है। बता दें ये विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां कृष्ण और सुदामा एक साथ पूजे जाते हैं।
यह नारायणधाम मंदिर कृष्ण और सुदामा की मित्रता और बालसखा पर आधारित है। यहां पर सुदामा ने कृष्ण से छिपाकर चने खाए थे जिस पर गुरू मां ने इन्हें दरिद्रता का श्राप दे दिया था। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।