नई दिल्ली। भारत में दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों को खड़े होकर काम करना पड़ता है। कर्मचारी चाहे महिला हो या पुरुष, दोनों को इस नियम का पालन करना होता है। लेकिन अब तमिलनाडु में कर्मचारियों ने बैठने का अधिकार (Right to Sit) हासिल कर लिया है। इस नियम को हाल ही में लागू किया गया है। इस नियम को लागू करने वाला तमिलनाडु दूसरा राज्य है। इससे पहले इस नियम को केरल ने लागू किया था।
10-12 घंटे खड़े होकर काम करना पड़ता था
बता दें कि तमिलनाडु के दुकानों में कर्मचारियों और खासकर महिलाओं को बैठने नहीं दिया जाता था। इस कारण से सरकार के पास कई तरह की समस्याओं की शिकायतें आ रही थी। ऐसे में सरकार ने इस नियम को लागू किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु में कपड़ा और ज्वेलरी उद्योग में काम करने वाले कर्मचारियों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था। जिसमें बैठने की सुविधा ना मिल पाना भी एक समस्या थी। उन्हें लगातार 10 से 12 घंटे खड़े होकर काम करना पड़ता था। इतना ही नहीं उन्हें टॉयलेट ब्रेक भी नहीं मिलते थे।
दुकान पर ग्राहक नहीं होने पर कर्मचारी बैठ सकेंगे
ऐसे में इस बात को लेकर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाज उठाई। आवाज उठने के बाद तमिलनाडु सरकार ने केरल की तर्ज पर अपने राज्य में भी कर्मचारियों को बैठने का अधिकार देते हुए कानून बनाया। अब दुकान पर ग्राहक नहीं होने पर कर्मचारी बैठ सकेंगे। इस कानून का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को होगा। क्योंकि दिन भर खड़े रहकर काम करने की वजह से यहां कि महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। आलम यह था कि बहुत से मल्टी डिपार्टमेंट शोरूम, जिसमें ज्वेलरी और टेक्स्टाइल ब्रांड में काम करने वाले कर्मचारियों को बैठने के लिए कुर्सी या स्टूल तक नहीं दी जाती हैं। इससे कभी-कभी खड़े रहने की वजह से उनके पैर में सूजन भी आ जाती थी। लेकिन अब दुकानदारों को कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था करनी होगी।
लंच ब्रेक ही था बैठने का सहारा
अभी तक इन महिलाओं को केवल 20 मिनट का लंच ब्रेक का सहारा था, जब वे बैठ सकती थीं। दुकानों पर काम करने वाली बहुत सी महिलाओं ने शिकायत की है कि जब दुकान पर कोई ग्राहक नहीं होता है, तब भी उन्हें जमीन तक पर बैठने की इजाजत नहीं मिलती है। तमिलनाडु में भारी संख्या में ज्वेलरी, साड़ी और कपड़े की दुकानों हैं, जहां निम्न मध्य आय वर्ग की घरों की महिलाएं, महिला ग्राहकों के लिए काम करती हैं।
बतादें कि तमिलनाडु से पहले इस अधिकार को साल 2018 में केरल में लागू किया गया था। केरल में टेक्सटाइल की दुकानों के सेल्स स्टाफ के प्रदर्शन को देखते हुए कानून बनाया गया था। वहीं, तमिलनाडु सरकार द्वारा भी अब इस नियम को पास कर दिया गया है।