Bhopal National Education Festival: शिक्षा के केंद्र में हमेशा बच्चा होना चाहिए। यदि शिक्षक इस दृष्टिकोण से बच्चों के साथ काम करेंगे तो शिक्षा स्वतः ही रोचक हो जाएगी। जिस तरह शिक्षक के लिए हर दिन नया दिन होता है, उसी तरह बच्चों के लिए भी हर दिन नया होता है। इसलिए शिक्षक को बच्चों के साथ काम करते समय नए-नए संदर्भों की आवश्यकता होती है और होना चाहिए। ये बातें भोपाल के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान परिसर में मुंबई से आईं ECCE विशेषज्ञ डॉ. रीता सोनावत ने राष्ट्रीय शिक्षा महोत्सव के दौरान कहीं।
इस कार्यक्रम में बसंल न्यूज डिजिटल से खास बातचीत में कार्यक्रम के अतिथि डॉ. के.एम. भंडारकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष CTEF (Council For Teacher Education Foundation) ने बताया कि मार्कशीट केवल एक कागज का टुकड़ा होती है। छात्रों को हमेशा अपने ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए, कभी भी मार्कशीट के पीछे नहीं भागना चाहिए।
रवि प्रताप ने बताई NEP की खास बातें
बसंल न्यूज डिजिटल से बातचीत में रवि प्रताप सिंह, पूर्व क्षेत्रीय निदेशक एड एट एक्शन साउथ एशिया कोलंबो ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बहुत ही अच्छी नीति है, लेकिन सबसे बड़ी चीज इसके क्रियान्वयन की है। हम इसके क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग में पीछे रह गए हैं।
जिसके कारण इससे जो बदलाव होने चाहिए थे वो दिखाई नहीं दे रहे हैं। हम जब NEP का इम्प्लीमेंटेशन अच्छे से शुरू करेंगे तो हमें खुद को पता चलेगा की इस नीति में क्या-क्या कमियां रह गई हैं। लोगों के बीच में दूरी बढ़ रही है और पूरी दुनिया में सोसाइटियों का पोलराइजेशन हो रहा है। इसे कैसे कम किया जा सकता है, हमें इस पर विचार करना चाहिए।
समाज में शिक्षकों के प्रति नजरिया सही नहीं है कुछ लोगों को ऐसा लगता है शिक्षक सही से काम नहीं करते या किसी दूसरे काम में लगे रहते हैं। ये बहुत गलत धारणा बनाई गई है। हमारे ज्यादातर शिक्षक ऐसे हैं जो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और जो बहुत अच्छे बदलाव की बात कर रहे हैं।
ऐसे शिक्षकों को अपने काम के बारे में समाज को और लोगों को बताना चाहिए।
कोलंबो से आए रवि प्रताप सिंह ने क्या कहा ?
कोलंबो से आए एड एट एक्शन के दक्षिण एशिया के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक रवि प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षकगण जिस विश्वास से काम कर रहे हैं, वो बच्चों की शिक्षा की दुनिया को बदलने के लिए काफी है। रवि प्रताप सिंह ने कहा कि वैसे तो शिक्षक के ऊपर कई सारी जिम्मेदारी हैं, लेकिन उसके बावजूद भी शिक्षक पूरी तन्यमता से काम कर रहे हैं और बच्चों की दुनिया में रंग भर रहे हैं। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शिक्षक और शिक्षा को समग्रता में समझना जरूरी है।
प्रदेश के कई जिलों से शामिल हुए शिक्षक
राष्ट्रीय शिक्षा महोत्सव में मध्य प्रदेश के तमाम जिलों से शिक्षक हिस्सा लेने आए हैं।
इसके अलावा देश के कोने-कोने से कई शिक्षा के जानकार भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर बात की गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा महोत्सव (Bhopal National Education Festival) में सभी शिक्षकों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों पर चर्चा की और सभी शिक्षक अपने-अपने विद्यालयों में क्या कुछ अच्छा कर सकते हैं, इसको लेकर भी बात हुई।
देश के पहले शिक्षाविद् थे डॉ. गुलाब चौरसिया
कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने वाले डॉ. दामोदर जैन ने बताया कि डॉक्टर चौरसिया देश के ऐसे पहले शिक्षाविद् थे, जिन्हें वर्ल्ड काउंसिल फॉर एजुकेशनल एडमिनिस्ट्रेशन का फैलो और आजीवन सदस्य चुना गया था।
राष्ट्रीय शिक्षा महोत्सव में सभी अतिथियों ने डॉ. गुलाब चौरसिया के जीवन के ऊपर बात की और हम उनसे कैसे प्रेरणा ले सकते हैं ये भी बताया।
कार्यक्रम में अतिथियों ने बताया कि डॉ. गुलाब चौरसिया ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल एसोसिएशन के दो बार अध्यक्ष भी रहे हैं और साथ ही बताया कि डॉक्टर चौरसिया ने एजुकेशनल इंटरनेशनल के माध्यम से दुनियाभर के शिक्षकों को गरिमा और प्रतिष्ठा दिलाने की भरपूर कोशिश की।
वे वर्ल्ड काउंसिल ऑफ करिकुलम एंड इंस्ट्रक्शन के अध्यक्ष बने और उन्होंने भारत के लिए विशिष्ट गौरव प्राप्त किया।
आज भी शिक्षा जगत में डॉ. गुलाब चौरसिया जी का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।