Chanakya Neeti:चंद्रगुप्त को भारत का शासक बनने में मदद करने वाले आचार्य चाणक्य के सिद्धांत जीवन के विभिन्न पहलुओं में फायदेमंद हो सकते हैं।
चाणक्य की शिक्षाएँ पेशेवर, उद्यमशीलता और सामाजिक (Chanakya Niti) संदर्भों में लागू होती हैं। वह संबंध बनाने और उपयुक्त रोजगार के अवसर चुनने पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
तो चलिए जानते हैं आचार्य चाणक्य के अनुसार क्या कहती है उनकी चाणक्य नीति। जो हमारे जीवन की हर स्थिति में मदद करती है।
सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति। सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात्॥
विद्वान व्यक्ति को चाहिए की वे गधे से तीन गुण सीखें| जिस प्रकार अत्यधिक थका होने पर भी वह बोझ ढोता रहता है, उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति को भी आलस्य न करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति और सिद्धि के लिए सदैव प्रयत्न करते रहना चाहिए । कार्य सिद्धि में ऋतुओं के सर्द और गर्म होने का भी चिंता नहीं करना चाहिए और जिस प्रकार गधा संतुष्ट होकर जहां – तहां चर लेता है, उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति को भी सदा सन्तोष रखकर कर्म में प्रवृत रहना चाहिए ।
अर्थनाश मनस्तापं गृहिण्याश्चरितानि च। नीचं वाक्यं चापमानं मतिमान्न प्रकाशयेत॥
धन का नाश हो जाने पर, मन में दुखः होने पर, पत्नी के चाल – चलन का पता लगने पर, नीच व्यक्ति से कुछ घटिया बातें सुन लेने पर तथा स्वयं कहीं से अपमानित होने पर अपने मन की बातों को किसी को नहीं बताना चाहिए । यही समझदारी है ।