Football Hub: दुनिया के महान खिलाड़ी फ़ुटबॉल के क्षेत्र में यूरोपीय देशों से ही आते है। हाल ही में कत्तर में खत्म हुए फीफा विश्व कप में यूरोपीय टीमों के क्रोएशिया के लुका मोड्रिक, इवान राकिटिक, इंग्लैंड के हैरी केन, फ्रांस के एमबापे व ग्रिजमौन, और बेल्जियम के हेजार्ड, ब्रुइन और लुकाकू ने महफिल लूट ली। इन खिलाड़ियों की वजह से यह सबित हो गया की फुटबॉल का सरताज यूरोप ही है। आईए जानते है यूरोप में फुटबॉल के विकास की कहानी और इस बाज़ार खाड़ी के देशों के निवेश की कहानी।
बीत चुके 14 सालों में खाड़ी के देशों ने फुटबॉल की दुनिया बदल दी
बता दें कि खाड़ी के देशों ने पैसा पानी की तरह बाहाया है, चाहे वह क़तर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात हो, सभी ने यूरोपीय फ़ुटबॉल में काफ़ी निवेश किया है। अबू धाबी के शाही परिवार ने 2008 में मैनचेस्टर सिटी को ख़रीदा था। इसके तीन साल बाद क़तर ने फ्रेंच क्लब पीएसजी को 2011 में ख़रीदा। 2021 में सऊदी अरब के नेतृत्व वाले कांसोर्टियम ने प्रीमियर लीग के क्लब न्यूकैसल यूनाइटेड को तीन सौ मिलियन पाउंड से ज़्यादा की रकम में ख़रीदा। इसके अलावा सऊदी अरब के अब्दुला बिन मोसाद बिन अबदुल्लाज़ीजड अल सौद ने इंग्लिश फ़ुटबॉल लीग चैंपियनशिप के क्लब शैफ़ील्ड यूनाइटेड को 2013 में ख़रीदा था।
खाड़ी के देश फुटबॉल क्यों पसंद कर रहे है
दुनिया भर में टेक्नोलॉजी रफ्तार पकड़े हुए है। अधिकतर देश टेक्नोलॉजी की ओर अग्रसर है, ऐसे में खाड़ी देशों को भी अंदाज़ा है कि केवल पेट्रोलियम आधारित अर्थव्यवस्था टिकाऊ अर्थव्यवस्था नहीं रहने वाली है। ऐसे में बढ़ते खेल की मांग से उन्हें पैसा कमाने की तरीका मिल गया। जो आने वाली कई सालों के लिए सबसे महफूज निवेश है। हाल के दिनों में सऊदी अरब, क़तर और संयुक्त अरब अमीरात को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा भी ख़ूब मिली है वो इसलिए क्योंकि खाड़ी के देश फुटबॉल पर निवेश कर रहे है ।
इन देशों के पैसे से पीएसजी, मैनचेस्टर सिटी और न्यूकैसल यूनाइटेड जैसे क्लब वित्तीय संकट से बाहर निकल आए हैं और यूरोपीय फ़ुटबॉल सर्किट में उनकी स्थिति बेहतर हुई है। मालूम हो कि संयुक्त अरब अमीरात के स्वामित्व वाली मैनचेस्टर सिटी और क़तर के स्वामित्व वाली पीएसजी- दोनों ने बीते एक दशक में आपस में एक दर्जन से अधिक टाइटिल जीते हैं।
खाड़ी देशों के यूरोपीय फ़ुटबॉल में निवेश की एक बड़ी वजह, इस बाज़ार का तेज़ी से बढ़ना है। कोविड संक्रमण के दौर से पहले, 2019 में यूरोप के 32 शीर्ष क्लब नौ प्रतिशत की दर से बढ़ रहे थे। 8 सालों में इन क्लबों का राजस्व 65 प्रतिशत बढ़ गया था। इसके अलावा खाड़ी देशों को सामाजिक और आर्थिक तौर पर दूसरे फ़ायदे भी होते हैं। यूरोपीय फ़ुटबॉल क्लब ख़रीदने से खाड़ी देशों की विमानन सेवा और पर्यटन उद्योग को लाभ पहुंचा है।