Challenges in Living on Moon: अभी तक पृथ्वी के विज्ञान और तकनीक की स्थिति के आधार पर चांद पर जीवन या मानवों के रहने की संभावना नगण्य है। चांद की मानव बस्तियों की निर्माण, वायुमंडल और अन्य फैक्टर्स की जरूरत होगी जो अब तक विकसित नहीं हुए हैं।
आइए जानते हैं क्या चांद पर रहना सुरक्षित है और चांद पर बसने और रहने की चुनौतियां क्या-क्या हैं?
चांद की वायुमंडलीय और धरातलीय स्थति
चांद की वायुमंडलीय दशा बहुत ही विषम और धरातलीय उच्चावच कठिन हैं। कहीं खाई है तो कहीं गड्ढा। धूल बहुत ज्यादा है। यह मानव जीवन के लिए अत्यंत अयोग्य हैं। यहां पर ऑक्सीजन नहीं है, जो पार्थिव जीव के सांस लेने के लिए अनिवार्य है।
हवा न होने के कारण यहां पृथ्वी की तरह सामान्य रूप से बातचीत करना संभव नहीं है। बहुत नजदीक में आवाज शायद सुन भी लें, लेकिन दूरी बढ़ने के साथ मौखिक संवाद असंभव है।
चांद पर पानी का नितांत अभाव है
दूसरी सीमा धरातल यानी की जमीन ही है, जो कि अनुपजाऊ और बंजर है। इसका मूल कारण भी वायुमंडलीय दशा है। ऑक्सीजन न होने के कारण यहां पानी नहीं है। जल ही जीवन है, तो जल के बिना रहना कैसे संभव होगा।
दिन और रात के तापमान में भारी अंतर
चांद के वायुमंडल और वातावरण की एक सबसे बड़ी दुश्वारी है वहां के तापमान का परास, जो दिन में 120 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और रात में -250 डिग्री सेल्सियस तक नीचे आ जाता है।
ब्रह्मांडीय किरणों का अधिक रेडिएशन
चांद पर सूर्य और ब्रह्मांडीय किरणों को रोकने के लिए कोई आवरण नहीं है, जैसा कि पृथ्वी पर है। इसके कारण वहां रेडिएशन काफी अधिक होती है। यह रेडिएशन मनुष्यों के रहने के लिहाज से काफी हनिकारक है।
गुरुत्वाकर्षण का कम होना
चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण काफी कम है। यहां पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का लगभग छठा भाग पाया जाता है। कम गुरुत्वाकर्षण के कारण चीजें स्थिर नहीं रह सकती हैं, जबकि स्थिरता जरुरी है।
यही कारण है कि चांद पर यातायात को संचालित करने के लिए वैसी नई प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता होगी है, जो वहां के गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप हों।
चांद पर दवाब का कम होना
चांद का वातावरण स्वास्थ्य पर तुरंत प्रभाव डालने वाला है। कम दवाब होने के कारण शरीर का खून आंखों, कानों और नाक से निकलना शुरू हो जाएगा और कुछ देर में ही मृत्यु हो जाएगी।
आशा ही देता है कुछ करने का हौसला
पृथ्वी के विज्ञान और तकनीक में तेजी से बदलाव हो रहा है। अमेरिका, रूस, चीन, भारत, जापान, फ़्रांस आदि जैसे देश चांद का लगातार अध्ययन कर रहे हैं।
अंतरिक्ष एजेंसियों ने चाँद पर अगले यात्रियों के लिए विशेष हार्बर (बंदरगाह) बनाने की योजनाएं बनाई हैं. वे भविष्य में चांद पर अस्थायी मानव बस्तियों के निर्माण की योजनाएं भी बना रहे हैं।
आशा ही जीने और कुछ करने का हौसला देता है। मानव जीवन को चांद पर संभव बनाने और इन सभी चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए पृथ्वी के वैज्ञानिकों का अनुसंधान फिलहाल जारी है।
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