End of the Sun: हमारे सौरमंडल का सबसे प्रमुख सदस्य सूर्य एक मध्यम आकार का तारा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, अन्य तारों की तरह सूरज भी हाइड्रोजन और हीलियम गैसों के मिश्रण से बना है।
इसकी ऊर्जा का मुख्य स्रोत है—न्यूक्लियर फ्यूजन (नाभिकीय संलयन)—जिसमें हाइड्रोजन उच्च नाभिकीय दबाव और तापमान के कारण हीलियम में बदल जाता है।
नाभिकीय संलयन की इस प्रक्रिया में ऊष्मा और प्रकाश के रूप में बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसी ऊर्जा के कारण सौरमंडल के ग्रहों में गरमाहट ज्यों की त्यों बनी रहती है।
हीलियम बर्न क्या है?
सूरज और अन्य तारों में नाभिकीय दबाव और तापमान के कारण के हाइड्रोजन के हीलियम में बदल जाने की प्रक्रिया को “हीलियम बर्न” (Helium Burn) कहते हैं। इस परमाण्विक प्रक्रिया में हाइड्रोजन के दो प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉनों से मिलकर हीलियम-4 का निर्माण होता है।
यह हीलियम बर्न की न्यूक्लियर प्रक्रिया ही सूर्य और अन्य तारों के ऊर्जा उत्पन्न करने का मुख्य कारण है। सूर्य और अन्य सितारे इस प्रक्रिया से अपनी ऊर्जा को लाखों वर्षों तक व्यय करते रहते हैं।
सवाल उठता है कि जब सूरज का हाइड्रोजन एक समय पर खत्म हो जाएगा, तब क्या होगा? क्या इसके बाद सूरज का अंत हो जाएगा?
यदि सूरज का अंत (End of the Sun) इस प्रकार से होगा, तो धरती और सौरमंडल के अन्य ग्रहों का क्या होगा? आइए जानते हैं, इन्हीं सवालों के जवाब और वैज्ञानिक उत्तर।
कैसे और कब होगा सूरज का अंत
सूर्य के अंत (End of the Sun) के संबंध वैज्ञानिकों का आकलन है, यदि वास्तव में सूर्य का अंत होता है, तो सबसे पहले सूर्य आकार में परिवर्तन होगा।
तब इस प्रक्रिया में उसकी ऊर्जा का बहुत व्यय होगा। और, यह तब संभव है, जब सूर्य के न्यूक्लियर फ्यूजन प्रक्रिया में भारी बदलाव आ जाता है।
वैज्ञानिक इस बात सहमत हैं कि सूर्य के न्यूक्लियर फ्यूजन प्रक्रिया में परिवर्तन से सूर्य अपने अंत की ओर आगे बढ़ने लगेगा। लेकिन समय सीमा के बारे बारे में कुछ निश्चित नहीं कहा जा है।
बता दें, सूर्य के अंत का वैज्ञानिक रूप तय करना अभी तक धरती के वैज्ञानिकों के लिए किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच सकना संभव नहीं हुआ है।
अभी जो भी बातें हैं, वो एक परिकल्पना (हाइपोथिसिस) मात्र है, जो आधे-अधूरे आंकड़ों पर आधारित है। ये आंकड़े हाल के 25-30 वर्षों में अंतरिक्ष अन्वेषण और खगोलीय दूरबीनों के माध्यम से प्राप्त हुए हैं।
लिहाजा, सूर्य के आगे के घटनाओं के बारे में जानकारी नहीं है कि इसका अंत किस स्वरूप में होगा। सूर्य के संरचना और उसकी विशेषताओं के बारे में बहुत कुछ जानने के बावजूद उसके अंत के समय और प्रक्रिया बारे में कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता है।
एक शोध में बताया गया है कि अभी सूर्य का अंत (End of the Sun) बहुत ही दूर की बात है। इसे धरती के वर्तमान विज्ञान द्वारा अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया जा सकता है।
शोध में बताया गया है कि हमारे सौरमण्डल की प्रणाली में सबसे अहम सूर्य की ऊर्जा नियमित रूप से धीरे-धीरे खत्म हो रही है। जिस दर से इसकी ऊर्जा समाप्त हो रही है, उस हिसाब से सूर्य का अंत कुछ अरबों सालों बाद हो सकता है।
सूर्य का अंत एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, और यह हमारी आकाशगंगा में हर तारे के लिए होता है। हालांकि, यह अभी भी दूर है, और हम सूर्य के अंत का प्रत्यक्ष रूप से अनुभव नहीं करेंगे।
क्या इस प्रकार से होगा सूरज का अंत
भौतिक विज्ञानियों के अनुसार, सूरज का अंत के एक चरणबद्ध प्रक्रिया में होने की संभावना है। जो इस प्रकार है:
वर्तमान का मुख्य अनुक्रम (Sun in Present State): वर्तमान सूर्य इस चरण में है, जिसमें यह हीलियम बर्न यानी हाइड्रोजन को हीलियम में संलयित करके ऊर्जा पैदा कर रहा है।
लाल विशालकाय दानव (Red Giant Stage):
एक आकलन के मुताबिक़ जब सूरज में हीलियम बर्न की प्रक्रिया रुक चुकी होगी, तब सूरज एक लाल विशालकाय दानव में बदल जाएगा। सूर्य इस चरण की अवस्था में लगभग 5 अरब वर्षों में प्रवेश करेगा।
लाल विशालकाय दानव की अवस्था में सूर्य आकार में काफी विशालकाय और काफी चमकीला हो जाएगा। तब सूर्य वायुमंडल पृथ्वी की कक्षा तक फैल जाने की संभावना है।
सूर्य की नेबुला अवस्था (Nebula Stage of Sun):
विशालकाय दानव की अवस्था के बाद सूर्य एक विशेष प्रकार नेबुला बन जाएगा। इस चरण में सूर्य अपनी बाहरी परतों को छोड़ देगा, या यूं कहें कि वे परतें सूर्य अलग हो जाएंगी।
इससे एक नेबुला की अवस्था बन जाएगी। बाद में यह नेबुला भी गायब हो जाएगा और सूर्य का आकार छोटा हो जाएगा।
श्वेत (सफ़ेद) बौना (White Dwarf):
आकार में छोटा हो जाने के बाद सूर्य एक श्वेत वामन (बौना) में बदल जाएगा। इस चरण में यह लगभग 10 अरब वर्षों में प्रवेश करेगा।
अंत में, सूर्य एक सफेद बौना में सिकुड़ जाएगा। सफ़ेद बौना की अवस्था में सूरज धीरे-धीरे एक ठंडा चमकीले तारे में बदल जाएगा। लेकिन इसके चमक की अधिकांश भाग खो चुकी होगी। तब इसका आकार पृथ्वी के आकार से थोड़ा ही बड़ा होगा।
सूरज के अंत के बाद धरती का क्या होगा
सूरज के अंत के बाद, पृथ्वी एक बंजर ग्रह बन जाएगी। सूर्य की गर्मी और प्रकाश के बिना यहां जीवन असंभव हो जाएगा। एक हालिया शोध के मुताबिक़ सूर्य के अंत के बाद:
— पृथ्वी की सतह का तापमान बढ़ जाएगा। यह असहनीय और अत्यधिक घातक होगा। सारे बर्फ पिघल जाएंगे। पानी खौल उठेगी।
— पृथ्वी का सारा का सारा जल भाप बन कर अंतरिक्ष में विलीन हो जाएगा। बादल भी नहीं बचेंगे और न ही बनेंगे।
— पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य की गर्मी से जल जाएगा। पृथ्वी पर जीव का रहना असंभव हो जाएगा और अंततः जीवन का अंत हो जाएगा।
धरती को निगल सकता है सूरज
— यदि लाल दानव के रूप में सूर्य का आकार और भी विशाल हो जाता है, तो सूर्य अपने गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी को अपनी ओर खींच लेंगा और लील (निगल) जाएगा। संभवतः बुध, शुक्र, मंगल के अलावा वृहस्पति और शनि ग्रह भी इसके चपेट (परिसीमा) में आ सकते हैं।
हालांकि ये सब एक अनुमान है। सूर्य के अंत (End of the Sun) के बारे में कई वैज्ञानिक सिद्धांत हैं। असल में कब, कैसे और क्या होगा, यह निश्चित तौर पर बता पाना मुश्किल है।
हालांकि, यह स्पष्ट है कि यह एक ऐसी घटना होगी जो ब्रह्मांड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा।
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