Kisan Mitra Creeper: मध्यप्रदेश के तीन युवा इंजीनियरों ने देश के छोटे एवं मध्यम किसानों की सहूलियत के लिए अपने स्टार्टअप के माध्यम से एक अनूठा कृषि यंत्र विकसित किया है। उन्होंने अपने विजन, रिसर्च और डेवलपमेंट से एक बड़े इनोवेशन को अंजाम देकर एक ऐसा यंत्र बनाया है जिससे किसानों को खेत में खड़ी फसल काटने के लिए न बड़े हार्वेस्टर की जरूरत पड़ेगी और न ही ज्यादा मजदूरों की। खेत में बिना बिजली और डीजल के उनकी फसल झटपट कट जाएगी, वो भी एक चौथाई खर्च में।
बैटरी से चलने वाला देश का पहला क्रीपर
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेतिहर मजदूरों की बढ़ती किल्लत और खेती की ऊंची लागत से किसानों को राहत दिलाने के उद्देश्य से बनाए गए इस यंत्र का नाम रखा गया है ‘किसान मित्र क्रीपर’। इसे डेवलप करने वाले स्टार्टअप एचवी इलेक्ट्रिक व्हीकल प्राइवेट लिमिटेड (HV Electric Vehicle Pvt Ltd) की टीम के मुताबिक यह बैटरी से चलने वाला देश का पहला क्रीपर है। अपने छोटे आकार-हल्के वजन और कम समय में ज्यादा फसल काटने की क्षमता के कारण किसान मित्र क्रीपर देश के किसानों के लिए वरदान साबित होने लगा है।
किसानों के बीच कौतूहल का विषय बनी मशीन
टीम के इस दावे की हकीकत परखने के लिए बंसल न्यूज डिजिटल की टीम भोपाल से करीब 20 किलोमीटर दूर केकड़िया भानपुर गांव में युवा किसान नीरज कुशवाह के धान के खेत में पहुंची। वहां दूर से एक लॉन ग्रास कटर (पार्क में घास काटने वाली मशीन) की तरह नजर आने वाली मशीन खेत में पक चुकी धान को सपाटे से काटते हुए एक किनारे बिछाती नजर आई। उसे हैंडल पकड़े एक ऑपरेटर पैदल चला रहा था और खेत के आस-पास कुछ और किसान आश्चर्य से इस नजारे को देखने के लिए जमा थे। भोपाल में केकड़िया भानपुर और समसगढ़ के आस-पास के किसानों के लिए ये मशीन खास आकर्षण और चर्चा का विषय बन गई है।
एक एकड़ की फसल 4 हजार के बजाय 1 हजार में कट गई
किसान नीरज कुशवाह से इस यंत्र से फसल कटवाने का अनुभव पूछने पर वो बोले- ये मशीन अपने नाम के अनुरूप वाकई किसान मित्र है। इससे पहले मैं मजदूरों से फसल कटवाता था। इस काम के लिए मजदूरों को तलाशना और फिर से उनसे समय पर काम कराना बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है। सात-आठ मजदूर दिनभर में एक एकड़ की फसल काट पाते थे। दिनभर उनकी निगरानी भी करनी पड़ती थी कि वे फसल ठीक से काटें। एक एकड़ फसल कटवाने का खर्च करीब 4 हजार रुपए आता था। लेकिन इस मशीन ने एक एकड़ धान की फसल सिर्फ डेढ़ घंटे में काट दी वो भी महज एक हजार रुपए के खर्च में।
बड़े हार्वेस्टर के उपयोग से खराब हो जाते हैं खेत
नीरज ने बताया कि उनके एक से डेढ़ एकड़ आकार के छोटे-छोटे पांच खेत हैं, उन सभी में धान की फसल है। उन्होंने अब अपने सभी खेतों की कटाई इसी मशीन से कराने का फैसला किया है। इसकी वजह इस मशीन की और भी कई खासियत होना है। उनका कहना है कि बड़े और परंपरागत हार्वेस्टर हमारे छोटे खेतों तक नहीं पहुंच पाते क्योंकि उनके विशायकाय आकार के कारण उन्हें चौड़े रास्तों की जरूरत होती है। यदि आस-पास के सभी किसान मिलकर हार्वेस्टर किराए पर ले भी लें तो उनके भारी-भरकम वजन के कारण खेत खराब हो जाते हैं। गीली मिट्टी दबने से खेत असमतल हो जाते हैं। लेकिन ये मशीन आकार में छोटी और हल्की होने से हमारे खेत में आसानी से पहुंच गई और इससे खेत भी खराब नहीं हुआ।
किसान मित्र से फसल काटने पर नहीं बचती पराली
किसान मित्र क्रीपर (Kisan Mitra Creeper) मशीन से फसल कटवाने वाले किसान के अनुभव जानने के बाद बंसल न्यूज की टीम ने इसे डेवलप करने वाले इंजीनियरों की मैनेजमेंट टीम के सदस्यों आशीष गुप्ता, अवनीश सोनी और रचित मिश्रा से चर्चा की। टीम में टेक्नोलॉजी एंड ऑपरेशंस विंग को हेड करने वाले आशीष गुप्ता बताते हैं कि ये मशीन किसानों के लिए आसान और किफायती होने के साथ इको फ्रेंडली भी है। इसकी एक अन्य बड़ी खासियत है, इसका जड़ के पास से फसल काटने में दक्ष होना। इससे फसल कटने के बाद खेत में पराली (फसल कटने के बाद खेत में बचने वाले ठूंठ) नहीं बचती और न ही उसे जलाने की जरूरत पड़ती है। जबकि डीजल से चलने वाले परंपरागत हार्वेस्टर से फसल कटवाने पर खेत में 6 से 8 इंच के ठूंठ बच जाते हैं। इन्हें अगली फसल के लिए खेत तैयार करने जलाना पड़ता है, जिससे वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है।
एक बार चार्ज करने पर 6 घंटे चलती है बैटरी
स्टार्टअप में रिसर्च एंड प्रोडक्ट डेवलपमेंट विंग के हेड रचित मिश्रा बताते हैं कि किसान मित्र क्रीपर में लगाई गई बैटरी पूर्णतः स्वदेशी है और बहुत कम बिजली में चार्ज हो जाती है। एक बार चार्ज होने पर ये 6 घंटे तक चलती है। यानी एक बार चार्ज करने के बाद इस मशीन से एक बार में 4 से 5 एकड़ के खेत की फसल काटी जा सकती है। इसके साथ ही वे अब इस मशीन को आगे अपग्रेड कर खेत में कटी हुई फसल के बंडल बनाने में भी दक्ष करने के अगले टास्क में जुट गए हैं।
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ICAR में जल्द होगा मशीन का रजिस्ट्रेशन
टीम में पार्टनरशिप एंड बिजनेस विंग के हेड अवनीश सोनी बताते हैं कि इस मशीन को केंद्र सरकार के केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान ( ICAR) से भी सर्टिफाइ़ड और रजिस्टर्ड कराने के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। वहां से जल्द ही रजिस्ट्रेशन होने की उम्मीद है। इसके बाद किसान मित्र क्रीपर का प्रोडक्शन बढ़ाने की योजना को मूर्तरूप दिया जाएगा। फिलहाल इसे किसानों को बेहद किफायती दर पर किराए पर उपलब्ध कराया जा रहा है। उनका कहना है कि हमारी टीम का ये प्रयास छोटे और मध्यम किसानों के लिए बड़ा वरदान साबित होगा।
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