स्पेशल रिपोर्ट- अनुराग श्रीवास्तव, कानपुर
Shramik Colony Ownership, Kirayedar Banenge Makan Malik: कानपुर में श्रमिक कालोनियों के मालिकाना हक को लेकर दशकों से चली आ रही समस्या के समाधान की उम्मीद जागी है। अब तक किराएदार के रूप में रहने वाले हजारों परिवार जल्द ही अपने घरों के मालिक बन सकते हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और गोविंद नगर से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी के प्रयासों से यह ऐतिहासिक फैसला संभव होता नजर आ रहा है। सरकार इस पर जल्द ही अंतिम निर्णय ले सकती है, जिससे इस दीवाली तक हजारों परिवारों को तोहफा मिल सकता है।
जून में पास हो सकता है प्रस्ताव, 16 जून तक हो सकता है सर्वे
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के नेतृत्व में गठित कमेटी ने श्रमिक कालोनियों के मालिकाना हक को लेकर गहन मंथन किया है। इस मामले को लेकर 15 जून तक सर्वे रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। उम्मीद है कि 16 जून को विस्तृत प्रस्ताव बनाकर इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। यदि सब कुछ तय नियमों के अनुसार होता है, तो इस साल दीवाली से पहले हजारों परिवार अपने मकानों के मालिक बन सकते हैं।

1950 में हुई थी श्रमिक कालोनियों के निर्माण की शुरुआत
आजादी के बाद कानपुर में कपड़ा मिलों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए 1950 में श्रमिक कालोनियों का निर्माण शुरू हुआ था। वर्ष 1953 से मजदूरों को ये कॉलोनियां किराए पर दी जाने लगीं। शुरुआती दौर में किराया बेहद कम था, लेकिन 1990 में यह 125 रुपये और 235 रुपये तक पहुंच गया। इसके बाद श्रम विभाग ने किराया लेना बंद कर दिया, जिससे यह समस्या उलझती चली गई।
हाईकोर्ट ने 1997 में दिया था मालिकाना हक का आदेश
वर्ष 1997 में हाईकोर्ट ने दिल्ली और ओडिशा की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की श्रमिक कालोनियों का मालिकाना हक (Kirayedar Banenge Makan Malik) श्रमिकों को देने का आदेश दिया था। लेकिन 28 साल बीतने के बाद भी इस आदेश पर अमल नहीं हुआ। अब विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और विधायक सुरेंद्र मैथानी के प्रयासों से यह मामला फिर से गति पकड़ चुका है और सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।
श्रमिकों को मालिकाना हक देने के लिए न्यूनतम कीमत चुकानी होगी
इस प्रस्ताव के तहत श्रमिक कालोनियों में रहने वालों को न्यूनतम कीमत चुकाकर मालिकाना हक दिया जाएगा। साथ ही, वैध कब्जे वाले हिस्से को ही स्वामित्व में शामिल किया जाएगा। इससे कानपुर के हजारों परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी और वे कानूनी रूप से अपने घरों के मालिक बन सकेंगे।
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राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा
श्रमिक कॉलोनियों का मालिकाना हक कानपुर में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे अपने चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल किया था। श्रमिक कॉलोनियों में रहने वाले हजारों परिवार किसी भी सरकार के लिए एक बड़ा वोट बैंक हैं। ऐसे में योगी सरकार इस महत्वपूर्ण फैसले को लागू कर श्रमिक परिवारों को बड़ी राहत दे सकती है।
जल्द आ सकता है बड़ा फैसला
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा है कि यूपी सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है। सर्वे रिपोर्ट और उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर मालिकाना हक देने के लिए अंतिम रूपरेखा तैयार की जा रही है। यदि सब कुछ तय योजना के अनुसार हुआ तो इस साल दीवाली से पहले हजारों श्रमिक परिवारों को अपना मकान मिल सकता है।
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