Kinner Facts: किन्नरों को लेकर हमारे देश में कई तरह की मान्यताएं और मिथक प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि किन्नरों (Kinnar) की दुआओं में बहुत ताकत होती है। ऐसी भी मान्यता है कि किन्नरों को दान देने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं।
आपको कई बार सुना होगा कि किन्नरों का अंतिम संस्कार (Kinnar Death Rules) आधी रात को किया जाता है। पर क्या आप जानते है इसके पीछे की वजह क्या है।
हो जाता है मौत का आभास
ऐसा माना जाता है किन्नरों को पहले ही अपनी मौत का आभास हो जाता है। जिसके बाद वे खाना पीना बंद कर देते हैं केवल पानी पीते हैं। किन्नरों की मान्यता है कि मरणासन्न किन्नर की दुआ में काफी असर होता है।
चुपचाप ले जाते हैं शव
ऐसा माना जाता है कि जब किन्नर की मृत्यु (Kinnar Death) होती है तो उसका शव आधी रात को चुपचाप शांति से ले जाया जाता है। किन्नरों में शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार (Kinnar Death Rules) के लिए ले जाते हैं।
क्यों नहीं देखना चाहिए किन्नर की अंतिम यात्रा
ऐसा माना जाता है कि अगर आम व्यक्ति किन्नर का शव (Kinnar Dead Body) देख लें, तो उस किन्नर को अगले जन्म में एक बार फिर से किन्नर के रूप में जन्म लेना पड़ता है।
चप्पलों से क्यों पीटा जाता है किन्नर का शव
किन्नर की मृत्यु होने पर उसके शव को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है। ताकि उसे अगले जन्म में किन्नर का जन्म न मिले। इसके बाद ही किन्नर की अंतिम यात्रा निकाली जाती है।
किन्नर की मौत पर क्यों मनाते हैं जश्न
कोई भी नहीं चाहता है कि उसका जन्म किन्नर (Kinnar) के रूप में हो। इसलिए जब किसी किन्नर की मृत्यु होती है तो उसके अंतिम संस्कार पर सबसे पहले उसके शव के पास खड़े होकर किन्नर के आराध्य देव (Kinnar God) अरावन का ध्यान कर उनकी पूजा की जाती है। उसके बाद किन्नर रूप (Kinnar Facts) से मुक्ति मिलने पर जश्न के रूप में खुशियां मनाई जाती हैं। इसके बाद दान पुण्य किया जाता है।
किन्नर के शव का क्या करते हैं
किन्नर के शवों का अंतिम संस्कार रीति रिवाज के अनुसार किया जाता है। यदि किन्नर हिन्दू समाज में जन्मा है तो उसे मुखाग्नि दी जाती है। यदि वह ईसाई या मुस्लिम समुदाय में जन्मा है तो उसे दफनाया जाता है।
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