हाइलाइट्स
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खंडवा लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है
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इस सीट पर 2009 को छोड़1996 से बीजेपी का कब्जा
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नंदकुमार सिंह चौहान लम्बे समय तक खंडवा से सांसद रहे
Khandwa Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव के लिए मध्यप्रदेश में चौथे चरण के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है।
प्रदेश में चौथे चरण में जिन 8 सीटों पर मतदान होना है उनमें खंडवा लोकसभा सीट भी शामिल है।
खंडवा लोकसभा सीट पर क्या है सियासी गणित और बीजेपी- कांग्रेस किस तरह एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
इसका (Khandwa Lok Sabha Seat) एनालिसिस यहां कर रहे हैं।
बीजेपी ने फिर सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल पर दांव लगाया
खंडवा लोकसभा सीट (Khandwa Lok Sabha Seat) पर बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को लगातार दूसरी बार मौका दिया है।
खंडवा लोकसभा सीट एक समय बीजेपी के दिग्गज नेता नंदकुमार सिंह चौहान के गढ़ के रूप में पहचानी जाती थी।
यहां पर बीजेपी ने 2021 में नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद ज्ञानेश्वर पाटिल को पहली बार उम्मीदवार बनाया था।
तब उपचुनाव में ज्ञानेश्वर पाटिल ने 80 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी।
कांग्रेस ने नरेंद्र पटेल को मैदान में उतारा
वहीं कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव (Khandwa Lok Sabha Seat) नरेंद्र पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है।
खंडवा लोकसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता अरूण यादव के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है और उनके भी लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें थी लेकिन पार्टी ने नरेंद्र पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है।
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विधानसभा के हिसाब से बीजेपी का पलड़ा भारी
खंडवा लोकसभा सीट (Khandwa Lok Sabha Seat) में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इसमें खंडवा, मांधाता, पंधाना, बुरहानपुर, नेपानगर, भीकनगांव, बड़वाह, बागली विधानसभा सीट शामिल हैं।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आठ लोकसभा सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी।
ऐसे में अगर देखा जाए तो यहां पर बीजेपी कांग्रेस पर काफी भारी पड़ती दिख रही है।
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खंडवा लोकसभा सीट जातिगत समीकरण
खंडवा लोकसभा सीट (Khandwa Lok Sabha Seat) पर जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां अनुसूचित जाति और जनजाति का खासा दबदबा है।
खंडवा लोकसभा सीट एससी-एसटी वर्ग के 8 लाख वोटर्स है। वहीं ओबीसी वोटर्स की संख्या पांच लाख, मुस्लिम वोटर्स की संख्या 3 लाख और
सामान्य वर्ग के वोटर्स की संख्या 4 लाख से ज्यादा है। खंडवा लोकसभा सीट पर आदिवासी वोटर्स की संख्या निर्णायक है।
कौन किस पर भारी
खंडवा लोकसभा सीट पर 28 साल से बीजेपी का पलड़ा भारी रहा है। सिर्फ 2009 में यहां से कांग्रेस के अरुण यादव ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर 1996 से 2019 के बाद तक यहां नंदकुमार सिंह चौहान का एकक्षत्र राज रहा है। जहां तक इस बार के चुनाव की बात करें तो बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल मौजूदा सांसद हैं और देश में मोदी बयार चल रही है। ऐसे में ज्ञानेश्वर की नैया पार होने के आसार ज्यादा हैं। यदि बीजेपी आलाकमान की गाइडलाइन के मुताबिक लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभाओं के बीजेपी विधायकों ने जोर लगाया तो ज्ञानेश्वर पाटिल एक बार फिर संसद पहुंच सकते हैं। हालांकि, इस सीट पर कांग्रेस के नरेंद्र पटेल भी नए प्रत्याशी जरूर हैं, लेकिन उन्हें भी जनता का समर्थन खूब मिल रहा है। यह समर्थन कांग्रेस के लिए वोट में तब्दील होता है तो मुकाबला कड़ा जरूर होगा। इस सब के बीच जीत किसकी होगी? इसके लिए 4 जून ( परिणाम ) तक का इंतजार करना होगा।
लोकसभा के लिए कब, कौन चुना गया