Keshari Nath tripathi Passed Away: भारतीय जनता पार्टी के ऐसे कई नेताओं ने पार्टी और अपनी सरकार के लिए क्या कुछ नहीं किया। जो आज एक मिशाल बनकर उभरे है। चाहे वो अटल बिहारी वाजपेयी हो, चाहे सुषमा स्वराज हो या फिर हाल ही में दुनिया को अलविदा कह गए केशरी नाथ त्रिपाठी हो। केशरी नाथ त्रिपाठी बीजेपी के दिग्गज नेताओं में से एक रहे है, वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के पद पर भी आसीन रहे। आज रविवार 8 जनवरी 2023 को केशरी नाथ त्रिपाठी ने अपनी देह त्याग दी।
केशरी नाथ त्रिपाठी मूल रूप से उत्तरप्रदेश की राजनीति का हिस्सा रहे है। वह यूपी विधानसभा के स्पीकर से लेकर यूपी बीजेपी अध्यक्ष का पद संभालने वाले केशरी नाथ त्रिपाठी ने एक निजी अस्पताल में 88 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली। वह बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे। अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें घर लाया गया था। केशरी नाथ त्रिपाठी की राजनीति के ऐसे कई किस्से है जो आज भी सुनकर लोग वो दौर याद करने लगते है। उनका एक ऐसा ही किस्सा है, जब उन्होंने अपनी सरकार बचाने के लिए पेशाब तक रोक के रख ली थी।
दरअसल, साल 1998 में यूपी के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर जगदंबिका पाल को रातोंरात मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी थी। जब इस बात का पता देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पता चली तो उन्होंने कल्याण सिंह को सुप्रीम कोर्ट जाने का आदेश दिया। वही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उन्हें बहुमत पेश करने का आदेश दे दिया। लेकिन कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट करने के कुछ नियम बना दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि बहुतम परीक्षण शुरू होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित नहीं किया जाएगा। जब तक बहुमत परीक्षण पूरा नहीं होता, तब तक विधानसभा की कार्यवाही चलती रहेगी। वही उस समय विधानसभा के स्पीकर केशरी नाथ त्रिपाठी को जब तक कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती तब तक वह अपनी कुर्सी से नहीं उठने का आदेश भी दिया गया।
केशरी नाथ त्रिपाठी ने रोकी पेशाब
इंटरनेट की खबरों के अनुसार बीजेपी नेता केशरी नाथ त्रिपाठी को पेशाब से जुड़ी समस्या थी। वह अपनी इस परेशानी के चलते बार बार पेशाब जाया करते थे, लेकिन जिस दिन बहुमत परीक्षण होना था, उस दिन विधानसभा की पूरी कार्यवाही के दौरान कुर्सी पर ही मौजूद रहने का नियम बनाए जाने के चलते केशरी नाथ त्रिपाठी ने पानी को त्याग दिया था। ताकि उन्हें बार-बार पेशाब करने की जरूरत ही पड़े। अपनी सरकार को बचाने के लिए केशरी नाथ त्रिपाठी ने अपनी पेशाब रोककर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित तक डटे रहे।
बहुमत परीक्षण में जीते कल्याण सिंह
26 फरवरी 1998 को हुए शक्ति परीक्षण में कल्याण सिंह को 225 विधायकों का समर्थन मिला तो वही जगदंबिका पाल को महज 196 वोट ही मिले। बताया जाता है कि शक्ति परीक्षण के दौरान सदन में 16 कैमरे लगाए गए थे। सबसे बड़ी बात तो यह थी की उस दौरान पांच विधायकों पर एनएसए लगाकर जेल भेज दिया गया था, लेकिन उन्हें शक्ति परीक्षण में वोट डालने की अनुमति दी गई थी।