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Kejriwal Jail News: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत कोर्ट ने 23 अप्रैल तक बढ़ा दी है।
उन्हें 15 दिनों की न्यायिक हिरासत खत्म होने के बाद आज (15 अप्रैल) तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। जहां अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
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शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने रविवार को कहा कि हम मामले की सुनवाई इस महीने (अप्रैल) के आखिरी हफ्ते में करेंगे।
दिल्ली आबकारी नीति घोटाला (Delhi Excise Policy Scam) से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले (Money Laundering) में आरोपित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत आज समाप्त हो रही है और ED उन्हें Rouse Avenue की विशेष अदालत के समक्ष पेश करेगी।
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विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने ED की मांग पर केजरीवाल को एक अप्रैल को न्यायिक हिरासत (judicial custody) में 15 दिन के लिए तिहाड़ जेल (Tihar Jail) भेज दिया था।
दूसरी तरफ गिरफ्तारी व इसके बाद दी गई ED रिमांड को चुनौती देने वाली petition को खारिज करने के हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध केजरीवाल की अपील याचिका पर आज Supreme Court में सुनवाई होनी है।
High court ने अरेस्ट को बताया था सही
केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद जांच एजेंसी की हिरासत में भेजे जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल को उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि केजरीवाल बार-बार समन भेजने के बावजूद जांच में शामिल नहीं हुए। इसलिए ED के पास उन्हें गिरफ्तार करने का ही विकल्प बचा था।
ED ने हमारे सामने पर्याप्त सबूत पेश किए हैं। हमने बयानों को देखा, जो बताते हैं कि गोवा के चुनाव के लिए शराब घोटाले का पैसा भेजा गया था।
केजरीवाल के PA भी बर्खास्त
11 अप्रैल को केजरीवाल के PA बिभव कुमार को दिल्ली विजिलेंस डायरेक्टरेट (Delhi Vigilance Directorate) ने बर्खास्त कर दिया था। विशेष सचिव, सतर्कता YVVJ राजशेखर ने 10 अप्रैल को पारित एक आदेश में बिभव कुमार के खिलाफ लंबित 2007 के मामले का हवाला दिया, जिसमें उन पर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप था।
आदेश के मुताबिक 2007 में महेश पाल नाम के एक सरकारी कर्मचारी ने बिभव पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसके काम में बाधा डाली और उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
Vigilance ने आदेश में कहा कि बिभव कुमार के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।
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