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Karnataka Deputy CM: नहीं होता डिप्टी सीएम का कोई विशेष अधिकार, क्या फैसले से संतुष्ट होंगे डीके

कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम के पद से संतुष्ट होना पड़ा। ऐसे में क्या आपने सोचा है आखिर डिप्टी सीएम का पद क्या होता है।

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Bansal News
Karnataka Deputy CM: नहीं होता डिप्टी सीएम का कोई विशेष अधिकार, क्या फैसले से संतुष्ट होंगे डीके

कर्नाटक Karnataka Deputy CM कर्नाटक की सियासत में बीते दिनों से चल रहा सीएम पद के नाम को लेकर बवाल सिद्धारमैया के नाम की घोषणा के बाद थम सा गया है वहीं पर कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम के पद से संतुष्ट होना पड़ा। ऐसे में क्या आपने सोचा है आखिर डिप्टी सीएम का पद क्या होता है क्या इस पद के व्यक्ति कोई फैसले या आदेश दे सकते है। आइए जानते है।

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पूरी तरफ लॉलीपॉप होता है डिप्टी सीएम

आपको बताते चले कि, यहां पर डिप्टी सीएम का पद वास्तव में कहें तो एक लॉलीपॉप होता है जिसे सिर्फ जताने के लिए दूसरे उम्मीदवार को दिया जाता है कि, आपकी सरकार में हैसियत सीएम के बाद है। यह पद कोई मान्य नहीं होता है बल्कि इसे केवल सीएम पद को लेकर छिड़ी जंग को शांत करने या जातिगत समीकरण साधने के लिए उम्मीदवार को संतुष्ट करने के लिए दिया जाता है। सरकार में इस पद की कीमत किसी विशेष तौर पर नहीं होती है। केवल इन्हें एक सामान्य मंत्री की तरह ही माना जाता है सीएम पद की भूमिका के लिए नहीं, इनका काम कैबिनेट में अपनी राय देने तक होता है।

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संविधान में नहीं दर्ज है ये डिप्टी सीएम पद

आपको बताते संविधान में इस पद की कोई व्याख्या नहीं की गई है, केवल मुख्यमंत्री की शपथ के दौरान ही डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई जाती है। इस पद से जुड़ा एक किस्सा पहले सामने आ चुका है,  डिप्टी सीएम पद का जन्म डिप्टी पीएम पद के बाद हुआ है. इससे संबंधित एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था, 1989 में तत्कालीन डिप्टी पीएम देवी लाल के समय सुप्रीम कोर्ट में इस पद के अधिकारों को स्पष्ट किए जाने की याचिका दायर हुई थी। दरअसल वीपी सिंह सरकार में जब देवी लाल को शपथ दिलाई जा रही थी तो वह लगातार कैबिनेट मंत्री की जगह उप प्रधानमंत्री बोल रहे थे. तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने अपनी किताब में भी इस घटना का जिक्र किया है।

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सोनिया गांधी के दबाव में डीके शांत

आपको बताते चले कि, कर्नाटक में डीके शिवकुमार भले ही अपने सीएम पद के फैसले पर अड़े हो लेकिन इससे ज्यादा कुछ बदलने वाला नहीं. दरअसल राज्य में डिप्टी सीएम का कोई काम ही नहीं होता है। फॉर्मूले के मुताबिक भले ही ढाई साल के बाद डीके शिवकुमार को सीएम का पद मिलेगा लेकिन क्या तब तक राजनीतिक व्यवस्था शांत रहेगी। इधऱ कर्नाटक में अपनी हार से बौखलाई भाजपा भी तिकडम जमाने में पीछे नहीं रहेगी।

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