भोपाल। इस साल की रंगपंचमी 22 मार्च मंगलवार karila Janki Mata Mandir को यानि कल मनाई जाएगी। इसी बीच अशोकनगर स्थित मंदिर वाल्मीकि आश्रम में दो साल बाद करीला मेला लगने जा रहा है। आपको बता दें कोरोना के चलते बीते दो सालों से ये मेला नहीं लगाया गया था। इसके लिए कुछ ही दिन पहले कलेक्टर ने तैयारियों को लेकर जायजा लिया था। आपको बता दें इस मले की शुरुआत रंगपंचमी के दिन पहले यानि आज रात से हो जाएगा। तो रंग पंचमी के दूसरे दिन तक चलेगा।
कहां है आश्रम —
मप्र का एक जिला है अशोकनगर, रामायण के मुताबिक माना जाता है कि माता सीता ने यहीं वाल्मीकि आश्रम में अपने दोनों पुत्र लव-कुश को जन्म दिया था। ये आश्रम मुंगावली तहसील के करीला गांव में स्थित है। भगवान राम के दोनों पुत्र का जन्म यहां रंगपंचमी के मौके पर हुआ था। तभी से यहां इस मौके पर खुशियां मनाई जाती है। लोग बधाई गीत गाते हैं और बुंदेलखंड का पारंपरिक राई नृत्य कराया जाता है।
बेड़िया जाति की महिलाएं नाचती हैं
माना जाता कि करीला में महर्षि वाल्मीकि ने लवकुश के जन्मदिन को बडे धूमधाम से मनाया था। तब स्वर्ग से अप्सराएं उतर आई थीं। इस उत्सव में बेड़िया जाति की हजारों नृत्यांगनाएं जमकर नाची थीं। तब से यह प्रथा आज तक निभाई जा रही है। यही नहीं अब तो लोग यहां मन्नत पूरी होने पर भी राई नृत्य करवाते हैं। माता सीता के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। इसके बाद लोग यहां राई नृत्य करवाते हैं। कहा जाता है कि यहां नि:संतान दंपती की झोली माता सीता भर देती हैं। इसके बाद लोगों को यहां बेड़निया नचाना होता है।
बेड़िया जनजाति क्या है?
बेड़िया जनजाति देश विदेश में अपने राइ नृत्य के कारण प्रसिद्ध है। बुंदेली लोक नृत्य में इस जनजाति की स्त्रियां जिन्हें बेड्नी भी कहा जाता है वे बाध्य यंत्रो के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करते है। परम्पराओं और रीतिरिवाजो को अपने में समेटे बेड़िया जनजाति के दो पहलु हैं। पहला समृद्ध रीतिरिवाज और दूसरा राइ नृत्य से जुड़े ये कलाकार आज बदहाली का शिकार है। इनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो आज भी वैश्यावृत्ति के चंगुल से बाहर नहीं आ पा रहें है इन्हें यहां से बाहर निकालना शासन और प्रशासन के लिए एक समस्या का विषय बन गया है।
घर ले जाते हैं भभूति —
मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। लोग यहां से भभूति लेकर अपने घर जाते हैं। माना जाता है कि भभूति खेत में कीटाणुनाशक और इल्लीनाशक का भी काम करती है। यही नहीं यहां दुनिया का एक मात्र सीता माता का मंदिर है जहां भगवान राम साथ में विराजमान नहीं हैं। यहां सिर्फ सीता माता की ही मूर्ति विराजमान है। हर साल यहां रंगपंचमी के मौके पर तीन दिवसीय मेला लगता है। हर साल लाखो की संख्या में लोग यहां दर्शन करने को आते हैं।