हाइलाइट्स
- हेयर ट्रांसप्लांट कांड में एक और नया और गंभीर खुलासा
- पर्चे में जो दवाएं लिखी गई हैं, वे इतनी अस्पष्ट और बेतरतीब
- किसी भी दवा का हेयर ट्रांसप्लांट से सीधा संबंध नहीं
Hair Transplant News: हेयर ट्रांसप्लांट कांड में एक और नया और गंभीर खुलासा सामने आया है। मरीज विनीत दुबे को दी गई दवाओं के पर्चे में न तो किसी बीमारी का डायग्नोसिस है, न कोई एहतियात, और न ही डॉक्टर का नाम दर्ज है। पर्चे में जो दवाएं लिखी गई हैं, वे इतनी अस्पष्ट और बेतरतीब हैं कि विशेषज्ञ भी उन्हें समझ नहीं पा रहे। इससे साफ है कि यह पर्चा किसी प्रशिक्षित डॉक्टर का नहीं, बल्कि झोलाछाप व्यक्ति द्वारा लिखा गया हो सकता है।
किसी भी दवा का हेयर ट्रांसप्लांट से सीधा संबंध नहीं
कानपुर के वराही क्लीनिक हेयर एंड एस्थेटिक केयर सेंटर में विनीत दुबे को सात दवाएं दी गई थीं। इन दवाओं में एंटीबायोटिक, गैस, नींद, दर्द और सूजन कम करने की गोलियां शामिल थीं, लेकिन किसी भी दवा का हेयर ट्रांसप्लांट से सीधा संबंध नहीं दिख रहा। पुलिस द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति को दिया गया यह पर्चा झोलाछाप उपचार का प्रतीक बनकर सामने आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि डायग्नोसिस, सावधानियों और डॉक्टर के हस्ताक्षर के बिना कोई वैध पर्चा मान्य नहीं होता।
विशेषज्ञों की राय
- डॉ. प्रेम शंकर, वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
“पर्चे में दो दवाएं ऐसी हैं जिनका नाम तक समझ नहीं आ रहा। ऐसा लगता है जैसे जिसने जितनी दवाएं जानती थीं, वो सब लिख दी। यह एक झोलाछाप टाइप पर्चा है।
- डॉ. डीपी शिवहरे, विभागाध्यक्ष, त्वचा रोग विभाग
“दवाएं बहुत सामान्य हैं, जो गले के इंफेक्शन या सर्दी-खांसी में दी जाती हैं। हेयर ट्रांसप्लांट के बाद इस तरह की दवाएं नहीं दी जातीं। पर्चे से बीमारी या इलाज का कोई संकेत नहीं मिलता।”
मयंक की मौत ने खोले इलाज के लापरवाही के परतें
वहीं मयंक कटियार की मौत ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। भाई कुशाग्र कटियार के अनुसार, ऑपरेशन के तुरंत बाद मयंक की हालत बिगड़ने लगी, लेकिन क्लीनिक की डॉक्टर अनुष्का बार-बार कहती रहीं कि “घबराने की जरूरत नहीं है”। जब हालत ज्यादा बिगड़ी तो फर्रुखाबाद के कार्डियोलॉजिस्ट के पास ले जाया गया, जहां पता चला कि दिल की कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सुबह 10 बजे मयंक की मौत हो गई।
जांच के घेरे में क्लीनिक और डॉक्टर
इस पूरे प्रकरण की जांच सीएमओ द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति कर रही है। प्रशासनिक स्तर पर लाइसेंस, योग्यता और इलाज की प्रक्रिया की बारीकी से जांच की जा रही है। शुरुआती संकेतों के अनुसार, यह पूरा मामला लापरवाही, गैर-पेशेवर तरीके और फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है।
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