K Vishwanath passes away हैदराबाद। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात फिल्मकार के. विश्वनाथ के निधन पर कमल हासन, ममूटी, चिरंजीवी और मोहनलाल जैसी फिल्मी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया और भारतीय सिनेमा में उनके योगदान की सराहना की। कलातपस्वी के तौर पर लोकप्रिय के. विश्वनाथ का हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में गुरुवार को निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। तेलुगु सिनेमा के अलावा तमिल और हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने काफी लोकप्रियता हासिल की थी। वह दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले 48वें शख्स थे। इस पुरस्कार को भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। उन्हें 2016 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था।
हासन ने कहा कि महान फिल्म निर्माता की कला का जश्न उनके जीवनकाल के बाद भी मनाया जाएगा। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर पेज पर एक हस्तलिखित नोट पोस्ट करते हुए कहा कि के. विश्वनाथ गारू ने जीवन की क्षणभंगुरता और कला की अमरता को पूरी तरह से समझा। इसलिए उनकी कला का जश्न उनके जीवनकाल और उसके बाद भी मनाया जाएगा। उनकी कला अमर रहे। एक उत्साही प्रशंसक। अभिनेता-निर्देशक के निधन को एक अपूरणीय क्षति बताते हुए, चिरंजीवी ने कहा कि विश्वनाथ ने भारतीय फिल्म उद्योग में जो खालीपन छोड़ा है उसे भरना मुश्किल होगा। दोनों ने 1987 में आई फिल्म ‘स्वयंकृषि’ में साथ काम किया था।
चिरंजीवी ने ट्वीट किया स्तब्ध हूं, शब्दों में बयां नहीं कर सकता! के. विश्वनाथ का जाना भारतीय/तेलुगु सिनेमा और मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से एक अपूरणीय खालीपन है! कई प्रतिष्ठित, कालातीत फिल्मों के नायक! ऐसे महानायक अमर रहते हैं! ऊं शांति! वेंकटेश डग्गुबाती ने कहा कि वह सिनेमा के इस दिग्गज के निधन से दुखी हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा के. विश्वनाथ गारू के निधन के बारे में सुनकर वास्तव में दुख हुआ। यह सिर्फ तेलुगु उद्योग के लिए ही नहीं बल्कि हमारे देश के लिए भी नुकसान है! उनके प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदना। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।
ममूटी ने लिखा कि के. विश्वनाथ गारू के निधन से गहरा दुख हुआ। ‘स्वातिकिरणम’ में उनके निर्देशिन में काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मेरे विचार और प्रार्थना उनके प्रियजनों के साथ हैं। मोहनलाल ने भी फिल्मकार के परिवार के प्रति हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने ट्वीट किया के. विश्वनाथ गारू के परिवार के प्रति मेरी सच्ची और हार्दिक संवेदना। ईश्वर उन्हें यह दुख सहने की शक्ति दे। इस महान निर्देशक की रचनाएं आने वाले दशकों तक सिनेमा प्रेमियों को आकर्षित करती रहेंगी। ऊं शांति।
नागार्जुन ने कहा कि विश्वनाथ की विरासत कहानीकारों की आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने कहा एक और किंवदंती खो गई! के. विश्वनाथ गारू ने अपनी यादगार फिल्मों और पात्रों के साथ एक स्थायी प्रभाव डाला। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे। उनकी आत्मा को शांति मिले। बतौर साउंड आर्टिस्ट अपने करियर की शुरुआत करने वाले विश्वनाथ ने शंकराभरणम, सागर संगमम, स्वाति मुत्यम, सप्तपदी, कामचोर, संजोग और जाग उठा इंसान जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन किया, जिन्होंने कई पुरस्कार भी अपने नाम किए।
अपने शानदार करियर में उन्हें 1992 में पद्म श्री, पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार, 20 नंदी पुरस्कार (आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाने वाला पुरस्कार) और ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ सहित 10 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले। विश्वनाथ ने अपने करियर में करीब 50 फिल्में बनाईं। तेलुगु फिल्म उद्योग के एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता होने के साथ ही उन्होंने तमिल और हिंदी सिनेमा के लिए भी काम किया।