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Kakori conspiracy: जब 4600 रुपये की लूट के लिए अंग्रेजों ने खर्च कर दिए 10 लाख, इसी लूट से मिली थी स्वतंत्रता आंदोलन को गति

Kakori conspiracy: जब 4600 रुपये की लूट के लिए अंग्रेजों ने खर्च कर दिए 10 लाख, इसी लूट से मिली थी स्वतंत्रता आंदोलन को गतिKakori conspiracy: When the British spent 10 lakhs for the loot of Rs 4600, the loot gained momentum from the freedom movement

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Bansal Digital Desk
Kakori conspiracy: जब 4600 रुपये की लूट के लिए अंग्रेजों ने खर्च कर दिए 10 लाख, इसी लूट से मिली थी स्वतंत्रता आंदोलन को गति

Image source- @prasarbharati

नई दिल्ली। देश आज अपना 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। 26 जनवरी 1950 को इसी दिन भारत में संविधान को लागू किया गया था। ऐसे में आज हम देश के क्रांतिकारियों को याद करते हुए उनसे जुड़े कुछ किस्से आपको बताएंगे। जिसे जानकर आपको भी उन महान योद्धाओं पर गर्व होगा।

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लूट से मिली थी स्वतंत्रता आंदोलन को गति

आज हम इस आर्टिकल में बात करेंगे काकोरी ट्रेन लूटकांड की। इस लूट में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के 4600 रूपये लूट लिए थे। जिसके बाद अंग्रेजों ने इन क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए करीब 10 लाख रूपये खर्च कर दिए। बतादें कि लखनऊ के करीब कारोरी में 9 अगस्त 1925 को कुछ क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खजाने को लूट लिया था। इसी लूट से मिले धन ने स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Independence Movement) को गति दी थी। यही कारण था कि अंग्रेजों ने इन क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।

लूट ने अंग्रेजों के कद्र को हिला कर के रख दया था

स्वतंत्रता आंदोलन को जब भी याद किया जाता है तो उसमें कारोरी कांड का जिक्र जरूर किया जाता है। इस लूट से ना सिर्फ आंदोलन के लिए पैसे इक्कठे हुए थे। बल्कि इससे अंग्रेजों का अपमान भी हुआ था, उस समय जिस हुकूमत के सामने लोग अपना मथा टेक देते थे। वहीं इन क्रांतिकारियों ने उनके नाक के नीचे से पैसे निकाल लिए थे। इस लूट ने अंग्रेजों के कद्र को हिला कर के रख दिया था।

पहले दिन यह सफल नहीं हो सका था

दरअसल, देश को आजादी दिलाने और अंग्रजी शासन से हथियार के दम पर लड़ाई लड़ने के लिए, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खां, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, शचींद्र नाथ बक्शी, मन्मथ नाथ गुप्त सहित कई क्रांतिकारी ने ये फैसला किया कि हम अंग्रेजों के खजाने को लूटेंगे और इससे मिले पैसों से हथियार खरीदेंगे। योजना के अनुसार पहले दिन सहारनपुर से लखनऊ आने वाली आठ डाउन पैसेंजर को लूटने का प्लान बनाया गया। इसी ट्रेन से अंग्रजों के खजाने जाते थे। लेकिन पहले दिन यह सफल नहीं हो सका। क्योंकि वे ट्रेन गुजरने के दस मिनट बाद वहां पहुंचे थे तब तक ट्रेन निकल चुकी थी। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और अगले ही दिन क्रांतिकारियों ने सफलता पूर्वक इस लूट को अंजाम दे दिया।

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ऐसे दिया गया था लूट को अंजाम

सबसे पहले राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने चेन खींचकर साहरनपुर-लखनउ पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया। इसके बाद राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद, शचींद्र नाथ बक्शी समेत अन्य क्रांतिकारियों ने ट्रेन पर धावा बोल दिया। क्रांतिकारियों के पास जर्मनी में बनी चार माउजर पिस्टल थी। जिसके दम पर उन्होंने अंग्रेजों के 4600 रूपये लूट लिए।

गिरफ्तारी के लिए 5 हजार का ईनाम किया गया था घोषित

इस लूट से अंग्रेजी हुकूमत इतना बौखला गई कि उन्होंने इन क्रांतिकारियों के खिलाफ, सरकार के विरूद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, हत्या करने और सरकारी खाजाना लूटने का केस चलाया। साथ में सभी क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी के लिए 5000 रूपये का ईनाम घोषित कर दिया। गिरफ्तारी के बाद इन क्रांतिकारियों पर करीब दस महीने तक मुकदमा चला। इस मुकदमें में तत्कालीन सरकार ने अपने 10 लाख रूपये खर्च कर दिए और अंत में सभी क्रांतिकारियों को सजा दे दी गई। जिसमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खां, रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

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