Kajali Teej 2021: अखण्ड सौभाग्यवती और संतान की प्राप्ति के लिए होगा कल ये व्रत, जानिए पूजन विधि और कथा

नई दिल्ली। पति की लंबी उम्र और संतान Kajali Teej 2021 प्राप्ति के लिए किया जाने वाला अखंड सौभाग्यवति का व्रत कजली तीज 25 अगस्त यानी बुधवार को मनाया जाएगा। हिन्दु पंचाग के अनुसार भादौ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीय तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है।
कई महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। पूरे विधि-विधान से मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसे सातूड़ी तीज, कजली तीज और बूढ़ी तीज भी कहते हैं। भारत के कई राज्यों जैसे यूपी, राजस्थान, एमपी और बिहार आदि जगहों में बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रंगार करती हैं। मान्यता अनुसार इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती Kajali Teej 2021 सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए कुवांरी लड़कियां भी कजरी तीज का व्रत रखती हैं।
पूजा विधि
इस तीज पर नीमड़ी माता की पूजा की जाती है। इन्हें मां पार्वती का रूप मानते हैं। इन दिन महिलाएं सवेरे उठकर, स्नान करके साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। इस दिन नीमड़ी मां के भोग के लिए मालपुआ बनाए। पूजन करने के लिए मिट्टी या गाय के गौबर का तालाब भी बनाएं। फिर उसमें नीम की टहनी डालकर नीमड़ी मां की स्थापना करें। उनपर चुन्नी चढ़ाकर पूजा करें। नीमड़ी मां मेहंदी, हल्दी, सिंदूर, चूड़ियां, लाल चुनरी, सत्तू और माल पुआ सहित सभी पूजन सामग्री भी चढ़ाएं। 16 श्रंगार करके निर्जला व्रत रखें। रात को चंद्रमा के दर्शन करके पति के हाथों से व्रत का पारण करें।
ऐसी है कजरी तीज की व्रत कथा
इस व्रत में महिलाएं को कजरी तीज व्रत कथा जरूर पढ़ना चाहिए। तभी व्रत पूर्ण माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार गांव में एक गरीब ब्राह्मण था। भाद्रौ के महीने में आने वाली इस तीज पर ब्राह्मण की पत्नी ने व्रत रखा। ब्राह्मण से घर आते हुए सत्तू लाने को कहा। तो ब्राह्मण ने कहा कि मैं सत्तू कैसे लाऊं। पत्नी ने ब्राह्मण से जिद करते हुए कहा कि कजरी तीज का व्रत सत्तू से ही खोला जाता है। अत: मुझे सत्तू जरूर चाहिए। कैसे भी करके सत्तू लाएं। ब्राह्मण परेशान होकर रात में घर से निकला और सीधे एक साहूकार की दुकान में जाकर चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर सवा किलो सत्तू बना लिया। इसके बाद जैसे ही सत्तू बनाकर ब्राह्मण दुकान से बाहर निकल रहा था, आवाज सुनकर साहूकार के नौकर आ गए। चोर-चोर करके उसे पुकराने लगे। ब्राह्मण को पकड़ कर साहूकार को बुला लिया।
पकड़े जाने पर ब्राहृमण ने साहूकार को बताया कि वह गरीब है। पत्नी ने कजली तीज का व्रत रखा है। उसी के लिए सवा किलो सत्तू बनाकर लिया है। ऐसी स्थिति में साहूकार ने नौकरों से ब्राह्मण की तालाशी करने बोला। ब्राह्मण के पास सवा किलो सत्तू के अलावा कुछ नहीं निकला। ब्राह्मण को घर जाने में देर हो रही थी। और चांद भी निकल आया था। व्रत खोलने के लिए पत्नी सत्तू और ब्राह्मण की राह तक रही थी। ब्राह्मण की ईमानदारी देखकर साहूकार ने ब्राह्मण की पत्नी को अपनी धर्म बहन बना लिया। सवा किलो सत्तू के साथ-साथ साहूकार ने ब्राह्मण को गहने, मेहंदी, कुछ जेवर और बहुत सारा धन दिया। इसके बाद सबने कजली माता की पूजा की।