Neem Karoli Baba: ये तो सभी जानते हैं कि श्रीहनुमान भगवान शिव (Lord Shiv) का अवतार हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कलियुग में श्रीहनुमान (Hanuman) का अवतार किसे माना जाता है।
अगर इसके जबाव में उत्तराखंड के नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर बाबा नीब करौरी का नाम लें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
जी हां आज के कलियुग में नीब करौरी बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है। इतना ही नहीं बाबा नीब करौली का मध्यप्रदेश से भी खास कनेक्शन है। आज हनुमान जयंती पर हम आपको बताते हैं कि देश-विदेश में मशहूर बाबा नीब करौरी का भोपाल से क्या संबंध है।
बाबा नीब करौरी का क्या है एमपी से कनेक्शन
दरअसल उत्तराखंड के नैनीताल में कैंची धाम के बाबा नीब करौरी (Kainchi Dham Neem Karoli Baba Ashram) का भोपाल से खास कनेक्शन (Baba Neem Karoli ka Bhopal se Sambandh) है।
बड़े-बड़े दिग्गज बाबा के अनुयायी
बाबा नीब करौरी, जिनके देश-दुनिया में असंख्य भक्त हैं। उत्तराखंड में नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर बाबा नीब करौरी ने कैंची धाम आश्रम की स्थापना की थी। कैची धाम में भारत के ही नहीं विदेशों से भी उनके अनुयायी पहुंचते हैं।
पीएम मोदी (PM Modi) , हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी हस्तियां भी बाबा के भक्तों में शामिल हैं।
20 वीं सदी के महान संतों में शामिल बाबा नीब करौरी का जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था, उनका नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। 13 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया था। 17 वर्ष की आयु में ही उन्हें ईश्वर के बारे में बहुत विशेष ज्ञान हो गया था। बाबा नीब करौरी हनुमान जी के भक्त थे, तपस्या से उन्हें सिद्धियां प्राप्त हुई थी।
कहां हुआ था बाबा नीम करौली का जन्म
बाबा नीम करौली के पौत्र के अनुसार बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था।
बाबा नीम करौली का असली नाम क्या है
बाबा नीम करौली का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। जब वे 13 साल के थे तब उनकी शादी हो गई थी। 17 वर्ष की आयु में उन्हें ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त हो गया था। बाबा नीब करौरी हनुमान जी के परम भक्त थे। जिसके चलते बजरंगबली की तपस्या से उन्हें कई सिद्धियां प्राप्त हो गई थी।
क्या है बाबा नीब करौली का भोपाल कनेक्शन
राजधानी भोपाल से बाबा नीब करौरी का विशेष ज़ुड़ाव रहा है। जानकारी के अनुसार वे उनके एक भक्त लेफ्टिनेंट कर्नल भगवान सहाय के आमंत्रण पर ही भोपाल आते थे। पर बाबा की एक खासियत थी कि वे भोपाल में किसी के घर में न रुककर नेवरी के मनकामेश्वर मंदिर (Nevri Mankameshwar Mandir) में ही रुकते थे। इसलिए इस स्थान को बाबा नीम करौली (Baba Neem Karoli Mandir in Bhopal) के नाम से पर मंदिर बनाने की तैयारी चल रही है।
बाबा के पुत्र भोपाल में थे शासकीय कर्मचारी
ऐसा बताया जाता है कि बाबा के पुत्र अनेग शर्मा मध्यप्रदेश शासन के कर्मचारी थे। 1957 में उनके जन्म के समय बाबा राजधानी भोपाल (Baba Neem Karoli in Bhopal) आए थे। इसके करीब 13 साल बाद यानी 1970 में बाबा के पुत्र अनेग शर्मा ने भोपाल की अरेरा कॉलोनी में घर बनवाया। जिसके बाद वे यहीं पर 10 दिन तक रुके थे। इसके तीन साल बाद बाबा नीब करौरी सन 1973 में ब्रह्मलीन हो गए।
2021 में हुआ था बाबा नीम करौली के पुत्र का निधन
जानकारी के अनुसार बाबा नीम करौली के ब्रहृलीन होने के बाद उनके पुत्र अनेग शर्मा का 23 नवंबर 2021 को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। इसके बाद से बाबा नीम करौली के पौत्र यानी उनके पोते डॉ. धनंजय शर्मा भोपाल में ही रहते हैं।
कैसे पड़ा था नीम करौली नाम
बाबा नीम करौली (Neeb Karori Baba) के नाम को लेकर कहा जाता है कि बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। पर फर्रुखाबाद के पास नीम करौरी नाम की जगह पर ट्रेन को लेकर एक घटना हुई थी।
जिसके अनुसार बाबा जी गंगा जी स्नान कर लौट रहे थे। उस समय ब्रिटिश गवर्मेंट थी, ट्रेन में टीसी ने उन्हें बिना टिकट पकड़ लेने के चलते ट्रेन से उतार दिया था। इसके बाद वे एक खेत में जाकर बैठ गए। इसके बाद पायलट ने ट्रेन ले जाने की काफी कोशिश की, पर ट्रेन आगे नहीं बढ़ सकी। काफी कोशिश करने के बाद इंजन बदला गया, पर इससे भी कुछ नहीं हुआ।
पायलेट को समझाकर मंगवाई माफी
इस घटना को देखकर वहां बाबा जी को पहचानने वाले कुछ लोग पहुंचे। उन्होंने ट्रेन ड्राइवर को समझाकर पूरे ट्रेन के स्टाफ ने बाबा जी से माफी मांगने की बात कही। जिसके बाद बाबा जी ने कह दिया कि ले जा अपनी ट्रेन।
उसके बाद कहीं जाकर ट्रेन आगे बढ़ पाई। इसी चमत्कार के बाद लोगों ने उन्हें बाबा नीब करौरी नाम दे दिया। नीब करौरी में अंग्रेजों ने स्टेशन भी बनवाया। तब से बाबा, बाबा नीब करौरी (Baba Neem Karoli )के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
सौतेली मां से परेशान होकर घर से भाग गए थे
बाबा जी की शादी 13 साल की उम्र में हो गई थी। जिसके बाद मां का निधन हो गया। जमींदार पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। सौतेली मां बाबा जी (Neem Karoli Baba) को पसंद नहीं करती थी।
एक बार पिता के बाहर जाने पर सौतेली मां ने उन्हें कमरे में बंद कर दिया था। गुढ़ फोड़ने वाले सूजे से उसी कमरे की छत तोड़कर बाबा जी भाग गए थे। इस घटना के बाद से किसी को नहीं पता कि बाबा जी कहां चले गए थे। ऐसा माना जाता है कि बाबा ने नीब करौरी गांव के पास एक गुफा में अपने हाथों से हनुमान जी की प्रतिमा बनाकर हनुमानजी की तपस्या की थी।
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